scorecardresearch
 
Advertisement

संजय सिन्हा से सुनिए माया और सिद्धार्थ की ज्ञानवर्धक कहानी

संजय सिन्हा से सुनिए माया और सिद्धार्थ की ज्ञानवर्धक कहानी

बहुत दिनों के बाद अपनी बंगलुरु वाली दीदी से मिलना हुआ. कई सालों से हम नहीं मिले थे. बचपन में हम साथ रहे. उसकी शादी में मैं चीख-चीख कर रोया था. पर जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं और अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते जाते हैं, कुछ रिश्ते पुरानी किताब की तरह मन की लाइब्रेरी की शान बन कर रह जाते हैं. नए-नए रिश्ते बनते हैं. वैसे भी बहुत पुरानी कहावत है - “अरगट माया, परगट माया, जब देखी तब माया-माया.” इस कहावत के रचयिता का दावा है कि एक-दूसरे से मिलने-जुलने और एक-दूसरे को देखने-दिखाने से ही माया देवी मन में हिलोरें मारती हैं. खैर...आज तो संजय सिन्हा आपको सीधे-सीधे उस ज्ञान के संसार में ले जाने वाले हैं, जिस ज्ञान से सिद्धार्थ नामक राजकुमार अपने ही बगीचे में रुबरु हुआ था. सिद्धार्थ ने क्या देखा था?  जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो....

Advertisement
Advertisement