भारत ने हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय पटल पर कुश्ती में शानदार प्रदर्शन किया है. इसी कड़ी में पिछले तीन ओलंपिक खेलों में भारतीय पहलवानों ने कुल चार मेडल हासिल किए हैं. पहलवान केडी जाधव के हेलसिंकी ओलंपिक (1952) में कांस्य जीतने के 56 साल बाद सुशील कुमार ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में इस उपलब्धि को दोहराया. फिर सुशील ने 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता, जबकि योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता. साक्षी मलिक ने 2016 रियो ओलंपिक में एक और कांस्य पदक जीता.
इन चार पदक में से तीन- 2008 में सुशील का कांस्य, 2012 में योगेश्वर दत्त का कांस्य और 2016 में साक्षी का कांस्य रेपचेज रांउड के चलते आया था. रेपचेज ने इन तीनों पहलवानों को मैच हारने के बावजूद पोडियम पर स्थान बनाने का मौका दिया था.
कुश्ती में रेपचेज प्रणाली क्या है?
रेपचेज शब्द फ्रांसीसी शब्द रेपेचर से लिया गया है, जिसका अर्थ है बचाव करना. कुश्ती की स्पर्धाओं में रेपचेज ऐसी प्रणाली है, जो शुरुआती दौर में हारने वाले पहलवानों को वापसी का मौका देता है. कुश्ती में एक प्रतिभागी जो प्री-क्वार्टर फाइनल या बाद के राउंड में हार गया हो, उसे आगे प्रतिस्पर्धा करने और कांस्य पदक के लिए मुकाबला करने का एक और मौका मिलता है. हालांकि इसकी अनुमति केवल तभी दी जाती है, जब वे जिस पहलवान से हारे हैं, उसने फाइनल में जगह बनाई हो. इसे सरल शब्दों में कहें तो फाइनल में पहुंचने वाले दो पहलवानों ने जिन खिलाड़ियों को नॉकआउट दौर में हराया है, उन खिलाड़यों को रेपचेज राउंड के जरिए कांस्य पदक जीतने का मौका मिलता है.
कुश्ती में अन्य खेलों की तरह पहलवानों के बीच मुकाबले का ड्रॉ उनकी रैंकिंग के मुताबिक नहीं होता है. टेनिस जैसे खेल में कभी दो टॉप रैंकिंग प्लेयर शुरुआती राउंड में आपस में नहीं भिड़ते. लेकिन कुश्ती में बहुत मौकों पर दो टॉप रैंक प्लेयर का शुरुआती रांउड में मुकाबला हो जाता है. इसीलिए कुश्ती में रेपचेज नियम को लागू किया जाता है, ताकि खिलाड़ियों के साथ अन्याय न हो. ओलंपिक के कुश्ती इवेंट्स में पहली बार इसका बीजिंग ओलंपिक (2008) में किया गया था.
रेपचेज ने भारत को दिलाए 3 मेडल
2008 का बीजिंग ओलंपिक- सुशील कुमार
2008 के बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार को पहले ही राउंड में एंड्री स्टाडनिक ने हरा दिया था. स्टाडनिक के फाइनल में पहुंचने के चलते सुशील को रेपचेज रांउड खेलने का मौका मिला. ऐसे में उन्होंने पहले डग स्वाब और फिर दूसरे राउंड में अल्बर्ट बाटीरोव को मात दी. इसके बाद सुशील ने कांस्य पदक के मुकाबले में लियोनिड स्पिरिडोनोव को 3-1 से हराकर इतिहास रच दिया. वह केडी जाधव के बाद ओलंपिक में पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय रेसलर बन गए थे. जाधव ने 1952 में हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था.
2012 का लंदन ओलंपिक- योगेश्वर दत्त
फिर लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त को प्री-क्वार्टर फाइनल में चार बार के विश्व चैम्पियन पहलवान बेसिक कुदुकोव से हार झेलनी पड़ी. लेकिन योगेश्वर दत्त को हराने वाले रूसी पहलवान कुदुकोव फाइनल में पहुंच गए. इसके बाद रेपचेज राउंड में योगेश्वर दत्त को ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए लगातार तीन मैच जीतने थे. रेपचेज के पहले राउंड में योगेश्वर ने प्यूर्तो रिको के पहलवान मातोज फ्रैंकलिन को आसानी से 3-0 से मात दी. फिर अगले राउंड में योगेश्वर ने ईरानी पहलवान मसूद इस्माइलपूरजोबरी को 3-1 से हरा फाइनल में जगह बनाई. इसके बाद योगेश्वर ने प्लेऑफ मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए उत्तर कोरिया के जांग म्यांग री को मात देकर कांस्य पदक जीत लिया.
2016 का रियो ओलंपिक- साक्षी मलिक
इसके बाद रियो ओलंपिक में साक्षी मलिक को क्वार्टर फाइनल में रूस की वेलेरिया कोबलोवा ने 9-2 से हरा दिया. बाद में कोबलोवा के फाइनल मुकाबले में पहुंचने के चलते साक्षी को रेपचेज खेलने का मौका मिला. रेपचेज के पहले राउंड में साक्षी मलिक का मुकाबला मंगोलिया की ओरखोन पुरेवदोर्ज से हुआ. साक्षी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए ओरखोन को 12-3 से हराकर मुकाबला अपने नाम कर लिया. दूसरे मुकाबले में साक्षी मलिक का सामना किर्गिस्तान की पहलवान एसुलू तिनिवेकोवा से हुआ. एसुलू ने शुरुआत से ही साक्षी पर दबाव बनाते हुए पहले राउंड के अंत तक 5 अंकों की बढ़त ले ली. इसके बाद दूसरे राउंड में साक्षी ने शानदार वापसी करते 8-5 से मुकाबला अपने नाम कर लिया. इस तरह साक्षी ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गईं.