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81 साल बाद लाइब्रेरी को लौटाई किताब, पेज नंबर-17 पर लिखा था कुछ ऐसा

हाल में एक लाइब्रेरी को किसी ने किताब लौटाई तो वहां का स्टाफ उसे देखकर हैरान रह गया. दरअसल ये किताब कुल 81 साल पहले इशू कराई गई थी. जब स्टाफ ने किताब को खोलकर देखा तो इसमें एक अजीब मैसेज भी था.

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81 साल बाद लाइब्रेरी को लौटाई किताब
81 साल बाद लाइब्रेरी को लौटाई किताब

लोग लाइब्रेरी जाते हैं, किताबें पढ़ते हैं और कई बार कुछ दिनों के लिए इसे इशू भी करा लेते हैं. इसे अपने पास रखने की एक समय सीमा होती है. तब तक अगर इसे लाइब्रेरी को न लौटाया जाए तो हर एक दिन का फाइन लगता है. लेकिन हाल में जब एक शख्स लाइब्रेरी की किताब लौटाने के लिए आया तो वहां का स्टाफ हैरान ही रह गया. दरअसल ये किताब 30 मार्च 1942 को इशू कराई गई थी. यानी इसके कुल 81 साल बाद लौटाया जा रहा था. मामला अमेरिका में वाशिंगटन के एबरडीन का है.

'पुराने सामान में पड़ी मिली थी'

लाइब्रेरी ने अपने फेसबुक पेज पर जानकारी दी कि- चार्ल्स नॉरडॉफ और जेम्स नॉर्मन हॉल की किताब "द बाउंटी ट्रिलॉजी" 81 साल बाद  एबरडीन टिम्बरलैंड लाइब्रेरी में वापस आई है. दरअसल लाइब्रेरी की ये किताब किसी को पुराने सामान में पड़ी मिली थी.

पेज नंबर-17 पर लिखी थी ऐसी बात

KIRO7 न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जिस भी व्यक्ति ने ये किताब ली थी वह केवल पेज 17 तक पढ़ पाया था और वहां उसने एक नोट लिखा था जिसमें कहा गया था, "अगर मुझे पैसा दिया जाए तो भी मैं इस किताब को कभी न पढूं." इसका सीधा मतलब है कि शख्स को ये किताब बिलकुल पसंद नहीं आई थी.

पेंसिल से लिखा था- कोई पैसा दे तब भी न पढ़ूं

लेट फीस का हिसाब लगाया तो...

लाइब्रेरी के अधिकारियों ने हिसाब लगाया की कि किताब की लेट फीस कितनी होगी तो रविवार और छुट्टियों को छोड़कर, प्रति दिन 2 सेंट के 1942 के रेट के हिसाब से ये $484 (लगभग 40 हजार रुपये)  बनता है. हालांकि, लाइब्रेरी ने COVID-19 महामारी के दौरान लेट फीस को पूरी तरह खत्म कर दिया था.

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हम इसे तोहफा समझकर...

फेसबुक पोस्ट में लाइब्रेरी ने मजेदार अंदाज में आगे कहा "इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है? यदि आपके पास कोई इशू कराई किताब धूल खा रही है तो उसे लाइब्रेरी में वापस कर दें. "हम इसे तोहफा समझकर लेंगे और फाइन नहीं मांगेंगे.


 

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