उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों ने नौ लोगों की जान ले ली और दर्जनों लोगों को घायल कर दिया है. जिसकी वजह से कई गांवों में महीनों से दहशत का माहौल है. भेड़िये सैकड़ों सालों से इस क्षेत्र के जंगलों, खेतों और घाघरा नदी के बाढ़ के मैदानों में रहते आए हैं. तो अब वे इंसानों पर हमला क्यों कर रहे हैं? इसे समझना होगा. इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम ने इसकी जांच की.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च से अगस्त 2024 के बीच भेड़ियों ने बहराइच जिले के महासी उपखंड में 1 से 8 साल के आठ बच्चों और 45 साल की एक महिला की जान ले ली है. हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि वे दो क्षेत्रों में केंद्रित हैं. पहले दो हमले बहराइच शहर से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में हुए, जबकि हत्याओं की दूसरी श्रृंखला जिले के केंद्र के उत्तर में महासी उपखंड के गांवों के समूह में हुई.
एक और समानता यह है कि भेड़ियों के निशाना बनाए गए सभी गांव घाघरा नदी के तट से सिर्फ़ 2-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. ऐसा लगता है कि जानवर 30-32 किलोमीटर के दायरे में चले गए हैं. हत्याएं 10 मार्च को बहराइच के दक्षिणी हिस्से के मिश्रानपुरवा गांव में शुरू हुईं और सबसे ताजा शिकार सोमवार, 26 अगस्त को लगभग 48 किलोमीटर दूर दीवानपुरवा में हुआ. पहले दो हमले मार्च में हुए और फिर 116 दिनों के अंतराल के बाद 17 जुलाई को फिर से शुरू हुए. तब से, हर 4-14 दिनों में हत्याएं होती रही हैं.
हमलों के पीछे क्या है वजह?
स्थानीय वन अधिकारियों ने कथित तौर पर इस तरह के खतरनाक हमलों के लिए आस-पास के जंगलों में बाढ़ को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, यह तर्क सही नहीं लगता क्योंकि भेड़िये घास के मैदानों और कृषि क्षेत्रों में रहते हैं, जहां वे छोटे जानवरों का शिकार कर सकते हैं. इसके अलावा, मानसून के मौसम की सैटेलाइट इमेज जून और अगस्त के बीच इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा बाढ़ नहीं दिखाती है.
भारतीय भेड़ियों पर अपने काम के लिए जाने जाने वाले संरक्षणवादी यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला कहते हैं कि इन हमलों के पीछे भेड़ियों के झुंड के बजाय कुत्ते और भेड़िये का क्रॉस-ब्रीड जानवर हो सकता है. उनका कहना है कि शिकारी भेड़िये ने यह सीख लिया होगा कि वयस्कों या मवेशियों की तुलना में बच्चों को निशाना बनाना आसान है. 'क्योंकि पूर्वी यूपी के इन इलाकों में, बच्चे अक्सर खेतों में जाते हैं.'
यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला इंसानों के साथ बढ़ते संघर्ष के लिए कुत्तों के साथ भेड़ियों के क्रॉस-ब्रीडिंग की प्रथा को भी दोषी मानते हैं. झाला तर्क देते हैं, 'हो सकता है भेड़ियों में इंसानों का डर खत्म हो गया हो, जिससे अगर मुठभेड़ हुई तो यह खतरनाक हो सकता है.' उन्होंने 1996 में पूर्वी यूपी में कथित भेड़ियों के हमलों की जांच का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि भेड़िये ज़्यादातर मौतों के पीछे असली कारण नहीं थे.
दिल्ली चिड़ियाघर के वरिष्ठ अधिकारी सौरभ वशिष्ठ कहते हैं कि भेड़िये इंसानों पर तब हमला करते हैं जब उन्हें खतरा महसूस होता है या जब वे भोजन के लिए छोटे जानवरों का शिकार नहीं कर सकते.
इंटरनेशनल वुल्फ सेंटर के अनुसार, 2020 में भारत में 4,400-7,100 भेड़िये थे. भारतीय भेड़िये को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत शिकार के खिलाफ हाई लेवल की कानूनी सुरक्षा मिली है.