
एक मीडियाकर्मी जो करीब एक दशक तक अपनी रेड स्किन (लाल त्वचा) से परेशान रहा, पर अब उनको इसकी वजह मालूम पड़ गई है. लेकिन, इसके लिए उन्हें थैंक्स कहना होगा लॉकडाउन (Lockdown) को, जिसकी वजह से उन्हें इस बारे में पता चल सका.
दरअसल, शख्स के ऑफिस में जिस एयरफ्रेशनर का इस्तेमाल हो रहा था, उसमें शामिल केमिकल्स से उन्हें दिक्कत थी. पर वर्क फ्रॉम होम मे उसकी ये समस्या ठीक हो गई थी. लेकिन ऑफिस लौटते ही उसे फिर से परेशानी का सामना करना पड़ा. उन्होंने ट्विवर पर अपनी पूरी व्यथा व्यक्त की है.
डेली स्टार के मुताबिक, इस रिपोर्टर का नाम विल हेवर्ड (Will Hayward) है. वह वेल्स ऑनलाइन में वेल्स मामलों के एडिटर (Welsh Affairs Editor) हैं. उन्होंने बताया कि उनके चेहरे की त्वचा का लाल होना करीब दस साल पहले शुरू हुआ था.

उनको लगता था कि उनके चेहरे की खाल जल रही है. महज कुछ घंटों के अंदर ही उनका चेहरा भयानक हो जाता था. कई बार तो चकत्ते के निशान उनके चेहरे और दाढ़ी पर भी आ जाते थे.
शराब छोड़ी और पहुंचे डॉक्टर के पास
विल ने शराब का सेवन करना छोड़ दिया था, वह हर दिन सनस्क्रीन का उपयोग करते थे. इसके बाद वह एक डॉक्टर के पास गए. करीब चार साल तक उनकी कई बीमारियां बताई गईं, ये भी बताया गया कि वह Rosacea से ग्रस्त हैं. इस स्थिति में चेहरा लाल हो जाता है, और दाने हो जाते हैं. वहीं उनको ये भी बताया गया कि वह Seborrheic dermatitis से ग्रस्त हैं. ये दोनों ही स्किन के डिस्ऑर्डर हैं.
फिर शुरू की कैफीन फ्री डाइट
विल इन सारी समस्याओं से कोई निदान नहीं मिल रहा था, इसी बीच उन्होंने कैफीन फ्री डाइट लेना शुरू कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने Rosacea के लिए एंटीबायोटिक क्रीम और स्पेशल शैम्पू का भी इस्तेमाल शुरू कर दिया.
लॉकडाउन और स्किन हुई ठीक
इन सारी चीजों का वह इस्तेमाल कर ही रहे थे, इसी दौरान अचानक लॉकडाउन लगा, और शख्स की स्किन ठीक होनी शुरू हो गई. महज कुछ सप्ताह के अंदर विल की रेड स्किन काफी हद तक ठीक हो गई. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने घर से ही काम (वर्क फ्रॉम होम) किया, ऐसे में उनकी स्किन काफी ठीक हो गई..
लेकिन जैसे ही ऑफिस खुला, उनकी स्किन फिर से खराब होना शुरू हो गई. इसके बाद वह फिर से डॉक्टर के पास गए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें Methylisothiazolinone, nitropropane और Diol समेत कई केमिकल से एलर्जी है.
इस दौरान उन्होंने अपने घर पर उन सभी चीजों का उपयोग करना बंद कर दिया, जिनमें ये केमिकल था. लेकिन फिर जब वह ऑफिस पहुंचे तो पता चला कि ऑफिस के जेंट्स टॉयलेट में एयरफ्रेशनर का इस्तेमाल हो रहा है. जिसमें वही केमिकल थे, जिनसे उनको दिक्कत थी.