राकेश शर्मा भारत के पहले और अब तक केवल एकमात्र भारतीय व्यक्ति हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में यात्रा की है. उनका जन्म 13 जनवरी 1949 को पटियाला में हुआ था. उन्होंने सेंट जॉर्ज’स ग्रामर स्कूल, हैदराबाद से शिक्षा प्राप्त की, फिर 1966 में NDA में दाखिला लिया और 1970 में IAF में पायलट बने.
राकेश शर्मा ने भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में मिग‑21 लड़ाकू विमान से 21 मोर्चा उड़ानें भरीं. 1984 में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर पदोन्नत हुए और आईएसआरओ‑सोवियत इंटरकोसमोस कार्यक्रम के लिए चुने गए. सोवियत सोयूज‑टी‑11 रॉकेट द्वारा बायकोनूर कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपण, सल्युट‑7 स्पेस स्टेशन पर डॉकिंग. 7 दिन 21 घंटे 40 मिनट, जिसमें 43 वैज्ञानिक प्रयोग हुए (बायो‑मेडिसिन और रिमोट सेंसिंग में)
टीवी संवाद के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा पूछा गया- “भारत कैसे दिखता है?” उन्होंने कहा था- "सारे जहां से अच्छा"
11 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा सोयुज T-10 के गोलाकार डिसेंट कैप्सूल (2.2 मीटर व्यास, 2950 किलो) में कजाकिस्तान में सुरक्षित उतरे. 1650°C गर्मी, 7.5G दबाव सहते हुए पैराशूट और रेट्रो रॉकेट से लैंडिंग हुई. यही कैप्सूल भारत की अंतरिक्ष यात्रा का पहला कदम था. आज वह रूस में संरक्षित है. दिल्ली के नेहरू प्लेनेटेरियम इसकी 1:1 अनुपात का रेप्लिका रखा है.
जानिए क्यों हर अंतरिक्ष यात्री को एक खास यूनिक नंबर और गोल्डन पिन दिया जाता है, और इसका क्या मतलब है.