हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कुल्लू जिले में स्थित रोहतांग पास (Rohtang Pass) भारत के सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक पर्वतीय दर्रों में से एक है. समुद्र तल से लगभग 13,058 फीट (3978 मीटर) की ऊंचाई पर बसा यह दर्रा अपने मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों, लगातार पड़ने वाली बर्फ और रोमांचक गतिविधियों के लिए जाना जाता है. रोहतांग का अर्थ “लाशों का ढेर” माना जाता है, क्योंकि पुराने समय में इस कठिन मार्ग को पार करते हुए कई यात्रियों और पशुओं की जान चली जाती थी. आज यह स्थान अत्याधुनिक सड़क मार्ग और पर्यटन सुविधाओं के साथ एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन बन चुका है.
मनाली से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रोहतांग पास हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. जून से अक्टूबर तक यह दर्रा खुला रहता है, जबकि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मार्ग बंद कर दिया जाता है. यहां की ठंडी हवाएं, चारों ओर फैली बर्फ की चादर और ऊंचे-ऊंचे हिमालयी पर्वत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. बर्फ में स्कीइंग, स्नो स्कूटर राइड, पैराग्लाइडिंग और ट्यूब स्लाइडिंग जैसी गतिविधियां रोमांच प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण हैं.
रोहतांग पास भारत के उत्तरी क्षेत्रों को जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह लाहौल-स्पीति, लेह-लद्दाख और मनाली के बीच एक अहम मार्ग है. अटल टनल रोहतांग के खुलने के बाद इस क्षेत्र तक पहुंचना और भी आसान हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों और सेना दोनों को बड़ी सुविधा मिली है.
पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए रोहतांग पास जाने के लिए वाहनों पर प्रतिबंध और परमिट सिस्टम लागू किया गया है. इसका उद्देश्य प्रदूषण कम करना और इस सुंदर पर्वतीय क्षेत्र के प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखना है.