हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस (World Ozone Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को ओजोन परत के महत्व के प्रति जागरूक करना और उसके संरक्षण के उपायों को समझाना है. ओजोन परत वायुमंडल का वह हिस्सा है, जो पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है. यह परत मुख्य रूप से स्ट्रैटोस्फियर में मौजूद होती है और वायुमंडलीय संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है.
ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित बनाती है. यदि ओजोन परत कमजोर हो जाए तो अधिक UV किरणें पृथ्वी तक पहुचेंगी, जिससे त्वचा कैंसर, आंखों की समस्याएँ, तथा पर्यावरणीय असंतुलन जैसे गंभीर प्रभाव हो सकते हैं.
20वीं सदी के उत्तरार्ध में वैज्ञानिकों ने पाया कि ओजोन परत में गंभीर रूप से छेद बन रहे हैं, विशेषकर अंटार्कटिका क्षेत्र में। इसका मुख्य कारण मानव निर्मित रासायनिक पदार्थ, जैसे कि CFCs (Chlorofluorocarbons) और Halons हैं। ये रसायन एयर कंडीशनर, फ्रिज, एयरस्प्रे, औद्योगिक उपकरणों में उपयोग किए जाते थे। इनका अति प्रयोग वायुमंडल में जाकर ओजोन अणुओं को तोड़ देता है।
1987 में मोन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर दुनिया भर के देशों ने हस्ताक्षर किए. इस अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत CFCs और अन्य ओजोन-क्षयी पदार्थों के उत्पादन और उपयोग पर रोक लगाई गई. इसके प्रभाव से ओजोन परत धीरे-धीरे ठीक हो रही है और वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि सभी नियमों का पालन किया जाए तो 2050 तक ओजोन परत पूरी तरह से ठीक हो जाएगी.
विश्व ओजोन दिवस का मुख्य संदेश है- “Ozone Layer Protection: Responsibility of All” यानी ओजोन परत की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है. हमें अपने दैनिक जीवन में ऐसे उत्पादों का उपयोग करना चाहिए, जो पर्यावरण के अनुकूल हों. साथ ही, सरकारी नियमों का पालन कर ओजोन-क्षयी पदार्थों का उपयोग नहीं करना चाहिए.
ओजोन परत पृथ्वी का सुरक्षा कवच है जो सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों को सतह तक पहुंचने से रोकती है. इसके बिना पृथ्वी का पर्यावरण, इंसानों, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के रहने लायक नहीं रहेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस दिन ओजोन लेयर खत्म होने लगेंगी. यह मानकर चलिए कि उसी दिन से पृथ्वी इंसानों के रहने लायक नहीं बचेगी.