इस वक्त हमास और इजरायल के बीच भीषण जंग चल रही है. इसकी शुरुआत 7 अक्टूबर को हुई थी, जब फलस्तीन से ऑपरेट होने वाले हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे. उसने 20 मिनट में 5000 रॉकेट दागने का दावा किया. इसके बाद हमास के आतंकी इजरायल के दक्षिणी हिस्से में घुसे. इन्होंने यहां आम नागरिकों को घर, सड़क, दुकान से लेकर पार्टी और समारोह तक सभी जगह निशाना बनाया. इन्होंने जहां लोग दिखे वहीं उन्हें गोली मार दी. करीब 199 लोगों को अपने साथ किडनैप कर गाजा ले गए. इन बंधकों में कई विदेशी नागरिक भी शामिल हैं.
इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए हमास के खात्मे के लिए गाजा में हमले करना शुरू कर दिया. जब हमास और इजरायल की जंग शुरू ही हुई, तभी इजरायल पर लेबनान से ऑपरेट होने वाले हिजबुल्लाह ने भी हमले किए. उस पर सीरिया से भी हमले हुए. इजरायल तीन तरफ से होने वाले हमलों से निपट रहा है. साथ ही उसे अरब देश भी शांत होने को कह रहे हैं. एक छोटे लेकिन मजबूत देश को ऐसी स्थिति में देख अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने कहा है कि वो इजरायल के साथ हैं. वहीं तमाम देश जंग में पिस रहे आम फलस्तीनियों की सलामती की दुआ मांग रहे हैं.
इन सबके बीच लोगों के जहन में जो सवाल उठे, उनमें सबसे पहला यही था कि आखिर हमास और हिजबुल्लाह के पास इतना पैसा कहां से आया? ये कैसे अभी तक जंग में टिके हुए हैं? इसका एक जवाब तो ये था कि ईरान इन्हें समर्थन दे रहा है. लेकिन एक और जानकारी जो सामने आई है, वो काफी हैरान कर देने वाली है. खबर ये है कि अमेरिका की जनता का टैक्स का पैसा बड़े ही आराम से हमास और हिजबुल्लाह तक पहुंच रहा है. इसके पीछे की वजह संयुक्त राष्ट्र संघ यानी UN है. वो हमास और हिजबुल्लाह को आतंकी संगठन घोषित करने में विफल रहा है. डेली मेल की रिपोर्ट में ये जानकारी एक चेतावनी के तौर पर टॉप सिक्योरिटी एक्सपर्ट के हवाले से दी गई है.

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास और हिजबुल्लाह को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकवादी समूहों के रूप में प्रतिबंधित या लेबल नहीं किया है. हालांकि अन्य जाने माने आतंकी संगठन जैसे अल कायदा और आईएसआईएस को आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है. जिससे विदेशी सहायता प्राप्त करने की उनकी क्षमता खत्म हो जाती है. रिपोर्ट में फाउंडेशन फॉर द डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीस के सीनियर एडवाइजर रिचर्ड गोल्डबर्ग ने कहा कि यूएन को जाने वाले अमेरिकी कर दाताओं के डॉलर सीधा आतंकियों के हाथों में जा रहे हैं.
हमास ने गाजा से ही इजरायल पर रॉकेट हमले किए थे और अब इजरायल भी हमास को खत्म करने के लिए गाजा में रॉकेट दाग रहा है. हमास के हमले में 1300 से अधिक इजरायली नागरिकों की मौत हो गई है. इसमें 29 अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं. गोल्डबर्ग का कहना है कि हमास ने इजरायल के अंदरूनी हिस्सों में प्रवेश कर मासूम बच्चों के सिर धड़ से अलग कर दिए, महिलाओं के साथ बलात्कार किया. बावजूद इसके इस ईरान समर्थिक आतंकी संगठन को यूएन 'वैध' मानता है. इससे साफ पता चलता है कि हमास को दुनियाभर से बिना किसी दिक्कत के समर्थन मिल रहा है.
यूएन के पास UNRWA (फलस्तीनियों के लिए यूनाइटेड नेशंस रिलीफ एंड वर्क्स एजेंसी) है, जो फलस्तीनी शरणार्थियों के 'रिलीफ और ह्यूमन डेवलपमेंट' को सपोर्ट करने के लिए काम करती है. एजेंसी को 2021 में यूएन के सदस्य देशों से 15 मिलियन डॉलर मिले थे. इसने अपनी वेबसाइट में अमेरिका को सबसे अधिक डोनेशन देने वाला देश बताया है. गोल्डबर्ग ने कहा कि अकेले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में ही UNRWA को 1 बिलियन डॉलर मिले हैं, जो अपने बजट का 38 फीसदी गाजा पर खर्च करता है.

उन्होंने कहा कि इसका मतलब ये हुआ कि बाइडेन के सरकार में आने के बाद और UNRWA को दोबारा फंडिंग की शुरुआत के बाद से अमेरिका ने हमास को 380 मिलियन डॉलर दिए हैं. वो आगे कहते हैं, 'अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हमास और हिजबुल्लाह को अपनी आतंकी समूहों की औपचारिक लिस्ट में शामिल नहीं करती है, तो हमें संयुक्त राष्ट्र के उन सभी निकायों पर रोक लगाने की मांग करने की जरूरत है, जो उन्हें समृद्ध और प्रोत्साहित करते हैं.' गोल्डबर्ग ने औपचारिक रूप से ट्रंप प्रशासन में ईरानी हथियारों का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के निदेशक के रूप में काम किया था.
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से दावेदार और यूएन में अमिरिकी राजदूत रहीं निक्की हेली ने भी बार बार हमास को आतंकी संगठन की लिस्ट में शामिल करने की मांग की है. उन्होंने यूएन की आलोचना करते हुए कहा कि अब तो हमास को आतंकी संगठन घोषित करना आसान हो गया है. हेली ने कहा, 'ऐसे खून के प्यासे संगठन की निंदा करना आसान होना चाहिए, जो बच्चों को मार रहा है, महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहा है और पूरे के पूरे परिवारों को जला रहा है. बावजूद इसके संयुक्त राष्ट्र अब भी हमास को आतंकवादी संगठन कहने से इनकार करता है.'