भारत में त्यौहार तो कई होते हैं, लेकिन असम के 'फाल्कन फेस्टिवल' की बात ही कुछ और है. इस त्यौहार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी धर्म या फसल का नहीं, बल्कि लाखों खास मेहमान पक्षियों के स्वागत में मनाया जाता है. इन पक्षियों को अमूर फाल्कन कहते हैं. ये बाज लगभग 22,000 किलोमीटर की अविश्वसनीय दूरी तय करके यहां आते हैं.
असम का उमरंगसो इलाका इनके लिए कुछ दिनों के आराम और ठहरने का एक बहुत जरूरी ठिकाना बनता है. 2015 से चला आ रहा यह महोत्सव प्रकृति के इस अद्भुत चमत्कार को दीमा हसाओ की स्थानीय संस्कृति के साथ जोड़कर मनाता है.
आसमान में इन बाजों की शानदार उड़ान और जमीन पर स्थानीय कलाकारों का प्रदर्शन-ये दोनों चीजें मिलकर इस इवेंट को पूर्वोत्तर भारत का सबसे खास आकर्षण बनाती हैं.तो, आखिर क्यों खास है यह त्यौहार? चलिए जानते हैं इस अनोखे फेस्टिवल की पूरी कहानी.
अमूर फाल्कन की 22,000 किमी की रोमांचक यात्रा
फाल्कन फेस्टिवल की जान अमूर फाल्कन का उमरांगसो पहुंचना है. ये छोटे पक्षी हर साल लगभग 22,000 किलोमीटर से भी लंबी दूरी तय करके यहां रुकते हैं, जो दुनिया की सबसे लंबी पक्षी यात्राओं में से एक है. ये बाज अपने सफर के दौरान कुछ दिन यहां रुककर उमरांगसो के आसमान को भर देते हैं.
यह फेस्टिवल इन पक्षियों का स्वागत ही नहीं करता, बल्कि लोगों को वन्यजीव संरक्षण की अहमियत भी समझाता है. स्थानीय लोग वर्षों से इन बाजों की रक्षा कर रहे हैं और यही वजह है कि यह महोत्सव प्रकृति प्रेम का प्रतीक बन चुका है.
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संस्कृति का रंग और स्थानीय कलाकारों का प्रदर्शन
इस महोत्सव में अमूर फाल्कन को देखने के साथ-साथ, दीमा हसाओ की स्थानीय संस्कृति को करीब से जानने का शानदार मौका मिलता है. यहां पारंपरिक लोक नृत्य, गीत और स्थानीय कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियां होती हैं. ये कार्यक्रम दीमा हसाओ की पुरानी परंपराओं को दर्शाते हैं, जहां संगीत और कहानियां सुनाने की कला पीढ़ियों से चली आ रही है.
यह फेस्टिवल एक ऐसी जगह बन जाता है जहां सभी लोग एक साथ आकर इस क्षेत्र की खास परंपराओं का मजा लेते हैं. इस साल यह फेस्टिवल 12 से 14 दिसंबर तक होगा, जिसमें कई बड़े गायक भी शामिल होंगे.
हस्तशिल्प और स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद
फाल्कन फेस्टिवल का एक बड़ा आकर्षण यहां लगने वाले हस्तशिल्प के स्टॉल हैं. दरअसल, यहां के कारीगर अपनी बेहतरीन कलाकारी दिखाते हैं. आप यहां सुंदर बांस के शिल्प, बारीक बुने हुए कपड़े और आदिवासी आभूषण देख सकते हैं और खरीद सकते हैं. ये हाथ से बनी चीजें यात्रियों के लिए यादगार तोहफे होती हैं. इसके साथ ही, स्थानीय व्यंजन इस फेस्टिवल का एक और अहम हिस्सा हैं, जो किसी को भी अपनी ओर खींच सकते हैं.
इस उत्सव में दीमा हसाओ की परंपरा में बने कई तरह के स्वादिष्ट और देसी व्यंजन मिलते हैं. मांसाहारी पकवानों से लेकर खुशबूदार चावल के व्यंजनों तक, यह भोजन इस क्षेत्र की खास खाद्य संस्कृति का असली स्वाद देता है. कई लोगों के लिए, इन खास व्यंजनों का स्वाद लेना ही इस उत्सव का सबसे यादगार हिस्सा होता है.
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प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा अनुभव
जो लोग प्रकृति से प्यार करते हैं या एडवेंचर चाहते हैं, उनके लिए फाल्कन फेस्टिवल के बहाने उमरांगसो के खूबसूरत नजारे देखने का एक शानदार मौका है. यह इलाका अपने घने जंगल, शांत झीलों और ऊंची पहाड़ियों के लिए जाना जाता है. इस फेस्टिवल के दौरान पक्षी-दर्शन करना सबसे पसंदीदा काम है. यहां आप पैदल यात्रा का मजा भी ले सकते हैं, जहां से आसपास के लुभावने नजारे दिखाई देते हैं. अगर आप झील के किनारे शांति चाहते हैं या पहाड़ियों की सैर करना चाहते हैं, तो उमरांगसो हर तरह से प्रकृति से जुड़ने के लिए एकदम सही जगह है.
पर्यावरण जागरूकता और यात्रा का आसान रास्ता
यह पूरा उत्सव पर्यावरण को बचाने और संस्कृति को सम्मान देने पर जोर देता है. यह लोगों को याद दिलाता है कि हमें अपने ग्रह के प्रति अधिक जागरूक रहना चाहिए. इसके अलावा वन्यजीवों को बचाने के प्रति स्थानीय लोगों का यह समर्पण दूसरों को भी पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाने और प्रकृति को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है.
अगर आप इस यादगार उत्सव में शामिल होना चाहते हैं, तो आप असम की राजधानी गुवाहाटी तक उड़ान भर सकते हैं. इसके लिए वहां से उमरांगसो तक लगभग 255 किलोमीटर की सड़क यात्रा करनी होगी. यह सड़क यात्रा अपने आप में ही प्राकृतिक सुंदरता से भरी होती है, जो आपके फेस्टिवल के अनुभव को और भी खास बना देगी.