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कानपुर के प्रखर हॉस्पिटल में सफल रहा नेजल वैक्सीन का ट्रायल, अब नहीं होगा इंजेक्शन का फोबिया 

एनआईबी पुणे से स्ट्रेन लेने के बाद भारत बायोटिक्स ने इस नेजल वैक्सीन को बनाया है. आईसीएमआर की देखरेख में कानपुर के प्रखर हॉस्पिटल में इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया, जो सफल रहा है. ट्रायल में 86 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज बनीं थीं. डॉक्टरों का कहना है कि इससे लोगों में इंजेक्शन का फोबिया भी खत्म होगा.

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डॉक्टर जेएस कुशवाहा ने बताया कि दो-दो बूंद नाक में डालनी होती है. 86 फीसदी लोगों में इससे एंटीबॉडी बनी थी.
डॉक्टर जेएस कुशवाहा ने बताया कि दो-दो बूंद नाक में डालनी होती है. 86 फीसदी लोगों में इससे एंटीबॉडी बनी थी.

दुनिया में बढ़ती कोरोना की दहशत को लेकर भारत में भी कोरोना की तैयारियों का अलर्ट जारी हो गया है. ठीक ऐसे समय पर सरकार ने को-वैक्सीन की नेजल वैक्सीन को मंजूरी देकर एक तरीके से कोरोना से बचाव को लेकर अपनी सक्रियता जाहिर की है. 

सरकार के इस कदम से नेजल वैक्सीन का ट्रायल कानपुर के आर्य नगर में बने प्रखर हॉस्पिटल में किया जा रहा है. यहां के एमडी डॉक्टर जेएस कुशवाहा टीटी नेजल वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर उत्साहित हैं. उनका कहना है कि इससे देशवासियों को कोरोना से सुरक्षा मिलेगी. 

डॉक्टर कुशवाहा ने कहा, “सरकार ने यह कदम बहुत अच्छा उठाया है. इससे कोरोना से बचाव की दिशा में सफलता मिलेगी. हमने अपने प्रखर हॉस्पिटल में नेजल वैक्सीन का ट्रायल किया था. मेल और फीमेल दोनों ग्रुप के 50-50 लोगों पर ट्रायल किया था, जो सफलता से पूरा हुआ.” 

दावा- चीन में भी कारगर होगी यह वैक्सीन 

डॉक्टर कुशवाहा ने आगे कहा कि सरकार ने नेजल वैक्सीन की अनुमति देकर बहुत अच्छा कदम उठाया है. दावा यह किया कि यह वैक्सीन सक्सेसफुल है. चीन में जो करोना का कहर हो रहा है, अगर वह वहां लोगों को यह वैक्सीन भेजी जाए, तो वहां भी कोरोना से राहत मिलेगी. 

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आईसीएमआर की देखरेख में पूरा हुआ ट्रायल  

उन्होंने आगे बताया कि हमने एनआईबी पुणे से स्ट्रेन लिया था. भारत बायोटिक्स इस वैक्सीन को बना रहा है. आईसीएमआर की देखरेख में यह ट्रायल किया गया है. फेज टू ट्रायल में 50 लोगों और फेज थ्री ट्रायल में 93 लोगों को लिया था, जिसमें 55 पुरुष थे और 38 महिलाएं थी. नेजल ट्रायल में 86 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज बनीं थीं. 

इंजेक्शन का फोबिया नहीं रहता है  

दो-दो बूंद इसमें नाक में डालनी होती हैं. इस वैक्सीन की खास बात यह है कि इससे इंजेक्शन का फोबिया बिल्कुल नहीं होता है. यह वायरस के रूट ऑफ इंट्री यानी जहां से वायरस शरीर में प्रवेश करता है, उसे रोकती है और ट्रांसमिशन को भी रोकती है. 

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