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ट्रंप को जवाब! 5वीं पीढ़ी फाइटर जेट के लिए फ्रांस की मदद से भारत में बनेगा इंजन

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA के लिए फ्रांस के साथ इंजन डील का ऐलान किया है. ये इंजन भारत में ही बनेंगे. ये घोषणा अमेरिका को करारा जवाब है. क्योंकि वो तेजस के लिए जो इंजन देने वाला था, उसमें लेट कर रहा है. साथ ही टैरिफ विवाद भी चल रहा है. यह घोषणा भारत की रक्षा क्षेत्र में बढ़ती ताकत को दर्शाती है.

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ये है पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA का मॉडल. (File Photo: X/Alpha Defence)
ये है पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट AMCA का मॉडल. (File Photo: X/Alpha Defence)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में में ऐलान किया कि भारत अब पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft) बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसके साथ ही, इन विमानों के लिए इंजन भी भारत में ही बनाए जाएंगे. यह काम फ्रांस की कंपनी सैफरॉन (Safran) के साथ मिलकर होगा.

यह घोषणा भारत के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को हकीकत में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है. साथ ही अमेरिका को करारा जवाब. क्योंकि वो तेजस के लिए जो इंजन देने वाला था, उसमें लेट कर रहा है. साथ ही टैरिफ विवाद भी चल रहा है.

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पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान: क्या हैं खास?

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft) आधुनिक युद्ध के लिए सबसे उन्नत विमान होते हैं. इनकी खासियतें हैं...

  • स्टील्थ तकनीक: ये विमान दुश्मन के रडार से बच सकते हैं, क्योंकि इनका डिज़ाइन और सामग्री रडार सिग्नल को कम करती है.
  • सुपरक्रूज़: ये बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक गति (ध्वनि से तेज) से उड़ सकते हैं.
  • सेंसर फ्यूजन: ये कई सेंसरों से जानकारी को एक साथ जोड़कर पायलट को बेहतर निगरानी और निशाना लगाने की क्षमता देते हैं.
  • आंतरिक हथियार बे: हथियार विमान के अंदर रखे जाते हैं, जिससे स्टील्थ बढ़ता है.
  • उन्नत एवियोनिक्स: ये विमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और नेटवर्क-आधारित युद्ध प्रणालियों से लैस होते हैं.

भारत का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) ऐसा ही विमान होगा, जो हवा में वर्चस्व और गहरे हमले करने में सक्षम होगा. इसे 25 टन वजन और ट्विन-इंजन डिज़ाइन के साथ बनाया जा रहा है.

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सैफरॉन के साथ साझेदारी: क्यों है खास?

भारत ने AMCA के लिए इंजन बनाने के लिए सैफरॉन कंपनी को चुना है, जो फ्रांस की एक प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी है. सैफरॉन राफेल लड़ाकू विमान के लिए M88 इंजन बनाती है, जो पहले से ही भारतीय वायुसेना के पास है. इस साझेदारी की खास बातें...

  • 120 किलो न्यूटन (kN) इंजन: यह नया इंजन AMCA के Mk-2 वेरिएंट को शक्ति देगा, जो दुनिया के सबसे ताकतवर इंजनों में से एक होगा.
  • 100% तकनीक हस्तांतरण (ToT): सैफरॉन इंजन डिज़ाइन, विकास और उत्पादन की पूरी तकनीक भारत को देगी. इससे भारत को बौद्धिक संपदा (IP) का पूरा नियंत्रण मिलेगा.
  • स्वदेशी उत्पादन: यह इंजन भारत में ही बनाया जाएगा, जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा.
  • लंबी अवधि का प्रोजेक्ट: इंजन बनाने में 10 साल लग सकते हैं. इसे DRDO और उसकी गैस टरबाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट (GTRE) लैब के साथ मिलकर विकसित किया जाएगा.
  • एयरोस्पेस इकोसिस्टम: सैफरॉन ने भारत में एक पूरा इंजन निर्माण इकोसिस्टम बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) और मेंटेनेंस सुविधाएं शामिल होंगी.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम फ्रांस की कंपनी सैफरॉन के साथ भारत में इंजन बनाने का काम शुरू करने जा रहे हैं. यह भारत की रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगा.

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AMCA: भारत का स्टील्थ सपना

एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) भारत का पहला पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और निजी कंपनियों के साथ मिलकर बनाया जा रहा है. इसकी खासियतें...

दो वेरिएंट

  • Mk-1: शुरुआती मॉडल में GE-414 इंजन (98 kN) का इस्तेमाल होगा, जो अमेरिका से लिया जाएगा.
  • Mk-2: उन्नत मॉडल में सैफरॉन का 120 kN इंजन होगा, जो भारत में बनेगा.
  • उत्पादन: 2035 तक 7 स्क्वाड्रन (126 विमान) भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे.
  • लागत: प्रोटोटाइप और डिज़ाइन के लिए 15,000 करोड़ रुपये की मंजूरी पिछले साल कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने दी थी.
  • विशेषताएं: स्टील्थ, सुपरक्रूज़,आंतरिक हथियार बे और उन्नत सेंसर.

AMCA भारत की हवाई ताकत को बढ़ाएगा और इसे चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ रणनीतिक बढ़त देगा.

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क्यों जरूरी है स्वदेशी इंजन?

भारत लंबे समय से लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर रहा है. उदाहरण के लिए...

  • तेजस Mk-1A: GE-F404 इंजन (अमेरिका).
  • तेजस Mk-2: GE-F414 इंजन (अमेरिका).
  • राफेल: M88 इंजन (सैफरॉन, फ्रांस).
  • सु-30 MKI: AL-31 इंजन (रूस).

लेकिन विदेशी इंजनों की आपूर्ति में देरी और रखरखाव की लागत भारत के लिए चुनौती रही है. उदाहरण के लिए, GE-F404 इंजनों की डिलीवरी में 2 साल की देरी ने तेजस Mk-1A के उत्पादन को धीमा कर दिया. कावेरी इंजन प्रोजेक्ट जो भारत का स्वदेशी इंजन बनाने का प्रयास था, पर्याप्त शक्ति (थ्रस्ट) न दे पाने के कारण असफल रहा.

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सैफरॉन के साथ यह साझेदारी भारत को...

  • आत्मनिर्भरता: विदेशी निर्भरता कम करेगी.
  • नौकरियां: हजारों उच्च-कुशल नौकरियां पैदा होंगी.
  • निर्यात: भारत भविष्य में इंजन निर्यात कर सकता है.
  • तकनीकी विकास: उन्नत तकनीकों जैसे क्रिस्टल ब्लेड, लेजर ड्रिलिंग और हॉट-एंड कोटिंग में महारत हासिल होगी.

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भारत-फ्रांस का मजबूत रिश्ता

भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पहले से ही मजबूत है. कुछ उदाहरण...

  • राफेल डील: भारतीय वायुसेना के पास 36 राफेल विमान हैं. नौसेना ने 26 राफेल-मरीन ऑर्डर किए हैं.
  • हेलिकॉप्टर इंजन: सैफरॉन और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 400 हेलिकॉप्टर इंजन बनाए हैं, जो उन्नत लाइट हेलिकॉप्टर (ALH) में इस्तेमाल होते हैं.
  • MRO सेंटर: सैफरॉन ने हैदराबाद में M88 इंजनों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) सेंटर शुरू किया है, जो दुनिया में अपनी तरह का पहला केंद्र है.

2022 में सैफरॉन के CEO ओलिवियर एंड्रिएस और राजनाथ सिंह की मुलाकात में इस साझेदारी की नींव रखी गई थी. अब यह साझेदारी होराइजन 2047 रोडमैप का हिस्सा है, जो भारत-फ्रांस के रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करेगा.

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तेजस: आत्मनिर्भरता का प्रतीक

राजनाथ सिंह ने तेजस लड़ाकू विमान को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता का शानदार उदाहरण बताया. हाल ही में...

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  • 97 तेजस विमानों के लिए 66000 करोड़ रुपये का ऑर्डर HAL को दिया गया.
  • इससे पहले, 83 विमानों के लिए 48000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया था.

सिंह ने कहा कि हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम हर समस्या का समाधान करेंगे और भारत में लड़ाकू विमान बनाने की पूरी क्षमता हासिल करेंगे.

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मेक इन इंडिया और वैश्विक भूमिका

राजनाथ सिंह ने वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया. उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए है. भारत में बनाएं, दुनिया के लिए बनाएं. भारत ने पिछले दशक में रक्षा निर्यात को 686 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़ाकर 23,622 करोड़ रुपये (2024-25) तक पहुंचाया है. 2029 तक 50000 करोड़ रुपये का लक्ष्य है.

सैफरॉन के साथ यह साझेदारी भारत को वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता बनाने में मदद करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कहा था कि हमें प्रणोदन (प्रोपल्शन), सेमीकंडक्टर और AI जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों में आत्मनिर्भर होना होगा. यह प्रोजेक्ट उसी दिशा में एक कदम है.

चुनौतियां और भविष्य

  • चुनौतियां: इंजन बनाना एक जटिल और लंबा (10 साल) प्रक्रिया है. लागत 7 बिलियन डॉलर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये) तक हो सकती है.
  • अवसर: यह प्रोजेक्ट भारत को एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में विश्व नेता बनाएगा. यह उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा औद्योगिक गलियारों को बढ़ावा देगा.
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