यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (United States Geological Survey) अमेरिका की एक प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसी है, जो पृथ्वी विज्ञान (Earth Sciences) से जुड़ी जानकारी एकत्र करने, उसका विश्लेषण करने और नीति निर्माण में सहयोग प्रदान करने का काम करती है. इसकी स्थापना 1879 में की गई थी और यह अमेरिकी आंतरिक मंत्रालय (U.S. Department of the Interior) के अंतर्गत कार्य करती है.
USGS का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी, उसके संसाधनों और पर्यावरण की समझ को बेहतर बनाना है. इसके तहत चार प्रमुख वैज्ञानिक क्षेत्रों में कार्य किया जाता है-
भूविज्ञान (Geology)- भूकंप, ज्वालामुखी, चट्टानों की संरचना और खनिज संसाधनों का अध्ययन.
जल विज्ञान (Hydrology)- नदियों, झीलों, भूजल और जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव का विश्लेषण.
भू-स्थानिक डेटा (Geospatial Data)- मैपिंग, सैटेलाइट इमेज और स्थानिक डेटा विश्लेषण.
जैवविविधता (Biology)- पारिस्थितिक तंत्र, वन्यजीवों और उनके आवासों का अध्ययन.
USGS को भूकंप और ज्वालामुखी की निगरानी के लिए वैश्विक पहचान प्राप्त है. यह दुनियाभर में भूकंप की तीव्रता, स्थान और समय की जानकारी रीयल टाइम में उपलब्ध कराता है. इसके अलावा, ये संगठन अमेरिका के सक्रिय ज्वालामुखियों पर नजर रखता है और खतरे की स्थिति में चेतावनी जारी करता है.
USGS द्वारा बनाए गए टोपोग्राफिक मैप (Topographic Maps) अमेरिका भर में बहुत उपयोगी हैं. ये नक्शे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, छात्रों और आम नागरिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं. साथ ही, संगठन द्वारा संचालित "The National Map" और Earth Explorer पोर्टल के माध्यम से उपग्रह चित्र और अन्य स्थानिक डेटा भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है.
जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की स्थिति और पर्यावरणीय खतरों पर रिसर्च कर USGS सरकार को नीतियां तय करने में मदद करता है. जैसे - बाढ़ पूर्वानुमान, सूखे की भविष्यवाणी, और भूजल स्तर की निगरानी आदि.
भले ही USGS अमेरिका की एजेंसी हो, लेकिन इसके भूकंप डेटा, सैटेलाइट इमेजरी और भू-स्थानिक संसाधन दुनियाभर के वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और पर्यावरणविदों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं. भारत में भी कई भूवैज्ञानिक अध्ययन, आपदा प्रबंधन योजना और जल संसाधन मॉडलिंग में USGS के डाटा का उपयोग किया जाता है.
8.8 तीव्रता का भूकंप हिरोशिमा जैसे 9000-14300 परमाणु बमों की ऊर्जा के बराबर होता है, जो लगभग 9 x 10^17 जूल्स या 6.27 मिलियन टन टीएनटी है. यह ऊर्जा इतनी ज्यादा है कि यह किसी शहर को पूरी तरह तबाह कर सकती है. रूस और जापान में इस भूकंप का खौफ इसलिए है, क्योंकि यह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर पर हुआ, जहां सुनामी और भूस्खलन का खतरा ज्यादा है.