उत्तरपाड़ा (Uttarpara) पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध नगर है. यह नगर गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है और कोलकाता महानगर क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. उत्तरपाड़ा अपनी शिक्षा, साहित्य और समाज सुधार के योगदान के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थित उत्तरपाड़ा सार्वजनिक पुस्तकालय भारत का पहला सार्वजनिक पुस्तकालय माना जाता है, जिसकी स्थापना 1859 में जोयकृष्ण मुखर्जी ने की थी. यह स्थान बंगाल पुनर्जागरण के दौर में बौद्धिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. उत्तरपाड़ा में कई प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान हैं, जो क्षेत्र की शैक्षणिक प्रगति में योगदान दे रहे हैं.
2011 की जनगणना के अनुसार उत्तरपाड़ा की कुल आबादी 1,59,147 थी, इसमें लगभग 81,983 पुरुष और 77,164 महिलाएं शामिल थीं.
शहर का वातावरण शांत और हरियाली से भरपूर है, जहां आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिलता है. यहां के लोग मुख्य रूप से बंगाली भाषा बोलते हैं, और दुर्गा पूजा, काली पूजा जैसे त्योहार पूरे उत्साह से मनाए जाते हैं. परिवहन की दृष्टि से यह कोलकाता और हावड़ा से रेल और सड़क दोनों मार्गों द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.
समग्र रूप से, उत्तरपाड़ा न केवल ऐतिहासिक धरोहरों का गवाह है बल्कि यह पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक चेतना का भी प्रतीक है.
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