मिस्र की संसद ने देश के सैन्य शासकों पर नवगठित सांसद की पहली बैठक होने के पहले ही नया राष्ट्रपति चुनाव कानून लागू करने का कदम उठाकर अपनी शक्तियों की हद पार करने का आरोप लगाया है.
इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिये नियम तय करने वाला कानून और अन्य सैन्य आदेश नई संसद और जनरलों के बीच रिश्तों की अग्निपरीक्षा साबित हो सकते हैं. करीब एक साल पहले पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के पद से हटने के बाद इन जनरलों ने सत्ता संभाली थी.
उधर, संसद के बाहर प्रदर्शनकारियों और मुस्लिम ब्रदरहुड के समर्थकों के बीच झड़प हुई जिसके बाद सुरक्षा बलों को हरकत में आना पड़ा. मुबारक को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाले युवा प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि सांसद सैन्य जनरलों से मिल गए हैं और उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है.
ब्रदरहुड का 528 सदस्यीय संसद में करीब आधी सीटों पर कब्जा है और इस पार्टी ने संसद के भीतर 19 विशेषज्ञ समितियों में से रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा समिति सहित 11 पर नियंत्रण हासिल कर लिया है.
प्रदर्शनकारी संसद भवन की इमारत के बाहर नारे लगा रहे थे ‘तुमने क्रांति को बेच दिया.’ मिस्र की एंबुलेंस सेवा के प्रमुख ने बताया कि प्रदर्शनों में करीब 71 लोग घायल हो गए और उनमें से 30 का अस्पतालों में उपचार किया गया.