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शिबू सोरेन

शिबू सोरेन

शिबू सोरेन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन (Shibu Soren) भारतीय राजनीति के उन गिने-चुने नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने न केवल एक राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि आदिवासी समाज को उसकी राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान दिलाने के लिए आजीवन संघर्ष किया. उन्हें प्यार से लोग 'गुरुजी' कहकर पुकारते थे.

4 अगस्त 2025 को दिल्ली में उनका निधन हो गया. उनकी तबीयत पिछले महीने से खराब चल रही थी. हालत गंभीर होने के बाद उन्हें जुलाई 2025 के आखिरी सप्ताह में दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. वे किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे थे.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन के पुत्र हैं.  शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के दुमका जिले के नेमरा गांव में हुआ था. वे एक आदिवासी संथाल परिवार से थे.

1970 के दशक में शिबू सोरेन ने आदिवासियों के भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष करना किया. उन्होंने जमींदारी प्रथा, साहूकारों और बाहरी प्रभावों के खिलाफ आवाज उठाई. इस आंदोलन को उन्होंने 'भूमि बचाओ आंदोलन' के रूप में आगे बढ़ाया था. 1972 में उन्होंने 'झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)' की स्थापना की थी, जो पार्टी झारखंड राज्य के निर्माण और आदिवासियों के अधिकारों के लिए एक सशक्त मंच बन गई.

शिबू सोरेन का सबसे बड़ा योगदान झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने में रहा था. वर्षों तक चले आंदोलन, धरना-प्रदर्शन, और राजनीतिक दबाव के बाद 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड एक स्वतंत्र राज्य बना. यह आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक जीत थी और शिबू सोरेन इसके जननायक के रूप में उभरे थे.

शिबू सोरेन ने तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली- पहली बार: 2 मार्च 2005 (9 दिन का कार्यकाल), दूसरी बार: 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009, तीसरी बार: 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010.

वे केंद्र सरकार में कोयला मंत्री भी रह चुके हैं और संसद में आदिवासी मुद्दों की आवाज बुलंद करते रहे हैं.

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