मलमास (Malmas) को अधिकमास और पुरूषोत्तममास भी कहा जाता है. मलमास हर तीन साल में सौर कैलेंडर में जोड़ा जाने वाला एक अतिरिक्त चंद्र महीना है, ताकि कृषि चक्र और ऋतुओं के साथ चंद्र और सौर वर्षों का समन्वय हो सके.
जब सूर्य किसी नई राशि (30° नक्षत्र राशि) में पारगमन नहीं करता है, यानी एक चंद्र माह (अमावस्या से पहले) में एक ही राशि के भीतर घूमता रहता है, तो उस चंद्र माह को मलमास कहा गया है. मलमास 30 दिनों तक रहता है. मलमास का यह महीना 18 जुलाई 2023 से शुरू होकर 16 अगस्त 2023 तक रहेगा. वैसे तो इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, फिर भी उनकी कृपा भक्तों पर बनी रहती है (Malmas 2023).
इस महीने को अशुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस महीने में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. किसी भी तरह का सत्कर्म, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण सहित कुल 16 संस्कार नहीं किए जाते हैं (Malmas 2023 restrictions).
मलमास या अधिक मास के दौरान लोग कई धार्मिक ग्रंथों, मंत्रों का पाठ, प्रार्थना, विभिन्न प्रकार की पूजा और हवन करते हैं. मलमास के दौरान लोगों को विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करने से समय अच्छा रहता है. भगवान विष्णु को दूध से अभिषेक रना चाहिए. उन्हें तुलसी बहुत पसंद है, अत: तुलसी माला से भगवान विष्णु का जाप करना चाहिए. साथ ही, सूर्य को रोजाना जल चढ़ाना चाहिए (Malmas Rituals).
Adhikmaas Amavasya 2023: अधिकमास की अमावस्या 16 अगस्त यानी आज है. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान, व्रत और तप से कई गुना फल मिलता है. ये दिन पितरों को समर्पित होता है. अमावस्या की रात चंद्रमा दिखाई नहीं देता है. अधिकमास अमावस्या के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना चाहिए ऐसा करने से सभी दोषों से मुक्ति मिल जाती है.
Adhik Maas Amavasya 2023: मान्यताओं के अनुसार, कई लोग अमावस्या को अमावस भी कहते हैं. इस बार अधिकमास की अमावस्या 16 अगस्त को मनाई जाएगी. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है. अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ और श्राद्ध कर्म करवाना बेहद फलदायी माना जाता है.
Adhik Maas Shivratri 2023: सावन सोमवार और शिवरात्रि का दिन भगवान शिव के पूजन के लिए बेहद खास माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करता है उसे भगवान शिव शंकर का आशीर्वाद मिलता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन सोमवार और अधिकमास शिवरात्रि का व्रत 14 अगस्त यानी आज एक साथ रखा जा रहा है.
Parama Ekadashi 2023: परमा एकदाशी मलमास माह की आखिरी एकादशी है. इस बार यह एकादशी 12 अगस्त यानी आज मनाई जा रही है. स दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दुर्लभ सिद्धियों की प्राप्ति होती है. यह एकादशी परम दुर्लभ सिद्धियों की दाता होने के कारण ही परमा के नाम से प्रसिद्ध है.
Kalashtami 2023: कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति कालाष्टमी की पूजा करता है उसे भैरव बाबा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन की पूजा में श्री भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए. अधिकमास की कालाष्टमी 8 अगस्त यानी आज मनाई जा रही है.
Sawan Somwar 2023: सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है. उपवास रखकर शिव की पूजा और मंत्र जाप किए जाएं तो आर्थिक तथा पारिवारिक समस्याएं दूर हो सकती हैं. सावन के पांचवे सोमवार का व्रत 7 अगस्त यानी आज रखा जा रहा है, साथ ही आज अधिकमास का तीसरा सोमवार है.
Sawan Somwar 2023: आज सावन का चौथा सोमवार है. सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक का बेहद खास महत्व है. दरअसल, सावन का महीना भगवान शिव का बेहद प्रिय माना जाता है. साथ ही इस माह में अधिकमास भी है जिसके कारण सावन के सभी सोमवार और ज्यादा खास बन गए हैं.
Adhikmaas Pradosh Vrat 2023: रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत या भानु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस बार रवि प्रदोष व्रत 30 जुलाई यानी आज पड़ रहा है. इस दिन भगवान शिव के साथ सूर्य की पूजा भी की जाएगी. यह सावन का तो दूसरा प्रदोष व्रत होगा लेकिन, मलमास का पहला प्रदोष व्रत होगा.
Adhik Maas Sawan Somwar 2023: सावन में सोमवार के व्रत का विशेष महत्व होता है. इस बार सावन का तीसरा और अधिकमास का पहला सोमवार व्रत 24 जुलाई यानी आज है. सावन में अधिकमास का यह संयोग 19 साल बनने जा रहा है. सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है.
Malmas 2023: मलमास का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान कुछ उपाय करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में विस्तार से-
सावन में अधिक मास का संयोग पूरे 19 साल बाद बन रहा है. इसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. मलमास तीन साल के बाद बनने वाली तिथियों के योग से बनता है. अधिक मास में मांगलिक कार्य तो वर्जित रहते हैं, लेकिन भगवान की आराधना, जप-तप, तीर्थ यात्रा करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है.