क्या आप जानते हैं कि यूरोप के बीचों-बीच एक ऐसी रहस्यमयी जगह है, जो देश तो है, पर दुनिया उसे देश नहीं मानती. यह एक ऐसा अनूठा इलाका है, जिसका अपना झंडा है, अपनी सेना है, अपनी सरकार है और यहां तक कि अपनी करेंसी भी है, लेकिन दुनिया के नक्शे पर इसका कोई आधिकारिक वजूद नहीं है.
हम बात कर रहे हैं ट्रांसनिस्ट्रिया की. मोल्दोवा और यूक्रेन के बीच बसा यह इलाका 1990 में खुद को आजाद घोषित कर चुका है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे कोई मान्यता नहीं मिली है. यह जगह आज भी सोवियत संघ के पुराने दौर जैसी दिखती है और महसूस होती है.
ट्रांसनिस्ट्रिया की गलियों में घूमना ऐसा है जैसे आप इतिहास में पीछे चले गए हों. यहां आज भी पुरानी सोवियत शैली की इमारतें खड़ी हैं, लेनिन की मूर्तियां दिखती हैं और दीवारों पर राजनीतिक नारे लिखे मिलते हैं. यहां आने वाले सैलानियों को लगता है कि मानो समय थम गया है. इसी वजह से यह जगह आजकल सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है. बहुत से यात्री यहां पुराने दौर की झलक देखने और कुछ अलग अनुभव करने आते हैं.
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भले ही ट्रांसनिस्ट्रिया को दुनिया ने देश के रूप में नहीं माना, लेकिन यहां के लोग खुद को आजाद मानते हैं. यहां रहना और घूमना सस्ता है. इसके अलावा यहां के लोग मिलनसार हैं और यहां अपराध दर बहुत कम है. यही वजह है कि यह जगह अब उन यात्रियों की पसंद बन रही है जो भीड़ से दूर, शांत और अनोखे अनुभव की तलाश में रहते हैं. करीब 4,163 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस इलाके की आबादी लगभग 4.75 लाख है. यहां मोल्दोवन, रूसी और यूक्रेनी समुदाय मिलकर रहते हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां तीन भाषाएं रूसी, रोमानियाई और यूक्रेनी, जो कि आधिकारिक रूप से बोली जाती हैं.
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ट्रांसनिस्ट्रिया के लिए कोई सीधी उड़ान नहीं है. पर्यटक आमतौर पर मोल्दोवा की राजधानी चिसीनाउ से मिनी बस लेकर तिरासपोल या बेंडर शहर पहुंचते हैं. बॉर्डर पर पासपोर्ट की जांच होती है और प्रवेश के लिए एक छोटी पर्ची दी जाती है क्योंकि आधिकारिक वीजा नहीं होता. अंदर जाने पर यहां छोटे बाजार, कैफे और स्थानीय लोगों का शांत जीवन देखने को मिलता है.