यतींद्र मिश्र
यतींद्र मिश्र (Yatindra Mishra) एक भारतीय कवि और संपादक हैं. साथ ही, वह संगीत और सिनेमा के विद्वान भी हैं. उन्होंने हिंदी कविता के चार संग्रह प्रकाशित किए हैं- याद-कड़ा (1997), अयोध्या और अन्य कविताएं(1999) और द्योढ़ी पर आलाप (2005). उन्होंने ठुमरी गायिका गिरिजा देवी, नृत्यांगना सोनल मानसिंह और शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के जीवन और कार्यों के बारे में देवप्रिया (2007) और सुर की बारादरी (2009) भी लिखी हैं. उनका लिखा विस्मय का भाखान (2012) संगीत और कला पर एक निबंध संकलन है (Yatindra Mishra Poet).
यतींद्र ने अजनबी-जितना तुम्हारा सच है (2011), अशोक वाजपेयी किस भुगोल में किस सपने में (2011) और कविता हम अपना वसंत पहुचंते हैं (2014), गुलजार यार जुलाहे की कविता (2009) संपादित किए हैं. उन्होंने गुलजार के फिल्मी गीतों मिलों से दिन (2010) का चयन भी प्रस्तुत किया है. यतींद्र मिश्र ने 'गिरिजा' का अंग्रेजी में अनुवाद किया है, साथ ही, 'विभास',अयोध्या की कविताओं की सीरीज (जर्मन), 'यार जुलाहे' और 'मिलों से दिन' का उर्दू में अनुवाद किया है. उन्होंने महान पार्श्वगायिका लता मंगेशकर के गायिकी पर एक किताब भी लिखी है जिसका नाम लता: सुर गाथा है (Yatindra Mishra Book on Lata Mangeshkar).
यतींद्र मिश्र का जन्म 12 अप्रैल 1977 को हुआ था (Yatindra Mishra Age).
उन्होंने कई कविताएं लिखी है जिनमें बैजू बावरा, गुर्जरी तोड़ी, विभास कजरी, सम्मोहित आलोक, विकल्प, बच्चा और झुनझुना, तानसेन के बहाने, सहगल का हारमोनियम, टप्पा और पाकिस्तान, तुकाराम, पानी की आवाज, हारना, ग्रामोफ़ोन का पुराना रेकार्ड, एक ही आशय में तिरोहित, रफ़ू, मसखरे, अनहद के पार जाता हुआ घर, कछुआ और खरगोश और बारामासा शामिल है. बारामासा कविता के लिए उनको भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार मिल चुका है (Yatindra Mishra Poetries).
फैजाबाद की मिट्टी में दर्ज बेगम अख्तर का ये किस्सा साहित्य आजतक में गूंजा तो उनके प्रति सिर खुद ब खुद सम्मान से झुक गया. कभी उनकी फनकारी से खुश होकर 50 एकड़ जमीन नजर की गई थी पर बेगम ने उसे लौटा दिया. वजह सिर्फ इतनी कि इतिहास जब लिखा जाए तो इज्जत देने वाले और इज्जत रखने वाले दोनों का सिर बुलंद रहे.
बेगम अख़्तर की जिंदगी में वो एक दौर भी आया जब शादी के बाद उनके शौहर ने गाना ही मना कर दिया. सुरों की मलिका अचानक खामोश हो गईं. पूरे आठ सालों के लिए, मगर किस्मत ने उनके लिए एक और रास्ता चुनकर रखा था. लखनऊ AIR के डायरेक्टर ने उनकी आवाज को चुपके से रिकॉर्ड किया और वो गजल बन गई यादगार...
साहित्य आजतक की महफिल में यतींद्र मिश्रा की किस्सागोई और मालिनी अवस्थी के सुरों ने जैसे किसी पुराने संदूक का ढक्कन खोल दिया हो. यहां बेगम अख़्तर की महकती यादें अब भी सांस लेती हैं. महफिल में उनके किस्से सिर्फ सुने नहीं गए, महसूस किए गए. दर्द, वफादारी, नफासत और सुकून की तलाश जैसे सब कुछ मानो फिर से ज़िंदा हो उठा.
साहित्य आज तक 2022 के पहले दिन स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई. हरीश भिमानी, संजीवनी भेलांडे और लेखक यतींद्र मिश्रा ने लता मंगेशकर से जुड़ी यादें शेयर करके उन्हें श्रद्धाजंलि दी. इस दौरान यतींद्र मिश्रा ने ये भी बताया कि लता मंगेशकर को क्रिकेट से कितना प्यार था.