धर्मांतरण रैकेट के सरगना जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के करीबियों पर भी शिकंजा कसना शुरू हो गया है. इस क्रम में सीजेएम कोर्ट, बलरामपुर के लिपिक यानि क्लर्क राजेश उपाध्याय को पद से हटा दिया गया है. बताया जा रहा है कि लिपिक की पत्नी संगीता देवी की छांगुर बाबा की प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी थी. जांच-पड़ताल के दौरान नाम प्रकाश में आने के बाद एक्शन लिया गया.
कहा जा रहा है कि आरोपी लिपिक राजेश उपाध्याय के जरिए ही छांगुर बाबा अपने काले कारनामों को अंजाम देता था. फिलहाल, इस कार्रवाई के बाद महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक, कुछ और लोगों पर भी शक है. जांच के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, छांगुर बाबा ने महाराष्ट्र के पुणे के लोनावला इलाके में करीब 16 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी, जिसमें अपने गुर्गे मोहम्मद अहमद खान, नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन और बलरामपुर सीजीएम कोर्ट के क्लर्क राजेश उपाध्याय की पत्नी संगीता देवी को पार्टनर बनाया.
सूत्रों की मानें तो आरोपी कोर्ट क्लर्क द्वारा छांगुर बाबा के खिलाफ शिकायत करने वाले लोगों को उलझा दिया जाता था. सब पर अलग-अलग तरह के मामले दर्ज हो जाते थे. इस पूरे खेल में राजेश उपाध्याय नाम का कोर्ट क्लर्क अहम भूमिका निभाता था. राजेश छांगुर बाबा के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने में मदद करता था. बदले में बाबा ने पुणे की करोड़ों की प्रॉपर्टी में उसकी पत्नी को हिस्सेदार बना दिया था.
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स्थानीय लोगों का आरोप है कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का प्रभाव इतना था कि कई रसूख वाले उसके आगे नतमस्तक रहते थे. अधिकारी उससे मिलने पर कुर्सी छोड़कर खड़े हो जाते थे. यूपी एसटीएफ की शुरुआती जांच भी इस ओर इशारा करती है कि छांगुर बाबा ने लोकल पुलिस और प्रशासन को सेट करके अपने पूरे नेटवर्क को सालों साल तक चलाया.