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‘मैंने कॉरपोरेट छोड़ दिया…,’ बेंगलुरु की ट्रैफिक और महंगे किराए ने तोड़ी हिम्मत, पोस्ट हुई वायरल

सोशल मीडिया पर एक कॉरपोरेट कर्मचारी ने नौकरी छोड़ने का ऐलान किया. इसके पीछे उसने कई वजहें बताईं. सबसे पहले उसका कहना था कि आईटी सेक्टर का पूरा फोकस बेंगलुरु जैसे शहर पर है और इसी कारण यह शहर पूरी तरह जाम हो चुका है. साथ ही उसने यह सवाल भी उठाया कि भारत सिर्फ कुछ चुनिंदा शहरों में ही जॉब सेक्टर का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों विकसित करता है.

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शख्स की शिकायत थी कि नौकरी ने उसकी निजी जिंदगी छीन ली  (Representational Image: AI-Generated)
शख्स की शिकायत थी कि नौकरी ने उसकी निजी जिंदगी छीन ली (Representational Image: AI-Generated)

बेंगलुरु के एक कॉरपोरेट कर्मचारी की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छेड़ दी है. रेडिट पर डाली गई इस पोस्ट का कैप्शन था-मैंने कॉरपोरेट छोड़ दिया, जिसमें कर्मचारी ने नौकरी छोड़ने के पीछे की वजहें शेयर कीं. इसमें उन्होंने बर्नआउट, काम और निजी जीवन के बीच संतुलन की कमी, शहर की अव्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर और बढ़ती महंगाई का जिक्र किया.

कर्मचारी ने लिखा कि यहां कोई वर्क-लाइफ बैलेंस नहीं है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य मजाक बन गया है. शहर ट्रैफिक से जाम है, ठीक से इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है. महंगाई और टैक्स के कारण न बचत हो पा रही है और न ही निवेश.

बेंगलुरु की हालत पर नाराजगी

बिजनेस टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्ट में कर्मचारी ने शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी असंतोष जताया. उन्होंने कहा कि मैंने कन्नड़ सीखी है, 85% समझ लेता हूं और करीब 65% बोल लेता हूं. इसमें 1.6 साल लगे. मुझे डोन्ने बिरयानी हैदराबादी से ज्यादा पसंद है, लेकिन शहर घुट रहा है.

उन्होंने आगे लिखा कि कंपनियों का एक ही शहर पर ध्यान केंद्रित करना भी समस्या है. मुझे लगता है कि कई और शहर हैं जिनका इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है. वहां कंपनियों को बांटना चाहिए, वरना एक ही शहर पर दबाव पड़ने से रियल एस्टेट की कीमतें बढ़ जाती हैं.

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एंटरप्रेन्योरशिप की ओर कदम

कर्मचारी ने यह भी खुलासा किया कि उन्होंने एंटरप्रेन्योरशिप शुरू करने का फैसला लिया है, हालांकि अभी तय नहीं किया कि किस क्षेत्र में काम करेंगे. मैंने नौकरी छोड़ दी है और अब अपना बिजनेस शुरू करने का मन बनाया है, लेकिन फिलहाल तय नहीं है कि किस दिशा में आगे बढ़ना है.

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

यह पोस्ट कई लोगों को अपनी कहानी जैसी लगी और उन्होंने भी लंबे सफर, तनाव और बर्नआउट के अनुभव साझा किए. हालांकि, प्रतिक्रियाएं अलग-अलग रहीं। कुछ लोगों ने चेतावनी दी कि भारत में  एंटरप्रेन्योरशिप नौकरी से कहीं ज्यादा कठिन है.

एक यूजर ने लिखा कि अगर आपको लगता है कि स्टार्टअप शुरू करने से वर्क-लाइफ बैलेंस मिलेगा, तो आप बड़ी भूल कर रहे हैं.

दूसरे ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि भारत एक विकासशील देश है और हमारे पास संसाधन भी सीमित हैं. इसलिए यहां किसी भी इंसान को वर्क-लाइफ बैलेंस की उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए.

कुछ यूजर्स ने कर्मचारी के अनुभव पर भी सवाल उठाया. एक अन्य यूजर ने लिखा कि परिवार का बिजनेस हर किसी के पास विकल्प के तौर पर नहीं होता, दो साल और तीन कंपनियों के बाद नौकरी छोड़ना सही निर्णय नहीं लगता.

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