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कभी परमाणु बमों के जखीरे का मालिक था रूस से जंग लड़ने वाला यूक्रेन, फिर ये किसे दे दिए?

यूक्रेन बीते तीन सालों से रूस के हमलों की मार झेल रहा है. मौत, विस्थापन और तबाही का मंजर आम हो चुका है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक रूस के हमलों में करीब 3 लाख यूक्रेनी नागरिकों की जान जा चुकी है.दुनिया के तमाम देशों की कोशिशों के बावजूद यह वॉर थमने का नाम नहीं ले रहा. रूस लगातार यूक्रेन को तबाह किया जा रहा है. हाल ही में यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमले किए, जिससे थोड़ी-बहुत बची-खुची सीजफायर की उम्मीद भी खत्म हो गई.

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   कभी परमाणु बमों के जखीरे का मालिक था यूक्रेन                                            (Image Credit-Reuters)
कभी परमाणु बमों के जखीरे का मालिक था यूक्रेन (Image Credit-Reuters)

यूक्रेन बीते तीन सालों से रूस के हमलों की मार झेल रहा है. मौत, विस्थापन और तबाही का मंजर आम हो चुका है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक रूस के हमलों में करीब 30 हजार यूक्रेनी नागरिकों की जान जा चुकी है.दुनिया के तमाम देशों की कोशिशों के बावजूद यह वॉर थमने का नाम नहीं ले रहा. रूस लगातार यूक्रेन को तबाह किया जा रहा है. हाल ही में यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमले किए, जिससे थोड़ी-बहुत बची-खुची सीजफायर की उम्मीद भी खत्म हो गई.

ऐसे हालात में एक बड़ा सवाल उठता है-क्या होता अगर यूक्रेन के पास आज भी परमाणु हथियार होते, तब भी कोई देश उस पर हमले की हिम्मत करता?

यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि एक वक्त था जब यूक्रेन दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु ताकत हुआ करता था. आइए इतिहास से समझते हैं कि कैसे यूक्रेन एक परमाणु संपन्न राष्ट्र से असहाय देश बन गया, और कैसे एक न्यूक्लियर पॉवर वाला देश गैर-परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया.


कभी तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था यूक्रेन

1991 में सोवियत संघ में जब दरार पड़ चुकी थी, उस वक्त  यूक्रेन के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा परमाणु भंडार था. उसे ये हथियार सोवियत संघ से विरासत में मिले थे. इनमें शामिल थे, लगभग 1,900 रणनीतिक परमाणु हथियार, 176 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें, 1,200 से ज्यादा परमाणु हथियार ले जाने वाले विमान और मिसाइलें.

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हजारों की संख्या में थे परमाणु हथियार

सोवियत संघ से आजादी के वक्त यूक्रेन के पास 1,900 रणनीतिक और करीब 2,650 से 4,200 तक टैक्टिकल परमाणु हथियार थे. सोवियत संघ ने जिन चार गणराज्यों में परमाणु कार्यक्रम फैलाया था, उनमें रूस के अलावा बेलारूस, कजाकिस्तान और यूक्रेन शामिल थे.

वॉशिंगटन डीसी स्थित न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) के अनुसार, यूक्रेन के पास न केवल हजारों परमाणु हथियार थे, बल्कि 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली 176 ICBM मिसाइलें और 10 थर्मोन्यूक्लियर बम भी थे. ये बम हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से कहीं ज्यादा ताकतवर थे.

लेकिन आज यूक्रेन के पास ये कोई भी हथियार नहीं है. विडंबना यह है कि उसने जिन हथियारों को रूस को सौंपा था, आज वही रूस उस पर हमला कर रहा है.

आखिर क्यों छोड़े यूक्रेन ने अपने परमाणु हथियार?

एक अहम बात यह है कि यूक्रेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों की ऑपरेशनल कमांड रूस के पास ही थी.हालांकि, यूक्रेनी वैज्ञानिकों को इन हथियारों के संचालन और रख-रखाव की तकनीकी जानकारी थी, लेकिन उन्हें बनाए रखना उसके लिए व्यावहारिक और राजनीतिक दोनों ही लिहाज से मुश्किल था.

यूक्रेन उस समय अंतरराष्ट्रीय मान्यता और सहयोग चाहता था, और परमाणु हथियार रखना उसकी वैश्विक स्थिति को संकट में डाल सकता था, लिहाजा, उसने परमाणु निरस्त्रीकरण का फैसला लिया.

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बुडापेस्ट मेमोरेंडम: यूक्रेन का ऐतिहासिक समझौता

1991 में स्वतंत्रता के बाद, 1994 में यूक्रेन ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए. इसके साथ ही बुडापेस्ट मेमोरेंडम पर भी सहमति हुई, जिसके तहत अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने यूक्रेन की संप्रभुता और सुरक्षा की गारंटी दी.

1994 में यूक्रेन ने परमाणु हथियारों को रूस को सौंपना शुरू किया. 2 जून 1996 को आखिरी परमाणु हथियार रूस को हस्तांतरित किया गया. इसके साथ ही यूक्रेन पूरी तरह से परमाणु हथियार मुक्त देश बन गया.

आज फिर खड़े हो रहे हैं सवाल
आज जब रूस यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान चला रहा है, तो यूक्रेन में यह सवाल सामने आ रहा है क्या हमने परमाणु हथियार छोड़कर सही किया? उस समय अंतरराष्ट्रीय भरोसे और समझौतों के आधार पर जो फैसला लिया गया, वही आज कई लोगों को गलती लग रहा है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यूक्रेन आज भी परमाणु शक्ति होता, तो शायद रूस उस पर हमला करने से पहले कई बार सोचता.

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