जब हम 31 दिसंबर की रात को 12 बजने का इंतजार कर रहे होते हैं, तब दुनिया का एक कोना ऐसा भी होता है जहां लोग नया साल मनाकर सो भी चुके होते हैं. एक छोटा सा देश पूरी दुनिया को पीछे छोड़कर सबसे पहले नए साल में कदम रख देता है.
जब हम 31 तारीख की शाम को ऑफिस से घर लौट रहे होते हैं या रात के खाने का इंतजाम कर रहे होते हैं, तब दुनिया का एक कोना ऐसा भी होता है, जहां लोग नया साल मनाकर सो भी चुके होते हैं. ये कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि टाइम जोन का वो खेल है, जिसमें एक छोटा सा देश पूरी दुनिया को पीछे छोड़कर सबसे पहले कल में कदम रख देता है.
वैसे तो नए साल के पहले जश्न की बात आती है, तो हमारे दिमाग में सिडनी के ओपेरा हाउस की आतिशबाजी या न्यूजीलैंड के खूबसूरत नजारे घूमने लगते हैं. लेकिन सच तो ये है कि कुदरत ने समय की पहली किरण का हक किसी महाशक्ति को नहीं, बल्कि प्रशांत महासागर के बीचों-बीच बसे एक छोटे से देश को दिया है. इसका नाम है किरिबाती. इसे 'क्रिसमस आइलैंड' के नाम से भी जाना जाता है. टाइम जोन के गणित में किरिबाती दुनिया के बाकी देशों से इतना आगे है कि यहां साल का पहला सूरज सबसे पहले अपनी चमक बिखेरता है. जब हम भारत में 31 दिसंबर की शाम की चाय पी रहे होते हैं, तब यहां के लोग आतिशबाजी कर नए साल का स्वागत कर चुके होते हैं और वहां इतिहास दर्ज हो चुका होता है.
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किरिबाती में सबसे पहले बदलता है कैलेंडर
समय का खेल बड़ा निराला है. आज की इस भागती-दौड़ती दुनिया में कुल 38 अलग-अलग लोकल टाइम जोन काम करते हैं. कहीं सूरज जल्दी उगता है, तो कहीं दिन की शुरुआत काफी देर से होती है. किरिबाती इसी 'मानक समय क्षेत्र' की रेस का असली सिकंदर है. प्रशांत महासागर के सुदूर पूर्व में स्थित होने की वजह से इसे अंतरराष्ट्रीय तिथि रेखा के सबसे करीब होने का फायदा मिलता है. यही वजह है कि किरिबाती में जब नया साल दस्तक देता है, तो भारत में सुबह के 5 बज रहे होते हैं (EST के हिसाब से). यानी जब हम सोकर उठते हैं, तब तक किरिबाती के लोग अपना नया साल का पहला संकल्प भी ले चुके होते हैं.
समंदर की लहरों के साथ शुरू होता है न्यू ईयर
किरिबाती सिर्फ समय की रेस में ही सबसे आगे नहीं है, बल्कि खूबसूरती के मामले में भी यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है. 33 छोटे-छोटे द्वीपों (एटॉल) से मिलकर बने इस देश की नीली लहरें और सफेद रेत पहली नजर में ही किसी का भी मन मोह लेती हैं. नए साल के मौके पर यहां के समुद्री तटों को किसी दुल्हन की तरह सजाया जाता है. दुनिया भर से सैलानी इस टापू पर सिर्फ इसलिए खिंचे चले आते हैं ताकि वे उस पल के गवाह बन सकें, जिसे पूरी दुनिया कुछ घंटों बाद जीने वाली होती है. समंदर की गोद में बसा यह शांत इलाका उन लोगों के लिए बेहतरीन अनुभव है, जिन्हें शोर-शराबे वाली पार्टियों से हटकर प्रकृति के बीच नया साल मनाना पसंद है.
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भारत से पहले 40 देश मना लेते हैं जश्न
सुनकर शायद थोड़ा अजीब लगे, लेकिन भारत में नया साल आने से पहले दुनिया के करीब 40 देश अपना जश्न पूरा कर चुके होते हैं. किरिबाती के बाद नंबर आता है न्यूजीलैंड के चैथम द्वीप का, जहां भारतीय समयानुसार दोपहर 3:45 बजे ही नया साल शुरू हो जाता है. इसके बाद धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया, जापान और फिर यूरोप होते हुए यह जश्न भारत पहुंचता है. पिछले कई सालों से किरिबाती ने सबसे पहले नए साल का स्वागत करने का अपना यह रिकॉर्ड बरकरार रखा है.