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संभल में मुर्दे कर रहे मनरेगा मजदूरी! जॉब कार्ड बनाकर महिला प्रधान ने पैसे भी निकाल लिए, हुआ खुलासा तो...

मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर आरोप है कि उन्होंने मृतक ग्रामीणों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए और कागजों पर गलत तरीके से 'काम पूरा' दिखाकर मजदूरी निकाली. जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मामले की जांच चल रही है और ग्राम प्रधान से वसूली शुरू कर दी गई है. 

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मनरेगा में काम करते मजदूर (फाइल फोटो)
मनरेगा में काम करते मजदूर (फाइल फोटो)

यूपी के संभल में एक गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत कथित धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें एक दर्जन से अधिक लोगों को मजदूर दिखाया गया है और उनके नाम पर मजदूरी निकाली गई है. अधिकारियों ने बताया कि यह घोटाला संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में सामने आया.  

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मौजूदा ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर आरोप है कि उन्होंने मृतक ग्रामीणों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए और कागजों पर गलत तरीके से 'काम पूरा' दिखाकर मजदूरी निकाली. जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मामले की जांच चल रही है और ग्राम प्रधान से वसूली शुरू कर दी गई है. 

वहीं, संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने संवाददाताओं से कहा, "यह मामला करीब सात महीने पहले मेरे संज्ञान में आया था. उस समय जांच के आदेश दिए गए थे." उन्होंने आगे कहा, "जब किसी मामले में गबन 10 प्रतिशत से कम होता है, तो हम संबंधित अधिकारी से वसूली करते हैं. इस मामले में 1.05 लाख रुपये की गबन पाई गई. ग्राम प्रधान से वसूली की जा रही है. गांव में अन्य विकास कार्यों की भी जांच की जा रही है." 

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मजदूरों के रूप में सूचीबद्ध लोगों में एक इंटर कॉलेज का प्रिंसिपल भी शामिल है. मुलायम सिंह यादव इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ऋषिपाल सिंह ने कहा, "मेरी जानकारी के बिना मेरे नाम से जॉब कार्ड बना दिया गया. मैंने कभी मनरेगा के तहत काम नहीं किया, फिर भी मेरा नाम रिकॉर्ड में दर्ज है और पैसे निकाल लिए गए. जांच के दौरान मुझे पूछताछ के लिए भी बुलाया गया." 

स्थानीय निवासी संजीव कुमार ने कहा, "मेरे दादा जगत सिंह का 2020 में निधन हो गया था. हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि उनके नाम से मजदूरी निकाली जा रही है. हमें तब पता चला जब अधिकारी जांच करने गांव आए. हमने सुना है कि करीब एक दर्जन मृत व्यक्तियों के नाम से जॉब कार्ड बनाए गए हैं." 

मामले में मुख्य शिकायतकर्ता निर्मल दास ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान के मृतक ससुर और उनके परिवार के कई सदस्यों के नाम पर भी जॉब कार्ड बनाए गए. दास ने कहा, "फर्जी मजदूरों के नाम पर सरकारी कोष से पैसे निकाले गए. इनमें से कुछ लोग तो अब गांव में रहते ही नहीं हैं. फिर भी उनकी पहचान का इस्तेमाल कर पैसे निकाले गए." 

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की पहल, मनरेगा ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करती है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं. 

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