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सेंसर युक्त झूला बनाकर जापान जा रहे छात्र की राह में रोड़ा बना कोरोना, आर्थिक रूप से कमजोर है परिवार

सेंसर युक्त झूला बनाकर जापान जा रहे छात्र की राह में रोड़ा बना कोरोना
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कोरोना ने न केवल कई परिवारों के जीवन तबाह किए, बल्कि कई प्रतिभाओं की राह में रोड़ा भी बनी है. आज हम ऐसी प्रतिभा के बारे में बताने जा रहे हैं जिस की राह में कोरोना वायरस रोड़ा बन गया. अब उस प्रतिभा को सपने साकार करने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत पड़ रही है.
 

सेंसर युक्त झूला बनाकर जापान जा रहे छात्र की राह में रोड़ा बना कोरोना
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आपको बता दें कि जालौर जिले के मडगांव निवासी प्रतिभाशाली विद्यार्थी जितेंद्र कुमार पुत्र मीठालाल मेघवाल ने सेंसर युक्त एक झूले का निर्माण किया था. वर्ष 2019 में उसके सेंसर युक्त झूले का मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी हुआ था. इसकी प्रदर्शनी राष्ट्रपति भवन में भी लगी. जीतू की प्रतिभा को देखते हुए देश के उन 60 बच्चों में शामिल कर लिया गया जिन्हें 19 से 25 अप्रैल 2020 को जापान में आयोजित होने वाले एक आयोजन में शामिल होना था लेकिन कोरोनाकाल के कारण आयोजन निरस्त हो गया.

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जीतू ने इसके लिए खूब तैयारी भी की थी लेकिन कोरोना काल के कारण वह जापान नहीं जा सका. जीतू के मॉडल को देखते हुए जापान के तकनीकी संस्थान स्कॉलरशिप में पढ़ाने को भी तैयार है लेकिन जीतू के लिए वहां आने-जाने में अब आर्थिक स्थिति रोड़ा बन रही है.

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जीतू के परिवार में उसके पिता मजदूरी करते हैं तथा पांच बहनों के बीच में इकलौता भाई है. जीतू नए आइडियाज पर कार्य करना चाह रहा है लेकिन आर्थिक कमजोरी आड़े आ रही है. यही वजह है कि जीतू अभी तक बड़गांव की राजकीय सीनियर माध्यमिक स्कूल में ही पढ़ाई करता रहा. अब उसने सीनियर पास की है और इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए जापान में पढ़ाई करना चाह रहा है लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण परेशानी हो रही है.

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जीतू ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार भी मिला है. जीतू ने सेंसर वाला एक झूला बनाया है. इस झूले में सो रहा बच्चा अगर रोए तो वह अपने आप शुरू हो जाएगा. झूले की निगरानी कहीं और से भी बैठा परिवार आसानी से कर सकता है. झूले में कई प्रकार के सेंसर लगे हुए हैं और अगर बच्चा रो रहा है तो झूला अपने आप शुरू हो जाता है.

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इतना ही नहीं बच्चा अगर गीला होता है तो सायरन बजना शुरू हो जाता है. किसी प्रकार का कोई जानवर झूले की तरफ आए तो भी सायरन शुरू हो जाता है. अगर बच्चे की मम्मी बाजार गई हुई है और वह बच्चे को कोई समस्या हो रही है तो उसके के मोबाइल पर एक एसएमएस जाएगा और उस एसएमएस को खोलते ही एक वीडियो ओपन होगा जिसमें सेंसर उस वीडियो के जरिए उस समस्या का समाधान कर देंगे. 

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जितेंद्र कुमार की ओर से बनाए गए झूले में विभिन्न प्रकार के सेंसर युक्त झूले की तकनीक के कारण इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर नवाजा गया है. जीतू की तकनीक को मजबूती प्रदान करने के लिए जापान से बुलावा था, लेकिन कोरोना काल के कारण वह नहीं जा सका. अब उसे इस तकनीक में और मजबूती हासिल करने के लिए आर्थिक स्थिति की मदद की जरूरत पड़ रही है ताकि वह जापान जाकर अपने सपने साकार कर सके.

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जीतू ने बताया कि उसकी इस मेहनत के पीछे उनके शिक्षक ऋषिराज सैनी का बड़ा मार्गदर्शन काम आया है. उसने बताया कि वह जापान सरकार की ओर से मिल रही स्कॉलरशिप में पढ़ने करने को तैयार है लेकिन यहां से उसे आने जाने में आर्थिक मदद की जरूरत पड़ रही है. उसका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण यह व्यवस्था नहीं कर पा रहा है. अब जितेंद्र को आर्थिक मदद की जरूरत है जिससे वह अपने सपनों को साकार कर सकें और देश व प्रदेश का नाम रोशन कर सकें.
 

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