हुस्नी मुबारक के निरंकुश शासन के पतन के नौ महीने बाद मिस्रवासियों ने सोमवार को क्रांति के बाद के पहले संसदीय चुनाव के लिए वोट डाला जिससे अरब जगत के इस सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश में लोकतंत्र के सूत्रपात की आस जगी है.
जैसा कि फील्ड मार्शल हुसैन तंतावी की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ सैन्य परिषद ने वादा किया है, उसके अनुसार, तीन चरणों में होने वाला यह चुनाव नागरिक
शासन को सत्ता सौंपने की दिशा में पहला कदम है. हालांकि चुनाव से पहले लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों और दंगारोधी पुलिस में काफी संघर्ष हुआ. मुबारक के सत्ता से हटने के बाद इस परिषद ने देश की बागडोर अपने हाथों में संभाली थी.
नौ प्रांतों में कड़ी सुरक्षा के बीच वोट डालने के लिए सोमवार को स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे से ही हजारों मिस्रवासी मतदान केंद्रों पर लंबी लंबी कतारों में खड़े थे जबकि मतदान शुरू होने का समय आठ बजे था. संसद के निचले सदन पीपुल्स असेम्बली की 508 सीटों के लिए चुनाव का पहला चरण है.
हाई ज्यूडिशियल एलेक्शन कमीशन के प्रमुख अब्दुल मोएज इब्राहिम ने मतदान प्रतिशत के प्रारंभिक अनुमान बताए बगैर कहा कि यह उम्मीदों से भी कहीं ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा समस्याओं को लेकर मैं बहुत परेशान था लेकिन ऐसी किसी समस्या की कोई खबर नहीं है. अधिकारी ने माना कि कुछ इलाकों
में देरी से मतपत्र पहुंचने जैसी कुछ छोटी मोटी समस्याएं हुईं. उन्होंने कहा कि लेकिन हम उसे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. पचास से अधिक राजनीतिक
दल चुनाव मैदान में हैं जबकि हजारों निर्दलीय प्रत्याशी भी ताल ठोक रहे हैं. पर्यवेक्षकों ने नरमपंथी इस्लाममिक आंदोलन मुस्लिम ब्रदरहुड के सबसे बड़े दल के
उभरने का अनुमान व्यक्त किया है. पूर्ण बहुमत किसी दल को मिलने की संभावना नहीं है.
सोमवार और मंगलवार को मुख्य शहर काहिरा, अल फय्याम, एलेक्जैंड्रिया फयुम, लुक्ओर, पोर्ट सैड, डमिएटा, कफर अल-शेख और रेड सी प्रांतों में मतदान हो रहा है. मतदान केंद्रों पर मतदाताओं में गजब का उत्साह देखा गया.
सेवानिवृत्त शिक्षक अब्दुल अल खलिक ने कहा कि मैं 70 साल का हूं और पहले कभी वोट नहीं डाला. मैं सोचता था कि ऐसा मौका आएगा, उससे पहले ही मैं चल बसूंगा. अधेड़ उम्र के एक अन्य मतदाता ने कहा कि यह पहली बार है कि उसे महसूस हुआ है कि क्रांति का सकारात्मक परिणाम होता है. अन्य मतदाताओं में भी उत्साह देखा गया. इस क्रांति ने ही 30 साल से सत्ता में जमे मुबारक को बाहर का रास्ता दिखाया था.
कुछ मतदाताओं ने उन युवकों को ‘अयथार्थवादी’ करार दिया जो सर्वोच्च सशस्त्र बल परिषद के तत्काल इस्तीफा की मांग करते हुए काहिरा के तहरीर चौराहे
पर धरने पर बैठे हैं. कुछ मतदान केंद्रों के बाहर थोड़ी बहुत समस्याएं हुईं और उसकी मुख्य वजह कुछ खास उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार का प्रयास था.
महिला और पुरूषों के लिए अलग अलग मतदान केंद्र बने थे.
महिला मतदान केंद्र पर मतदाताओं को इस्लामिकों के लिए मतदान के लाभ पर चर्चा करते हुए देखा गया. काहिरा और कुछ अन्य शहरों में रात की बारिश की वजह से कई मतदाताओं को मतदान केंद्रों पर पहुंचने में दिक्कत हुई. मिस्र के 27 प्रांतों में तीन अलग-अलग दौर में मतदान होगा. यह प्रक्रिया जनवरी तक चलेगी और फिर पीपुल्स एसेम्बली का निर्वाचन होगा. अंतिम नतीजे 13 जनवरी को आने की संभावना है.
मतदाताओं को संसद के निचले सदन के 498 सदस्यों को चुनना है जबकि अन्य 10 सदस्यों को अंतरिम सेना के नेता फील्ड मार्शल हुसैन तंतावी नियुक्त
करेंगे. इसके बाद मतदाता 29 जनवरी को संसद के उच्च सदन शूरा कौंसिल के लिए मतदान करेंगे. इस सदन की केवल सलाहकार की भूमिका होती है.