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आईआईटी प्रोफेसर्स ने फेसबुक के तथाकथित फ्री बेसिक्स के खिलाफ छेड़ी मुुहि‍म

देश में चल रही नेट न्यूट्रैलिटी की बहस में IIT और IIS के 75 प्रोफेसर शामिल हो गए हैं. इनका मानना है कि यह लोगों के लिए खतरनाक है और इससे फेसबुक के पास यूजर्स से जुड़े तमाम कंटेंट हासिल करने का अख्तियार होगा.

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'खतरनाक है फेसबुक का फ्री बेसिक्स'
'खतरनाक है फेसबुक का फ्री बेसिक्स'

फेसबुक के विवादास्पद इंटरनेट ओआरजी के फ्री बेसिक्स के खिलाफ आईआईटी और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के 75 प्रोफेसर्स ने जॉइंट स्टेटमेंट दी है. इसमें उनकी ओर से टीआरएआई से इस सर्विस को लागू न करने की अपील की गई है. इससे पहले भी फेसबुक के इस अभियान के खिलाफ कई संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराया है.

मंगलवार को गूगल डॉक्यूमेंट्स पर जारी किए गए इस साझा बयान में कहा गया है कि फेसबुक का यह प्रस्ताव बेहद खामियों भरा है और लोगों को भ्रम में डाल रहा है. अगर यह लागू होता है तो भारतीय यूजर्स की इंटरनेट यूज करने की आजादी का हनन होगा. इस स्टेटमेंट में प्रोफेसर्स ने 3 पॉइंट्स गिनाए हैं जिनसे फेसबुक के इस तथाकथित फ्री बेसिक्स पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

गौरतलब है कि फेसबुक के इस अभियान से देश भर में नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर बहस शुरू हो गई है. इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि किसी प्राइवेट कंपनी के पास बेसिक इंटरनेट में क्या होगा, इस बात को तय करने का कोई अधिकार नहीं है. 

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'फेसबुक के पास होगी यूजर्स के कंटेंट की जानकारी'
इस स्टेटमेंट में सबसे हैरान कर देने वाले पॉइंट में कहा गया है कि फेसबुक इस सर्विस के जरिए बेसिक एप्स के कन्टेंट को डिक्रि‍प्ट कर सकता है. यानी फेसबुक यह तय करेगा कि आपके लिए कौन से एप बेसिक हैं और उन पर पूरी तरह फेसबुक का अख्तियार होगा. यूजर्स को इस बात की खबर भी नहीं होगी और आपका सारा डेटा उनके सर्वर पर स्टोर होगा.

'मूल सिद्धांत के खिलाफ है फेसबुक का फ्री बेसिक'
इसके अलावा इन्होंने प्राइवेसी मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह सर्विस पूरी तरफ फ्री नहीं होगी क्योंकि इसके बाद टेलीकॉम कंपनियां कहीं न कहीं से इस तथाकथित फ्री बेसिक्स के पैसे वसूल कर लेंगी. साथ ही इस स्टेटमेंट में यह भी कहा गया है कि फ्री बेसिक्स नेट न्यूट्रैलिटी के मूल सिद्धांत का हनन है, और TRAI को इसे खारिज करना चाहिए.

भारत में इस विवाद को गहराता देख फेसबुक फाउंडर और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने सफाई देते हुए कहा कि यह नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ नहीं है और फ्री बेसिक्स में फेसबुक के अलावा वह अपनी प्रतिद्वंदी सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे ट्विटर और गूगल प्लस को भी जगह देने को तैयार हैं.

'इंटरनेट डॉट ओआरजी' से बदलकर इसे 'फ्री बेसिक्स बाइ फेसबुक' किया गया
फेसबुक ने शुरुआत में रिलाइंस के साथ मिलकर भारत में Internet.org शुरू किया था. फेसबुक का दावा था कि रिलाइंस के साथ मिलकर वह कुछ एप फ्री देगा. इसके बाद एयरटेल सहित कई और कंपनियों के साथ फेसबुक ने इसके लिए करार किया.

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साल के मिड में भारत में लोगों ने इसे नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ मान कर इसे खत्म करने के लिए जमकर हंगामा किया. मौके की नजाकत और बढ़ते दबाव को देखते हुए एयरटेल ने फेसबुक से इंटरनेट डॉट ओआरजी के लिए करार खत्म कर लिया. अब फेसबुक ने इस Internet.org का नाम बदलकर फ्री बेसिक्स बाइ फेसबुक कर लिया है ताकि लोगों को लगे कि फेसबुक उन्हें फ्री इंटरनेट दे रहा है.

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