उन्नाव रेप केस में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजा निलंबित कर सशर्त जमानत दिए जाने के फैसले के खिलाफ रविवार को जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं, वामपंथी छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पीड़िता के लिए न्याय की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां उठाईं, नारे लगाए और भाजपा के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया.
इस प्रदर्शन में हंगामा भी हुआ जब सेंगर का समर्थन करने वाली एक महिला 'आई सपोर्ट कुलदीप सेंगर' का पोस्टर लेकर पहुंची, जिससे विरोधियों में भारी नाराजगी फैली. सुप्रीम कोर्ट में 29 दिसंबर को सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के जमानत आदेश को चुनौती दी गई है. आजतक से बातचीत में प्रदर्शनकारियों ने उम्मीद जताई कि शीर्ष अदालत पीड़िता के साथ न्याय करेगी.
आजतक से बात करते हुए उन्नाव रेप पीड़िता ने कहा कि जमानत का आदेश उसके और उसके परिवार के लिए 'काल' जैसा है. उसने कहा, 'जमानत के आदेश ने सेंगर की सजा को प्रभावी रूप से रोक दिया है. उसके परिवार वाले जेल में उससे मिल रहे हैं. मुझे और मेरे परिवार को मारने के लिए बृजभूषण को एक करोड़ रुपये की सुपारी दी गई थी. जज और सीबीआई के जांच अधिकारी बिक चुके हैं.' पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की.
पीड़िता की मां बोली- मुझे HC पर भरोसा नहीं
पीड़िता की मां आजतक से बातचीत में भावुक हो गईं. उन्होंने कहा, 'हम न्याय के लिए सड़कों पर भटक रहे हैं. मेरे देवर को क्यों नहीं छोड़ा जा रहा? मुझे हाई कोर्ट पर कोई भरोसा नहीं है. उन्होंने मेरे पति को मार डाला. अब मुझे सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से ही उम्मीद है.' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके परिवार की सुरक्षा हटा ली गई है और दावा किया कि कुलदीप सेंगर ने उन्हें मारने के लिए 10–15 लोगों को भेजा है. वो मेरे पूरे परिवार को खत्म करना चाहता है. प्रदर्शन में शामिल सोशल एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा, 'पीड़िता को दोबारा सड़क पर बैठने के लिए मजबूर किया जा रहा है. अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही न्याय दे सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले से देश की महिलाएं आहत हैं.'
उन्नाव रेप का मामला 2017 में आया था सामने
बहुचर्चित उन्नाव रेप केस 2017 का है, जब उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. पुलिस ने शुरू में एफआईआर दर्ज करने से इनकार किया और परिवार को धमकियां मिलीं. पीड़िता ने 2018 में लखनऊ के 5 कालीदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया. देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों और मीडिया में खबरें चलने के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया. सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई के लिए इस केस को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया.
साल 2019 में दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. उन्हें पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत और गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में भी दोषी ठहराया गया. इस मामले में सेंगर के कई सहयोगियों को भी सजा हुई. हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित कर दी और उन्हें सशर्त जमानत दी, जिसमें काटी गई सजा की अवधि (सात वर्ष पांच महीने) और कानूनी आधारों का हवाला दिया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सेंगर को दी सशर्त जमानत
दिल्ली हाई कोर्ट ने शर्तें लगाईं कि कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव रेप पीड़िता के निवास स्थान के 5 किलोमीटर के आसपास नहीं जाएंगे. गवाहों पर दबाव बनाने की कोशिश नहीं करेंगे. हालांकि, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के दूसरे मामले में 10 वर्ष की सजा के कारण सेंगर अब भी जेल में ही हैं. सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. हालांकि, इस आदेश के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और रेप पीड़िता के परिवार में गहरा आक्रोश है. उनका कहना है कि सेंगर को मिली जमानत इस मामले में न्याय को कमजोर करती है, जो पहले ही कथित धमकियों और हिंसा से घिरा रहा है.