जब सर्दी की गुलाबी धूप जयपुर के किलों की प्राचीर से टकराती है, तो पूरा शहर किसी शाही ख्वाब की तरह सज उठता है. लेकिन साल 2026 की शुरुआत कुछ और भी खास होने वाली है, क्योंकि इस बार नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर सिर्फ धुंध भरा सूर्योदय नहीं होगा, बल्कि हवाओं में किताबों की खुशबू और विचारों की गूंज भी सुनाई देगी. जयपुर की गलियां इन दिनों सिर्फ पर्यटकों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के बुद्धिजीवियों के लिए पलकें बिछाए बैठी हैं. अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो इतिहास के पन्नों को करीब से महसूस करना चाहते हैं और जौहरी बाजार की रौनक के बीच राजस्थानी संस्कृति के रंगों में डूबना चाहते हैं, तो यह मौका आपके लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है.
दरअसल, 'धरती का सबसे बड़ा साहित्यिक आयोजन' यानी जयपुर साहित्य महोत्सव (JLF) अपने 19वें संस्करण के साथ वापसी कर रहा है. यह सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एक एहसास है जहां दाल-बाटी चूरमा के स्वाद के साथ वैश्विक राजनीति, विज्ञान और कला पर चर्चा होती है. जनवरी 2026 में जब आप इस महोत्सव का हिस्सा बनेंगे, तो जयपुर का कोना-कोना आपको एक नई कहानी सुनाएगा. 15 से 19 जनवरी तक चलने वाला यह उत्सव आपको न केवल ज्ञान की दुनिया में ले जाएगा, बल्कि गुलाबी शहर की उन गलियों से भी रूबरू कराएगा जहां हर दीवार का अपना एक गौरवशाली इतिहास है.
साहित्यिक चर्चाओं का वैश्विक मंच
जनवरी की 15 तारीख से शुरू होने वाला यह पांच दिवसीय महोत्सव दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक आयोजनों में गिना जाता है. होटल क्लार्क्स अमेर में जुटने वाली यह भीड़ केवल किताबी कीड़ों की नहीं होती, बल्कि यहां राजनीति, विज्ञान और कला जगत के दिग्गज भी अपनी बात रखने पहुंचते हैं. अभिव्यक्ति की आजादी और गंभीर विषयों पर चर्चा के साथ-साथ यहां आपको लेखकों से रूबरू होने और उनकी किताबों पर ऑटोग्राफ लेने का मौका भी मिलता है.
19 जनवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है, लेकिन जयपुर आने का मतलब सिर्फ पंडालों तक सीमित रहना नहीं है. इस माहौल का पूरा मजा तब आता है जब आप महोत्सव के सत्रों के बीच समय निकालकर शहर की ऐतिहासिक इमारतों की सैर पर निकल पड़ते हैं.
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ऐतिहासिक स्मारकों की बेमिसाल कारीगरी
जयपुर की असली खूबसूरती को करीब से देखने की शुरुआत आप सिटी पैलेस से कर सकते हैं, जहां मुगल और राजस्थानी कला का ऐसा संगम दिखता है, जो आज भी 17वीं सदी की भव्यता को जीवंत किए हुए है. इसके ठीक बाद आपकी नजरें हवा महल की उन 953 खिड़कियों को ढूंढेंगी, जो मधुमक्खी के छत्ते जैसी बारीक नक्काशी के लिए जानी जाती हैं. सुबह के वक्त यहां की जालीदार दीवारों से छनकर आती धूप आपको मंत्रमुग्ध कर देगी. यहीं पास में स्थित जंतर-मंतर को देखना किसी अजूबे से कम नहीं है, जहां यूनेस्को की धरोहर के रूप में रखे खगोलीय यंत्र आपको प्राचीन विज्ञान की ताकत का अहसास कराएंगे. इन ऐतिहासिक गलियों से निकलते ही जब आप मान सागर झील के किनारे पहुंचेंगे, तो पानी पर तैरता हुआ जल महल आपकी फोटोग्राफी के शौक को एक नया आयाम देगा.
राजस्थानी स्वाद और हस्तशिल्प की चमक
सिर्फ इमारतें ही नहीं, जयपुर का स्वाद भी आपकी इस यात्रा को कभी न भूलने वाला अनुभव बना देगा. गुलाबी शहर की सैर तब तक अधूरी है जब तक आप यहां की गरमा-गरम प्याज कचौरी न चख लें. इतना ही नहीं दाल बाटी चूरमा की थाली और ऊपर से घेवर की मिठास आपकी थकान को पल भर में मिटा देती है. पेट पूजा के बाद जब आप खरीदारी के लिए बाजारों का रुख करेंगे, तो कुंदन के गहने और ब्लॉक-प्रिंटेड कपड़ों की चमक आपको खाली हाथ नहीं लौटने देगी. बापू बाजार और जौहरी बाजार में बंधानी दुपट्टों की खरीदारी करते हुए आप स्थानीय कारीगरों को नीले रंग के मिट्टी के बर्तन (ब्लू पॉटरी) बनाते हुए भी देख सकते हैं.शिल्प और कला के इन रंगों में डूबने के बाद अब बारी आती है यह जानने की कि इस जादुई शहर तक आप पहुंचेंगे कैसे.
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गुलाबी शहर तक पहुंचने के आसान रास्ते
जयपुर पहुंचना आज के समय में बेहद आसान और सुविधाजनक हो गया है, चाहे आप हवाई मार्ग चुनें या रेल यात्रा. जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट देश के हर बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु से सीधे जुड़ा हुआ है, जहां से आप कैब लेकर चंद मिनटों में शहर के बीचों-बीच पहुंच सकते हैं. अगर आप सफर का आनंद लेते हुए आना चाहते हैं, तो रेलवे का विकल्प सबसे बेहतरीन है, क्योंकि जयपुर जंक्शन एक प्रमुख हब है और यहां के लिए कई लग्जरी ट्रेनें भी चलती हैं.
सड़क मार्ग से आने वालों के लिए नेशनल हाईवे 48 एक शानदार ड्राइविंग अनुभव देता है, जहां निजी टैक्सियों और बस सेवाओं की कोई कमी नहीं है. इस तरह एक बार जब आप जयपुर की मिट्टी पर कदम रखते हैं, तो यहां की मेहमाननवाजी और साहित्य का साथ आपकी यात्रा को हमेशा के लिए यादगार बना देता है.