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कावेरी इंजन प्रोजेक्ट

कावेरी इंजन प्रोजेक्ट

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कावेरी इंजन प्रोजेक्ट (Kaveri Engine Project) भारत सरकार की एक महत्त्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य देश में स्वदेशी जेट इंजन तकनीक का विकास करना है. यह परियोजना भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टाब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा संचालित की जा रही है. कावेरी इंजन मूल रूप से हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस के लिए विकसित किया जा रहा था.

कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत 1989 में की गई थी, जब भारत ने यह निर्णय लिया कि वह अपने लड़ाकू विमानों के लिए स्वदेशी इंजन विकसित करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी इंजनों पर निर्भरता को कम करना और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था.

यह प्रोजेक्ट तकनीकी चुनौतियों, मैटेरियल और फंड की कमी के कारण इसमें देरी हुई. हालांकि कावेरी इंजन को पूरी तरह बंद नहीं किया गया है. DRDO अब इसे मानव रहित हवाई वाहनों (UAV), घातक (Ghatak) UCAV, और संभावित रूप से पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए तैयार कर रहा है. 

हाल के वर्षों में, इसकी प्रासंगिकता फिर से बढ़ी है, क्योंकि भारत स्वदेशी रक्षा तकनीकों पर जोर दे रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस प्रोजेक्ट को फिर से तेज करने की मांग चल रही है. 

कावेरी एक afterburning turbofan engine है, जो लगभग 80-90 किलो न्यूटन तक का थ्रस्ट प्रदान करने की क्षमता रखता है. इसका डिजाइन इस प्रकार किया गया था कि यह तेजस विमान को बिना किसी बाहरी इंजन के उड़ान भरने योग्य बना सके.

 

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