उत्तर प्रदेश में मुस्लिम सियासत के दिग्गज नेता आजम खान को ज़मानत पर बाहर आए दो महीने भी पूरे नहीं हुए कि वह दोबारा जेल पहुंच गए हैं. पैन कार्ड मामले में रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने सोमवार को आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया और सात-सात साल की सज़ा और पचास हज़ार का जुर्माना लगाया है.
आजम खान 23 महीने के बाद ज़मानत पर 23 सितंबर को सीतापुर जेल से बाहर आए थे. अब उन्हें पैन कार्ड मामले में कोर्ट ने सज़ा दी है, जबकि इससे पहले अब्दुल्ला आजम के जन्म प्रमाण पत्र मामले में 18 अक्टूबर 2023 को न्यायालय ने सात-सात साल की सज़ा सुनाई थी.
अब्दुल्ला आजम के गलत जन्म प्रमाण पत्र और फिर उसी आधार पर पैन कार्ड बनवाने के मामले में सात-सात साल की सज़ा हुई है. आजम खान को ज़मानत पर जेल से बाहर आए सिर्फ 55 दिन ही गुजरे थे. सियासी तौर पर सक्रिय होने की कवायद ही कर रहे थे कि आजम खान को दोबारा से जेल जाना पड़ गया है.
सियासी एक्टिव होने से पहले आजम पहुंचे जेल
आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम अपनी-अपनी विधानसभा सदस्यता पहले ही गंवा चुके हैं. इधर, जेल से बाहर आने के बाद आजम खान अपनी सियासी जमीन को मज़बूत करने में लग गए थे. वे तमाम मीडिया के साथ बातचीत और इंटरव्यू देने तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि राजनीतिक तौर पर भी सक्रिय होने की कवायद शुरू कर दी थी.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पहले रामपुर में आजम खान मिले थे. इसके बाद आजम खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के संग लखनऊ जाकर अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. इतना ही नहीं, आजम खान ने तमाम सपा नेताओं से मेल-मिलाप शुरू कर दिया था.
रामपुर में ही नहीं, बल्कि पश्चिमी यूपी के तमाम इलाकों में अपनी सक्रियता को बढ़ा दिया था. इस तरह वह अपनी पुरानी सियासी ज़मीन को फिर से हरा-भरा करने में जुटे थे, लेकिन पैन कार्ड मामले में आए फैसले ने उनके सियासी राह में ब्रेक लगा सकता है.
आजम खान को 55 दिन में जाना पड़ा जेल
आजम खान को अपने बेटे अब्दुल्ला को कम उम्र में चुनाव मैदान में उतारने का दांव सियासी तौर पर महंगा पड़ा. बात यूपी में 2017 विधानसभा चुनाव की है, आजम ने अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को स्वार सीट से चुनाव लड़ाया था. वह भी तब जब अब्दुल्ला की उम्र कम थी, यहीं से आजम के बुरे दिन शुरू हो गए. नामांकन के अगले ही दिन अब्दुल्ला की जन्म तिथि पर विवाद हो गया और उनके बेटे अब्दुल्ला की परत-दर-परत खुलने लगीं.
अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र, दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड का मामला सामने आया. बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने इस मामले में अब्दुल्ला आजम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में 18 अक्टूबर 2023 को न्यायालय ने सज़ा सुनाई थी. सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तंज़ीन फातिमा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला को सात-सात साल के कारावास की सज़ा हुई थी.
इस मामले में पहले तंज़ीन फातिमा को सात माह 11 दिन बाद ज़मानत मिली थी, तो अब्दुल्ला को 17 महीने के बाद राहत मिली थी और आजम खान को 23 महीने के बाद 23 सितंबर 2025 को जेल से ज़मानत पर रिहा हुए थे.
दो महीने भी जेल से बाहर नहीं रहे औरसोमवार को पैन कार्ड मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को अदालत ने दोषी मानते हुए सात साल की सज़ा सुनाई। इसके बाद आजम खान और अब्दुल्ला आजम को तुरंत रामपुर जेल भेज दिया गया है। ऐसे में आजम खान 55 दिन के बाद दोबारा जेल पहुंच गए.
आजम खान का क्या होगा सियासी भविष्य
उत्तर प्रदेश की सियासत में आजम खान की तूती बोला करती थी, लेकिन 2017 में सत्ता बदलते ही सब पलट गया. आजम खान पर कानूनी शिकंजा कसने और उनके परिवार के जेल जाने के बाद रामपुर की सियासत ही पूरी तरह बदल गई है. आजम के परिवार का कोई भी सदस्य मौजूदा समय में किसी भी सदन का सदस्य नहीं है. न तो आजम खान, न ही अब्दुल्ला आजम खान और न ही तंज़ीन फातिमा, विधायक और सांसद हैं.
आजम खान के जेल में जाने के चलते रामपुर की पूरी सियासत ही उनके और उनके परिवार के हाथों से बाहर निकल गई है. रामपुर की सियासत में एक समय आजम खान की तूती बोलती थी। आजम खान रामपुर सीट से खुद विधायक थे, तो उनके बेटे अब्दुल्ला रामपुर के स्वार टांडा सीट से विधायक थे. इसके अलावा तंज़ीन फातिमा भी राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं.
आजम की पकड़ फिर पश्चिम में होगी कमजोर
रामपुर में आजम खान की मर्ज़ी के बिना सपा का पत्ता भी नहीं हिलता था और टिकट मिलना तो दूर की बात थी, लेकिन उनके जेल जाने के बाद रामपुर की पूरी सियासत ही उनके हाथों से निकल गई है। रामपुर सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ज़रूर सपा से हैं, लेकिन आजम खान के विरोधी खेमे के माने जाते हैं.
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद स्थिति बदल गई है। ऐसे में आजम खान ज़मानत पर रिहा होने के बाद फिर से एक बार सक्रिय हो रहे थे, लेकिन पैन कार्ड मामले में सात साल की सज़ा से सियासी ग्रहण लग गया है.
आजम के बाहर आने के बाद रामपुर की राजनीति बदल रही थी. रामपुर में सपा की सियासत में सांसद मोहिबुल्लाह नदवी का प्रभाव कम होता नज़र आ रहा था और आजम का असर बढ़ने लगा था. रामपुर के आसपास के इलाके में आजम सक्रिय हो रहे थे। आजम खान का प्रभाव सिर्फ रामपुर ही नहीं, बल्कि मुरादाबाद और संभल के इलाके सहित पश्चिमी यूपी के कई जिलों में है. ऐसे में जेल जाने से आजम खान के सियासी भविष्य पर संकट गहरा गया है.