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बैतूल: 88 साल पहले इस मकान में रुके थे गांधी जी, संभाल कर रखा गया है बापू का विदेशी ब्लेड

मध्य प्रदेश के बैतूल में गांधी जी की स्मृतियां ओझल न हो, इसलिए घर में काई बदलाव नहीं क‍िया, 88 साल पहले जहां गांधी जी रुके थे, आज भी वैसा ही है गोठी का मकान, बापू के विचारों और यादों को ऐसे संजोया क‍ि नहीं किया मकान में बदलाव.

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गांधी जी की याद में संजोया गया मकान.
गांधी जी की याद में संजोया गया मकान.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 150 साल पुराने मकान को संवार कर रखा है मकान माल‍िक ने
  • 88 साल पहले इस घर में रुके थे गांधी जी

मध्य प्रदेश के बैतूल में एक ऐसा मकान है जिसमें 88 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. असल में 88 साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बैतूल आए थे और इस मकान में रुके थे. मकान के मालिक कोठी परिवार ने बापू की स्मृतियों को सहेजने के लिए मकान में कोई बदलाव किया और यहां तक क‍ि जिस पलंग पर बापू सोए थे, उसे भी संभाल के रखा है और बापू के चरखे को भी संभाल के रखा है.

बैतूल के रमन गोठी एक ऐसे ही शख्स है जिन्होंने अपने लगभग डेढ़ सौ साल पुराने मकान को सिर्फ इसलिए तोड़ा, संवारा नहीं क्योंकि उस मकान में महात्मा गांधी रुके थे. 1933 में  हरिजन उद्धार कार्यक्रम के तहत बैतूल आये बापू, सेठ जी के बगीचे के नाम से प्रसिद्ध इस मकान में अपने कार्यकर्ताओं के साथ ठहरे थे.

यह बगीचा एक समय में देश में आम की खास किस्मों के लिए पहचाना जाता रहा है. मकान में गांधी का रुकना रमन को इतना भाया कि उन्होंने अपने पुराने मकान में कोई बदलाव नहीं किये. उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि कहीं इससे गांधीजी की स्मृतियां ओझल न ही जाएं. यही वजह है कि अस्सी साल बाद भी गोठी का यह मकान वैसा ही है जैसा 1933 में था.

यही नहीं, उन्होंने गांधी जी के चरखे और उस विदेशी यूएसए मेड ब्लेड को भी संभाल कर रखा है जिससे बापू धागा काटा करते थे.

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रमन गोठी का कहना है कि महात्मा गांधी जी 1933 में बैतूल आए थे और हमारे घर पर रुके थे. हमने घर को यथावत रखा है और उनकी स्मृतियों को भी संजो कर रखा है.

गोठी परिवार के सदस्य प्रफुल्ल का कहना है कि 88 साल पहले बापूजी बैतूल आए थे और हमारे घर पर रुके थे. आज भी उनकी सामग्री हमारे पास है. कई लोग मेरे घर को देखने आते हैं. 

 

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