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कहानी Banda के चांदबाबू और लक्ष्मण की, जो 5 साल से Karachi जेल में हैं बंद... कैसे मछली पकड़ते-पकड़ते पहुंच गए थे PAK

बांदा के तिंदवारी थाना क्षेत्र के गांव धौंसड़ से ताल्लुक रखने वाले दो मछुआरे- चांदबाबू और लक्ष्मण, पिछले 5 सालों से पाकिस्तान की कराची जेल में बंद हैं. इन दोनों का हाल ही में एक भावुक लेटर उनके परिजनों को मिला है, जिसे पढ़ते ही पूरे परिवार में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा. सालों बाद 'लापता' बेटे का खत पढ़कर परिजनों की आंखें छलक पड़ीं, साथ ही उनके दिल में एक नई उम्मीद भी जाग उठी.

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चांदबाबू और लक्ष्मण के परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
चांदबाबू और लक्ष्मण के परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी चांदबाबू और लक्ष्मण पाकिस्तान में फंसे हुए हैं. दोनों पेशे से मछुआरे हैं. समुंदर में मछली पकड़ने के दौरान वे सीमा पार कर गए थे और पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के हत्थे चढ़ गए थे. इस घटना के 5 साल हो गए हैं लेकिन उनकी वापसी नहीं हो पाई है. इस बीच दोनों का कथित लेटर परिवारवालों को मिला है, जिसके बाद ये मामला फिर से चर्चा में आ गया है. यह लेटर गुजरात के रहने वाले पाकिस्तानी जेल से छूटे दो भारतीय युवकों ने उनके परिवार तक पहुंचाया है. इसमें सरकार और विपक्ष से गुहार लगाई है कि उन्हें पाकिस्तान से निकाला जाए. हालांकि, इसको लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. 

जानकारी के मुताबिक, बांदा के तिंदवारी थाना क्षेत्र के गांव धौंसड़ से ताल्लुक रखने वाले दो मछुआरे- चांदबाबू और लक्ष्मण, पिछले 5 सालों से पाकिस्तान की कराची जेल में बंद हैं. इन दोनों का हाल ही में एक भावुक लेटर उनके परिजनों को मिला है, जिसे पढ़ते ही पूरे परिवार में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा. सालों बाद 'लापता' बेटे का खत पढ़कर परिजनों की आंखें छलक पड़ीं, साथ ही उनके दिल में एक नई उम्मीद भी जाग उठी कि वे जिंदा हैं और उनकी वतन वापसी की गुंजाइश अभी बची हुई है. 

चांदबाबू और लक्ष्मण के परिजनों ने भारत सरकार और विशेष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर दोनों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाने में मदद करें. परिजनों के अनुसार, लेटर में लिखा है कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने चांदबाबू और लक्ष्मण को बरी कर दिया है और पाकिस्तानी सरकार भी उनकी रिहाई को तैयार है, लेकिन भारत की ओर से अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. इस वजह से दोनों युवक अब भी पाक जेल में कैद हैं.  

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परिजनों का कहना है कि दोनों मछुआरे गुजरात में मछली पकड़ने के दौरान अनजाने में भारत-पाक सीमा पार कर गए थे, जिसके बाद उन्हें पाकिस्तान की सीमा सुरक्षा बल ने पकड़ लिया और जेल भेज दिया. तेज हवाओं के चलते उनकी नाव रास्ता भटक कर पाकिस्तान सीमा में पहुंच गई थी. हाल ही में उनके साथ जेल में बंद दो गुजराती युवक बाहर आए तो उन्होंने चांदबाबू और लक्ष्मण का लेटर उनके परिवार को सौंपा, जिसके बाद एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है.  

चांदबाबू के पिता कहते हैं- पांच साल हो गए मैंने अपने बेटे की शक्ल नहीं देखी. अब जब उसने खत भेजा है, तो लगता है भगवान ने हमारी सुन ली है. अब सरकार ही हमारी अंतिम उम्मीद है. कृपया हमारे बेटे को हमसे मिलाया जाए, लंबा वक्त बीत गया. फिलहाल, प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं. 

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने चांदबाबू और लक्ष्मण को 2023 में ही बरी कर दिया था और पाकिस्तानी अधिकारी भी उन्हें रिहा करने को तैयार हैं, लेकिन भारत सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है.  

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