निसार सेटेलाइट
नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) यानी निसार (NISAR) मिशन, नासा और इसरो के बीच एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है (NISAR, Earth observation satellite). यह दोहरे आवृत्ति सिंथेटिक एपर्चर रडार को सह-विकसित और लॉन्च करने के लिए एक संयुक्त परियोजना है. निसार, दोहरी आवृत्तियों का उपयोग करने वाला पहला रडार इमेजिंग उपग्रह है. इसका उपयोग रिमोट सेंसिंग के लिए, पृथ्वी पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं को देखने और समझने के लिए किया जाएगा (NISAR, joint project of NASA and ISRO). इस मिशन पर खर्ज होने वाली कुल अनुमानित लागत US$1.5 बिलियन है जिससे NISAR दुनिया का सबसे महंगा अर्थ-इमेजिंग उपग्रह होने की संभावना है (world's most expensive Satellite).
निसार उपग्रह, 5 से 10 मीटर के रिजॉल्यूशन पर महीने में 4 से 6 बार पृथ्वी की भूमि और बर्फ के मास की ऊंचाई को मापने के लिए बेस्ट रडार इमेजिंग का उपयोग करेगा. इसे ग्रह की सबसे जटिल प्राकृतिक प्रक्रियाओं को देखने और मापने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें इकोसिस्टम में गड़बड़ी, बर्फ की चादर का ढहना, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरे शामिल हैं (Functions of NISAR).
इस मिशन में नासा के एल-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR), वैज्ञानिक डेटा जीपीएस रिसीवर, एक सोलिड स्टेट रिकॉर्डर और एक पेलोड डेटा सबसिस्टम के लिए एक हाई रेट टेलिकम्यूनिकेश सबसिस्टम प्रदान करेगा. इसरो की भागीदारी, सैटेलाइट बस, एक एस-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार, लॉन्च व्हीकल और संबंधित लॉन्च सेवाएं प्रदान करना होगा (NISAR Agreement of NASA-ISRO).
नासा और इसरो का निसार सैटेलाइट 30 जुलाई 2025 को लॉन्च हुआ. अगले तीन महीनों में काम शुरू करेगा. यह पृथ्वी की जमीन, बर्फ, जंगल और भूकंप-ज्वालामुखी की हलचल को बारीकी से देखेगा. L-बैंड और S-बैंड रडार बादलों में भी काम करेंगे. यह सैटेलाइट आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा.
नासा और इसरो के संयुक्त मिशन #NISAR ने बड़ा कीर्तिमान हासिल किया. इसका 12 मीटर का रडार एंटीना अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया, जो धरती के बदलाव मापेगा. 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ यह उपग्रह ग्लेशियर, भूकंप और जंगलों पर नजर रखेगा. यह मिशन इस साल के अंत में डेटा देगा, जो आपदाओं और खाद्य सुरक्षा में मदद करेगा.
NASA ISRO Nisar Satellite Launch: निसार मिशन पृथ्वी का "एमआरआई स्कैनर" है, जो भूकंप, सुनामी, भूस्खलन और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा. यह सैटेलाइट दोहरे रडार सिस्टम, हर मौसम में काम करने की क्षमता, और सेंटीमीटर स्तर की सटीकता के साथ पृथ्वी की सतह को स्कैन करेगा.
NISAR Satellite हुआ Launch… ये सैटेलाइट भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा.
भारत ने अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचा है. नासा और इसरो का साझा सैटेलाइट निसार श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो चुका है. यह उपग्रह अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी करेगा. निसार को नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है. यह भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग है. यह सैटेलाइट हर 12 दिन पर पूरी पृथ्वी की भूमि और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा. इसका उद्देश्य धरती की बेहतर निगरानी करना है.
NISAR की सफल लॉन्चिंग भारत और दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह सैटेलाइट कामचटका जैसे भूकंप और सुनामी की पहले से खबर देकर लाखों जिंदगियां बचा सकता है. इसके दोहरे रडार, हर मौसम में काम करने की क्षमता और मुफ्त डेटा नीति इसे अनोखा बनाती है. भारत के लिए यह आपदा प्रबंधन, कृषि और जल प्रबंधन में गेम-चेंजर होगा.
NISAR धरती की निगरानी का सुपरहीरो है. ये भूकंप, बाढ़, हिमनद पिघलने और फसलों पर नजर रखेगा. किसानों को फसल की जानकारी, वैज्ञानिकों को डेटा और आपदा राहतकों को अलर्ट देगा. ISRO और NASA की साझेदारी भारत की अंतरिक्ष ताकत और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है. 30 जुलाई 2025 को GSLV-F16 के साथ लॉन्च होने वाला ये सैटेलाइट भारत को आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु परिवर्तन में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
NASA-ISRO का निसार मिशन 30 जुलाई को लॉन्च होने को तैयार है. यह सैटेलाइट नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं की सबसे पहले जानकारी देने वाला जासूस होगा. ये अंतरिक्ष से ही भूकंपों, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी आपदाओं का अलर्ट पहले ही दे देगा. ताकि हजारों-लाखों लोगों की जान बचाई जा सके.
NASA और ISRO मिलकर 30 जुलाई 2025 को लॉन्च करेंगे NISAR सैटेलाइट, जो भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन जैसी आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा. जानिए इस मिशन की खास बातें.
निसार उपग्रह के सफल प्रक्षेपण से पृथ्वी के पर्यावरण को समझने और प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जानकारी हासिल होगी, जिसे लेकर ना सिर्फ ISRO और NASA बल्कि पूरे विश्व के वैज्ञानिकों की उत्सुकता बढ़ चुकी है.
NASA-ISRO का निसार मिशन अगले साल के शुरूआत में लॉन्च होने को तैयार है. यह सैटेलाइट नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं की सबसे पहले जानकारी देने वाला जासूस होगा. ये अंतरिक्ष से ही भूकंपों, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी आपदाओं का अलर्ट पहले ही दे देगा. ताकि हजारों-लाखों लोगों की जान बचाई जा सके. जानिए कब होगी लॉन्चिंग?
ISRO प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि NISAR देश और दुनिया में आने वाले भूकंपों की पहले ही भविष्यवाणी कर सकेगा. क्योंकि यह टेक्टोनिक प्लेट्स के मूवमेंट की स्टडी करेगा. यह बात उन्होंने एक इंटरव्यू में कही. आइए जानते हैं इसरो चीफ ने फ्यूचर प्लान्स के बारे में क्या-क्या बताया?
इस साल ISRO-NASA मिलकर ऐसा सैटेलाइट छोड़ेंगे जो पूरी दुनिया को आपदाओं से पहले सूचना देगा. नासा ने पिछले साल ही इस सैटेलाइट को इसरो को सौंप दिया था. इसे बनाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये लगे हैं.
दुनिया का सबसे अमीर शहर न्यूयॉर्क (New York) लगातार डूब रहा है. धंस रहा है. पाताल में जा रहा है. वजह है उसकी जमीन, जो टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने से, ऊपरी परत पर पड़ रहे वजन और जलवायु परिवर्तन से धंसती जा रही है. इस बात का खुलासा NASA की जेट प्रोप्लशन लेबोरेटरी की स्टडी में हुआ है.
Chandrayaan-3 के बाद इसरो के पास कई मिशन की लंबी फेहरिस्त है. इसरो वैज्ञानिकों को सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिलेगी. एक मिशन सूरज के लिए, दूसरा पूरी धरती की सुरक्षा के लिए, तीसरा अंतरिक्ष की स्टडी के लिए और चौथा गगनयान. आइए जानते हैं कि इस साल कौन-कौन से बड़े मिशन हैं?
भारत और अमेरिका इतिहास बदलने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बीच कुछ ऐसी डील्स हुई हैं, जो भारत की सरहदों को सुरक्षित, सेना को सशक्त और साइंस को समृद्ध करेंगे. आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से समझौते हैं, जो भारत की ताकत को दुनिया के सामने और बढ़ाएंगे.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने फरवरी में इसरो को NISAR अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट सौंपा था. आज यानी 9 मार्च 2023 को अमेरिकी वायु सेना के C-17 विमान ने बेंगलुरु में उतारा. उसके बाद उसे बेंगलुरु स्थित इसरो सैटेलाइट असेंबलिंग सेंटर में ले जाया गया. इसकी लॉन्चिंग अगले साल होगी.
NASA ने ISRO को NISAR सैटेलाइट सौंप दिया है. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने इसे रिसीव किया. अब इस सैटेलाइट को भारत लाया जाएगा. यह सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी हमें पहले देगा. इसे बनाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये लगे हैं. इसकी लॉन्चिंग अगले साल होगी.
इसरो और नासा मिलकर एक ऐसी सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहे हैं, जो जोशीमठ जैसी घटनाओं के होने से पहले अलर्ट दे देगा. इस सैटेलाइट को बनाने में करीब 10 हजार करोड़ रुपये लगे हैं. उम्मीद है कि इस साल सितंबर में इस सैटेलाइट को जीएसएलवी-एमके2 रॉकेट से लॉन्च किया जाए. इस सैटेलाइट का फायदा पूरी दुनिया को होगा.