scorecardresearch
 
Advertisement

ड्रूज

ड्रूज

ड्रूज

ड्रूज (Druze) समुदाय एक अल्पसंख्यक धार्मिक और सांस्कृतिक समूह है, जिसकी उत्पत्ति 11वीं सदी में मध्य पूर्व में हुई थी. यह समुदाय मुख्य रूप से लेबनान, सीरिया, इजरायल और जॉर्डन जैसे देशों में निवास करता है. ड्रूज धर्म की जड़ें इस्लाम के इस्माइली शाखा से जुड़ी हैं, लेकिन समय के साथ इसने अपने स्वतंत्र धार्मिक सिद्धांत विकसित किए हैं.

ड्रूज धर्म की शुरुआत 1017 ईस्वी के आसपास मिस्र में फातिमी खलीफा अल-हाकिम बि-अम्रिल्लाह के शासनकाल के दौरान हुई. इस धर्म के प्रमुख प्रवर्तकों में हमजा इब्न अली और मुहम्मद बिन इस्माइल शामिल थे. "ड्रूज" नाम 'मुहम्मद बिन इस्माइल अद-दरज़ी' नामक व्यक्ति से जुड़ा है, हालांकि इस नाम को समुदाय के भीतर नकारात्मक रूप से देखा जाता है.

ड्रूज धर्म गूढ़ (esoteric) और रहस्यवादी प्रवृत्ति का है. इसके अनुयायी "तौहीद" या एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं. वे पुनर्जन्म (reincarnation) को मानते हैं और मानते हैं कि आत्मा एक शरीर से दूसरे में स्थानांतरित होती रहती है.

ड्रूज धर्म के पांच प्रमुख सिद्धांत हैं- 1. सत्य और सच्चाई की रक्षा करना, 2. ईश्वर की एकता पर विश्वास, 3. बुराई से बचना, 4. सत्यनिष्ठ जीवन जीना और 5. ईश्वर की इच्छा में समर्पित रहना.

ड्रूज समुदाय का धार्मिक ग्रंथ "रिसालात अल-हिकमा" (ज्ञान के पत्र) कहलाता है, जो केवल गिने-चुने धार्मिक अनुयायियों को ही पढ़ने की अनुमति होती है.

ड्रूज समाज में धर्म में परिवर्तन (conversion) या किसी अन्य धर्म में विवाह स्वीकार्य नहीं होता. महिलाएं और पुरुष धार्मिक मामलों में बराबरी रखते हैं, और दोनों को उच्च नैतिक जीवन जीने की अपेक्षा की जाती है.

पुरुष प्रायः दाढ़ी रखते हैं और पारंपरिक सफेद टोपियां पहनते हैं, जबकि महिलाएं सिर पर सफेद स्कार्फ धारण करती हैं.

आज के समय में ड्रूज समुदाय अपने धार्मिक विश्वासों के साथ आधुनिकता को भी आत्मसात कर रहा है. वे शिक्षा, राजनीति, सेना और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इजरायल में ड्रूज नागरिकों को सेना में सेवा करने की अनुमति है और वे विभिन्न सरकारी पदों पर आसीन हैं. वहीं, लेबनान की राजनीति में ड्रूज नेता वलीद जुंबलात का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.

और पढ़ें

ड्रूज न्यूज़

Advertisement
Advertisement