न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन की गलियों में अगर कभी आपको एक महिला दिखे, जिनके बाल चमकीले हरे हैं, कपड़े, जूते, चश्मा, यहां तक कि घर की दीवारें भी हरी हैं, तो समझ जाइए, आपने “ग्रीन लेडी” को देख लिया है. उनका असली नाम है एलिजाबेथ स्वीटहार्ट, लेकिन पूरी दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती है — The Green Lady of Brooklyn.

1941 में कनाडा के नोवा स्कोटिया में जन्मीं एलिजाबेथ बचपन से ही रंगों की दुनिया से जुड़ी रहीं. उनके लिए हर रंग की अपनी एक एनर्जी थी पर हरा रंग हमेशा उनके दिल के सबसे करीब रहा. शायद इसलिए क्योंकि हरे में प्रकृति शांति और जीवन है.

अपने हाथों से डिजाइन किए कई बड़े ब्रांड्स
1964 में, उन्होंने अपने सपनों को उड़ान देने के लिए न्यूयॉर्क शिफ्ट हो गई. कला और डिजाइन की दुनिया में नाम कमाने की ठानी और धीरे-धीरे उन्होंने फैशन इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई. उन्होंने माइकल कोर्स, केल्विन क्लेन, लिज क्लेबोर्न, अमेरिकन ईगल और राल्फ लॉरेन जैसे बड़े ब्रांड्स के लिए अपने हाथों से डिजाइन बनाए.

उनकी कला में रंगों की बारीकी और जीवन की झलक दिखती थी. 1987 में एलिजाबेथ ने अपना खुद का स्टूडियो शुरू किया — SweetPea Design Studio. यहां उन्होंने 15 साल तक काम किया और कई डिजाइनर्स को प्रेरित किया. लेकिन समय के साथ उन्होंने महसूस किया कि वो और भी गहराई में उतरना चाहती हैं.

किसी “ग्रीन म्यूज़ियम” से कम नहीं दिखता घर
उसी साल एलिजाबेथ ने एक बड़ा फैसला लिया.अब उनका पूरा जीवन हरे रंग के नाम होगा. सिर्फ कपड़े नहीं, बल्कि उनके घर का हर कोना, उनके जूते, उनके बर्तन, यहां तक कि बालों का रंग भी हरा! आज उनका घर किसी “ग्रीन म्यूज़ियम” से कम नहीं दिखता.

हरी दीवारें, हरे पर्दे, हरे पौधे, हरे कुशन, और हरे बर्तन. उनके पास 30 से ज़्यादा हरे जूतों के जोड़े हैं. जो भी उनके घर में कदम रखता है, उसे ऐसा लगता है मानो वो किसी अलग ही दुनिया में आ गया हो. एक ऐसी दुनिया जो शांति, ऊर्जा और खुशी से भरी है.
“हरे रंग में एक जादू है''
एलिज़ाबेथ कहती हैं- हरे रंग में एक जादू है. जब मैं हरे कपड़ों में बाहर जाती हूं, तो लोग मुस्कुराते हैं. वो मुस्कान मुझे लगता है, यही तो असली कला है. लोगों के चेहरे पर खुशी लाना. उनके लिए हरा रंग सिर्फ रंग नहीं, एक जीवन दर्शन है. यह उन्हें हर दिन याद दिलाता है कि सुंदरता सादगी में है, और खुशी दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाने में.

एलिज़ाबेथ की दुनिया हमें सिखाती है कि कभी-कभी “अलग होना” ही असली कला है. लोग उन्हें देखकर हैरान होते हैं, कुछ मजाक उड़ाते हैं, पर एलिजाबेथ के लिए यही तो जीवन की खूबसूरती है- अपने रंग में जीना, बिना किसी डर या झिझक के. आज वो न केवल एक आर्टिस्ट हैं, बल्कि एक जीती-जागती कला का रूप बन चुकी हैं. उनकी कहानी बताती है-अगर दिल में जुनून हो, तो हर रंग जिंदगी का त्योहार बन सकता है.