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Adhikmaas Pradosh Vrat 2023: अधिकमास का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Adhikmaas Pradosh Vrat 2023: रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत या भानु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. इस बार रवि प्रदोष व्रत 30 जुलाई यानी आज पड़ रहा है. इस दिन भगवान शिव के साथ सूर्य की पूजा भी की जाएगी. यह सावन का तो दूसरा प्रदोष व्रत होगा लेकिन, मलमास का पहला प्रदोष व्रत होगा.

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सावन रवि प्रदोष व्रत 2023
सावन रवि प्रदोष व्रत 2023

Adhikmaas Pradosh Vrat 2023: अधिकमास के महीने की शुरुआत हो चुकी है. सावन में यह अधिकमास 19 साल बाद लगा है, जिसके कारण यह माह बेहद महत्वपूर्ण है. इस बार अधिकमास का प्रदोष व्रत 30 जुलाई यानी आज रखा जा रहा है. यह सावन का दूसरा प्रदोष व्रत होगा. प्रदोष व्रत के दिन भी भगवान शिव की पूजा की जाती है. यह प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहेंगे. ऐसी मान्यता है कि रवि प्रदोष व्रत के दिन शिव और सूर्य दोनों की उपासना का फल प्रदान होता है. इस दिन सच्चे मन से सारी प्रार्थना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.  

अधिकमास रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Adhikmaas 2023 Ravi Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है. सावन का दूसरा प्रदोष व्रत 30 जुलाई यानी आज है. इस बार सावन के दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि 30 जुलाई यानी आज सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 31 जुलाई यानी कल सुबह 7 बजकर 26 मिनट पर होगा. रवि प्रदोष व्रत के पूजन मुहूर्त का समय शाम 7 बजकर 14 मिनट से लेकर 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.

साथ ही इस दिन रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनने जा रहा है. रवि योग आज रात 9 बजकर 32 मिनट से 31 जुलाई यानी सुबह 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. सर्वार्थ सिद्धि योग 30 जुलाई यानी आज सुबह 5 बजकर 41 मिनट से रात 9 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. 

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अधिकमास रवि प्रदोष व्रत महत्व (Adhikmaas Ravi Pradosh Vrat Importance)

शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की महाकृपा पाने का दिन है. जब प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है तो उसे रवि प्रदोष कहते हैं. रवि प्रदोष व्रत से मनोकामना पूरी की जा सकती है. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है.

अधिकमास रवि प्रदोष व्रत पूजन विधि (Adhikmaas Ravi Pradosh Vrat Pujan Vidhi)

सबसे पहले तांबे के लोटे में जल और शक्कर डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. जल की छींटें अपनी दोनों आंखों पर लगाएं. भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें. प्रदोष काल में शिव जी को पंचामृत से स्नान करवाएं. साबुत चावल की खीर और फल भगवान शिव को अर्पित करें. आसन पर बैठकर ॐ नमः शिवाय के मंत्र या पंचाक्षरी स्तोत्र का 5 बार पाठ करें.

अधिकमास रवि प्रदोष व्रत के लाभ (Adhikmaas Ravi Pradosh Vrat Ke Fayde) 

प्रदोष रविवार को पड़ने पर आयु वृद्धि, अच्छी सेहत का फल मिलता है. रवि प्रदोष एक ऐसा व्रत है जिसे करने से व्यक्ति लंबा और निरोगी जीवन प्राप्त कर सकता है. रवि प्रदोष का व्रत करके सूर्य से संबंधित सभी रोग को बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी व्रत या पूजा का फल तभी मिलता है, जब विधि विधान पूजन और ईश्वर का भजन किया जाए.

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