निदा फ़ाज़ली कहते हैं, "हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी". ठीक वैसे ही, AI भी एक नहीं होता. हर काम के लिए एक अलग तरह का AI होता है — जैसे दुकान पर रखा कैल्कुलेटर अलग होता है और रास्ता बताने वाला गूगल मैप अलग. अगर AI किसी एक खास काम में माहिर है, जैसे गाने सजेस्ट करना या चेहरा पहचानना, तो वो Narrow AI होता है. लेकिन जो इंसानों की तरह हर चीज़ को समझे, सोचे और महसूस करे, वो General AI कहलाएगा — जो अभी भविष्य की चीज़ है. और जो आपके लिए कहानी, कविता या पोस्ट लिख दे — वो है Generative AI. मतलब हर AI की अपनी जगह है, जैसे हर औज़ार की अपनी ज़रूरत.