scorecardresearch
 

आखिर त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राजधानी का नाम क्यों है 'पोर्ट ऑफ स्पेन'? ये है इसकी पूरी कहानी

त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी का नाम पोर्ट ऑफ स्पेन क्यों रखा गया. सुनने में ये स्पेन के किसी शहर का नाम लगता है, लेकिन ये स्पेन से 6000 किलोमीटर दूर है. ऐसे में जानते हैं पोर्ट ऑफ स्पेन बनने की कहानी क्या है?

Advertisement
X
पोर्ट ऑफ स्पेन (फोटो - Pexels)
पोर्ट ऑफ स्पेन (फोटो - Pexels)

पोर्ट ऑफ स्पेन त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राजधानी है. इसका भारत से एक गहरा नाता है. क्योंकि यहां के 40 प्रतिशत लोग भारतीय मूल के हैं. अभी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी शहर में हैं. वह आज त्रिनिदाद और टोबैगो के दौरे पर गए हुए हैं. ऐसे में जानते हैं आखिर इस शहर का नाम पोर्ट ऑफ स्पेन क्यों रखा गया.  यह नाम सुनकर अजीब लगता है, स्पेन से 6000 से भी ज्यादा दूर बसे एक देश की राजधानी का नाम पोर्ट ऑफ स्पेन कैसे पड़ा?

पोर्ट ऑफ स्पेन एक ऐसा शहर है, जिसका निर्माण अलग-अलग संस्कृतियों के मिले-जुले प्रभाव से हुआ है. वैसे इस शहर का नाम स्पैनिश भाषा से लिया गया है और इसका पुराना नाम 'प्यूर्टो डी लॉस एस्पानोलेस' (Puerto de los Españoles) था. इसका मतलब होता है 'स्पैनियार्ड्स का पोर्ट' या 'स्पैनिश पोर्ट'. यानी स्पेन के निवासियों की बस्ती. यह नाम यहां स्पैनिश बस्तियों के बसने की वजह से पड़ा था. क्योंकि किसी जमाने में यहां स्पेन का राज हुआ करता था. समय के साथ इस नाम में भी काफी बदलाव आया और इसे पोर्ट ऑफ स्पेन के नाम से जाना जाने लगा. 

स्पैनिश साम्राज्य का महत्वपूर्ण बंदरगाह था पोर्ट ऑफ स्पेन
16वीं और 17वीं शताब्दी में स्पेन ने त्रिनिदाद और टोबैगो पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद स्पैनिश उपनिवेशवादियों ने पोर्ट ऑफ स्पेन शहर की स्थापना की थी. यहां पर कई स्पैनिश बस्तियां स्थापित की गईं.  पोर्ट ऑफ स्पेन उस समय स्पैनिश व्यापार और सैन्य गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया था. 

Advertisement

स्पैनिश लोगों से पहले यहां रहते थे अमेरिन्डियन लोग 
वैसे स्पैनिश लोगों के आने से पहले भी पोर्ट ऑफ स्पेन में इंसानी आबादी थी. यहां अमेरिन्डियन जनजाति के लोग रहते थे. स्पैनिश बस्तियां बसने से पहले इन अमेरिन्डियन समुदाय की एक बस्ती यहां हुआ करती थी,  जिसका नाम 'कुमुकुरापो' (Cumucurapo) था. इसका अर्थ 'रेशम के कपास के पेड़ों की जगह' होता है. यह बस्ती आज के मुकुरापो क्षेत्र में थी, जो पोर्ट ऑफ स्पेन के पश्चिम में स्थित है.

समय के साथ बदलता गया शहर का नाम 
स्पैनिश साम्राज्य के इस सबसे महत्वपूर्ण पोर्ट  'प्यूर्टो डी लॉस एस्पानोलेस' का नाम धीरे-धीरे बदला. पहले इसे 'पुर्टो डी एस्पाना' (Puerto de España) कहा जाने लगा. इसके बाद फिर इसे अंग्रेजी में पूरी दुनिया से 'पोर्ट ऑफ स्पेन' के नाम से पुकारने लगी. नाम में यह बदलाव समय के साथ विभिन्न शासकों के प्रभाव के कारण हुआ. क्योंकि स्पैनिश प्रभुत्व खत्म होने पर यहां अंग्रेजों का कब्जा हो गया था. 

अंग्रेजों ने इसे कहना शुरू किया था - पोर्ट ऑफ स्पेन 
1797 में ब्रिटिश सेना ने त्रिनिदाद पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद पोर्ट ऑफ स्पेन स्पैनिश नियंत्रण से निकलकर ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासन का केंद्र बन गया. इसके बाद ही शहर का नाम 'प्यूर्टो डी एस्पाना' से पोर्ट ऑफ स्पेन बना गया. क्योंकि अंग्रेजों ने इसे इंग्लिश में  पोर्ट ऑफ स्पेन कहना शुरू कर दिया. आज भी इस शहर को हम इसी नाम से जानते हैं. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: जोधपुर से भी छोटे त्रिनिदाद एंड टोबैगो में रहते हैं 40% भारतीय, इंडियन मूल की ही हैं यहां की PM

आज पोर्ट ऑफ स्पेन त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी है.  इसका नाम इसकी स्पैनिश विरासत को दर्शाता है.  शहर का विकास और विस्तार ब्रिटिश, फ्रेंच, और अन्य संस्कृतियों के प्रभाव से हुआ है, लेकिन इसका मूल नाम स्पैनिश ही रहा. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement