राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी कुछ दिन पूर्व मथुरा पहुंचे थे. जयंत अपने मथुरा दौरे के दौरान अचानक ही पूर्व मंत्री तेजपाल सिंह के घर पहुंच गए थे. इसके बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि 2027 के विधानसभा चुनाव में छाता सीट आरएलडी के खाते में जा सकती है.
इसे लेकर अब छाता सीट से विधायक और योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की प्रतिक्रिया आई है. मंत्री लक्ष्मी नारायण ने आरएलडी को पटपांव यानी दुर्भाग्यशाली बताते हुए कहा है कि इसका जिस दल से गठबंधन हुआ, उसका सूपड़ा साफ हो गया.
उन्होंने कहा कि आरएलडी से गठबंधन के कारण ही बीजेपी 400 की कौन कहे, लोकसभा में 300 से खिसककर 240 सीटों पर आ गई. चौधरी लक्ष्मी नारायण ने आरएलडी को आड़ेहाथों लेते हुए कहा कि इसकी स्थापना ही ऐसे मुहूर्त में हुई है कि वह जिसके साथ गई, उसका सूपड़ा साफ कर दिया.
यूपी सरकार के मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर वीपी सिंह, नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी के नाम भी गिनाए. उन्होंने यह भी कहा कि राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली सरकार के साथ ही समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार का पत्ता भी आरएलडी से गठबंधन के कारण साफ हुआ.
चौधरी लक्ष्मी नारायण ने दावा किया कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय जब बीजेपी और आरएलडी का गठबंधन हुआ था, तब मैंने तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह को इस पार्टी के पटपांव होने की जानकारी देकर इसके प्रति आगाह किया था. उन्होंने कहा कि गठबंधन के बाद भी बीजेपी मुजफ्फरनगर और कैराना जैसी सीटें हार गई थी.
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योगी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण ने दावा किया कि बीजेपी को आरएलडी का वोट कभी नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था. बीजेपी को आरएलडी के वोट नहीं मिले और मथुरा में इनके वोट कांग्रेस को पड़े थे, जिससे उनका आंकड़ा बढ़ गया था.
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लक्ष्मी नारायण ने कहा कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष (जयंत चौधरी) खुद मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. तब वे छाता विधानसभा क्षेत्र में 85 हजार वोट के अंतर से पीछे रह गए थे. बीजेपी के मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यूपी सरकार में आरएलडी कोटे के मंत्री अनिल कुमार की भी प्रतिक्रिया आई है.
आरएलडी कोटे के मंत्री अनिल कुमार ने कहा है कि वरिष्ठ मंत्री का बयान पूरी तरह निराधार और अनुचित है. उन्होंने यह भी कहा कि गठबंधन पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व का अधिकार है, इस पर सवाल उठाना ठीक नहीं है.