अगली पीढ़ी के युद्ध रोबोट और AI सपोर्टेड रोबोटिक ड्रोन व कुत्तों से लड़ा जाएगा. चीन ऐसे ही अत्याधुनिक एआई संचालित हथियार बनाने में जुटा है. उसका कंपीटिशन अमेरिका से है, जो एआई पावर्ड ऑटोनोमस ड्रोन की फौज तैयार कर रहा है. ऐसे में जानते हैं क्या है चीन का AI सपोर्टेड रोबोटिक डॉग, जो अब सैनिकों के साथ युद्ध लड़ेंगे.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकारी रक्षा कंपनी नोरिन्को ने फरवरी में एक मिलिट्री वाहन तैयार किया है, जो 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ऑटोमेटिक रूप से कॉम्बेट सपोर्टेड कैंपेन चला सकेगा. यह चीन के AI डीपसीक से ऑपरेटेड है.
एआई तकनीक से लड़े जाएंगे भविष्य के युद्ध
चीन में मिलिट्री अभियान में AI एप्लिकेशन के इस्तेमाल से जुड़े सैकड़ों रिसर्च पेपर, पेटेंटों और खरीद रिकॉर्डों की रॉयटर्स ने समीक्षा की. उसके अपनी रिपोर्ट में बताया कि कैसे एआई से संचालित रोबोट, रोबोटिक एप्लिकेशन और ड्रोन की मदद से भविष्य के युद्ध लड़े जाएंगे.
चीन बना रहा AI सपोर्टेड रोबोटिक डॉग
ऐसे ही एक दस्तावेज के अनुसार, चीन एआई-संचालित रोबोट कुत्तों पर बनाने पर विचार कर रहा है. ये रोबोटिक डॉग झुंड में युद्ध मैदान में उतरेंगे और संभावित टारगेट को ट्रैक कर आसमान में उड़ रहे ड्रोन को इसकी सूचना देंगे.
एक वॉर गेम कंसोल की तरह कमांड सेंटर काम करेंगे. ये AI सपोर्टेड रोबोटिक डॉग और ड्रोन खुद ब खुद टारगेट और संभावित खतरों को ट्रैक कर इनकी सूचना विजुअल इमर्सिव कमांड सेंटर को भेजेंगे, फिर वहां से इन्हें आगे की कार्रवाई के लिए कमांड मिलेगा.
किसी वॉर वीडियो गेम की तरह लड़े जाएंगे युद्ध
ये ठीक एक वीडियो गेम की तरह होगा. कहीं दूर बैठकर कमांड सेंटर के कंसोल में कोई बैठा रहेगा और इन रोबोटिक कुत्तों और ड्रोन की मदद से हर एक चीज देखता रहेगा. ये एआई सपोर्टेड अत्याधुनिक वॉर एप्लिकेशन खुद से तत्काल फैसले लेने और कार्रवाई करने में सक्षम होंगे.
ऐसे काम करेंगे रोबोटिक्स डॉग
नवंबर 2024 में चीनी सेना पीएलए (पिपुल्स लिबरेशन आर्मी) ने एआई-संचालित रोबोट कुत्तों के लिए एक साई-फाई निविदा जारी की थी, जो युद्ध के मैदान में खतरों की तलाश कर सकें और विस्फोटक या लैंड माइंस जैसे खतरों को दूर करेंगे.
कैसे काम करेंगे एआई डॉग
आसमान में उड़ रहे ड्रोन कुछ सेकंड में जमीन पर वॉर जून में फैले रोबोटिक कुत्तों को पूरे वॉर जोन की हजारों तस्वीरें भेजेंगे. फिर ये इनको सेकंड भर में एनालिसिस कर संभावित खतरे या टारगेट की सूचना देंगे या फिर कमांड मिलने पर ये एआई सपोर्टेड आर्म्ड रोबोटिक डॉग एक्शन लेने में भी सक्षम होंगे.
मिलिट्री एक्सरसाइज में हिस्सा ले चुकें हैं रोबोटिक डॉग्स
रॉयटर्स यह नहीं बता सका कि यह निविदा पूरी हुई या नहीं. सरकारी मीडिया में जारी तस्वीरों के अनुसार, चीन पहले भी सैन्य अभ्यासों में एआई रोबोटिक्स निर्माता यूनिट्री के आर्म्ड रोबोट कुत्तों को तैनात कर चुका है.
पिछले दो वर्षों में प्रकाशित पेटेंट, निविदाओं और शोध पत्रों की समीक्षा से पता चलता है कि कैसे पीएलए और इससे संबद्ध एजेंसियां मिलिट्री प्लानिंग में सुधार के लिए एआई पर निर्भर हो रही है. इसमें सैटेलाइट और ड्रोन द्वारा ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के लिए टेक्नोलॉजी विकसित करना भी शामिल है.
काफी कम समय में इंफोर्मेशन एनालाइज करेगें एआई एप्लीकेशंस
लैंडशिप इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने, जो नोरिंको सहित मिलिट्री वाहनों को एआई प्रणालियों से लैस करने वाली एक चीनी कंपनी है, उसने फरवरी में कहा था कि हुआवेई चिप्स पर निर्मित इसकी तकनीक उपग्रह इमेजरी से लक्ष्यों की तेजी से पहचान कर सकती है, जबकि ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए रडार और विमान के साथ समन्वय कर सकती है.
इसी संस्थान के शोधकर्ताओं ने मई में जारी अपने निष्कर्षों के सारांश में कहा कि उनकी डीपसीक-संचालित प्रणाली 48 सेकंड में 10,000 वॉर जोन तस्वीरों का आकलन करने में सक्षम है. ऐसे दस्तावेजों से पता चलता है कि चीनी मिलिट्री यूनिट्स तेजी से ऑटोनोमस वॉर जोन टेक्नोलॉजी में निवेश कर रही हैं.
कई सारे पेटेंट और रिसर्च पेपर के स्टडी से निकला निष्कर्ष
रॉयटर्स द्वारा दो दर्जन निविदाओं और पेटेंटों के एनालिसिस से पता चलता है कि सेना ड्रोनों में एआई को लैस करने का प्रयास कर रही है, ताकि वे लक्ष्यों को पहचान सकें और उनका पता लगा सकें, साथ ही कम मानवीय हस्तक्षेप के साथ एक साथ मिलकर काम कर सकें. एआई से लैस रोबोटिक डॉग्स भी इसी का एक अहम हिस्सा है.