'मैं वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई कर लूंगा, आप चिंता मत करो!' अनिमेष कुजूर ने अपने कोच मार्टिन ओवेन्स से यह बात भले ही मजाक में कही हो... लेकिन अगर अनिमेष यह मुकाम हासिल कर लेते हैं, तो वह भारत के लिए इतिहास रच देंगे. 22 साल के कुजूर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में भाग लेने वाले पहले भारतीय पुरुष एथलीट बन जाएंगे.
छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव घुइटानगर से निकले अनिमेष अब भारतीय एथलेटिक्स में नया अध्याय लिख रहे हैं. वह पहले ही भारत के सबसे तेज धावक बन चुके हैं. उन्होंने 100 मीटर दौड़ 10.18 सेकेंड में पूरी कर ली और गुरिंदरवीर सिंह का 10.20 सेकेंड वाला रिकॉर्ड तोड़ दिया.
अनिमेष कुजूर ने एथलेटिक्स में क्या नया किया है?
सिर्फ 22 साल की उम्र में और 6 फीट 2 इंच लंबाई के साथ कुजूर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. जुलाई में उन्होंने पहली बार डायमंड लीग में हिस्सा लिया, जहां उनका मुकाबला ऑस्ट्रेलिया के उभरते सितारे गॉट गॉट (Gout Gout,) से हुआ, जो पहले से ही एथलेटिक्स की दुनिया में सबका ध्यान खींच रहे हैं.
मोनाको डायमंड लीग में कुजूर ने U-23 200 मीटर दौड़ में हिस्सा लिया और स्प्रिंट प्रतियोगिता में भारत के पहले प्रतिभागी बने. महान मंच से दबाव महसूस करने की बजाय, उन्होंने खुद को प्रेरित किया और दुनिया के कुछ सबसे बड़े उभरते सितारों के साथ पदक जीतने की लड़ाई लड़ी.
𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚’𝐬 𝐟𝐚𝐬𝐭𝐞𝐬𝐭 𝐢𝐬𝐧’𝐭 𝐬𝐥𝐨𝐰𝐢𝐧𝐠 𝐝𝐨𝐰𝐧 - 𝐡𝐞’𝐬 𝐥𝐞𝐯𝐞𝐥𝐥𝐢𝐧𝐠 𝐮𝐩. 💪
— RelianceFoundationSports (@RFYouthSports) July 11, 2025
Animesh Kujur gearing up for Diamond League 2025, Monaco.#RFSports #Letsplay #AnimeshKujur pic.twitter.com/8TbdrOlUJ8
मुकाबले से डरने की बजाय अनिमेष कुजूर ने कड़ी मेहनत की (20.55), लेकिन वह पोडियम से महज दसवें सेकेंड से चूक गए. निमेष दक्षिण अफ्रीका के जैक नईम (20.42 सेकेंड) से पीछे रहे.यह समय बहुत मायने रखता है. भारत को आमतौर पर 100 मीटर या 200 मीटर जैसी विश्व स्तरीय स्प्रिंट रेस में कम ही देखा गया है, लेकिन कुजूर इस सोच को बदल रहे हैं. छत्तीसगढ़ की पूर्वी सीमा से आने वाले कुजूर लगातार रिकॉर्ड बना रहे हैं और भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा में ला रहे हैं.
कुजूर वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई कर पाएंगे?
हालांकि वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए सीधे क्वालीफाई करना (100 मीटर में 10.00 सेकें
ड और 200 मीटर में 20.16 सेकेंड) मुश्किल लगता है,लेकिन कुजूर रैंकिंग सिस्टम के जरिए क्वालिफाई करने की काबिलियत रखते हैं. फिर भी वह सीधे क्वालिफाई करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, जो उनकी अंदर की जज्बे का प्रमाण है.
अनिमेष के कोच ओवेन्स ने, जो इंटरव्यू में उनके साथ थे, मुस्कराते हुए कहा, 'अनिमेष को मेडल या रिकॉर्ड की चाह नहीं है, वो तो मेहनत के साथ अपने आप मिल जाते हैं. वह सिर्फ खुद को बेहतर बनाना चाहता है. इसीलिए ग्रां प्री में आना उसके लिए खास था- ये जानने के लिए कि बड़े खिलाड़ी क्या अलग करते हैं, वो कैसे रहते हैं, और वो क्या-क्या त्याग करते हैं. यह सिर्फ दौड़ने या वजन उठाने की बात नहीं है, इसमें आइसक्रीम खाना छोड़ना पड़ता है, शादियों में नहीं जाना पड़ता है और भी बहुत कुछ छोड़ना होता है.'
ओवेन्स का मानना है कि डायमंड लीग में आना और नोआ लाइल्स (100 मीटर) तथा लेट्सिले तेबोगो (200 मीटर) जैसे ओलंपिक चैम्पियनों के साथ रहना, इस युवा एथलीट के लिए सही दिशा में उठाया गया एक अहम कदम था.
डायमंड लीग में कुजूर का अनुभव कैसा रहा?
रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रखे गए इस इंटरव्यू में कुजूर ने कहा, 'मैंने लाइल्स और टेबोगो को देखा, उनके साथ तस्वीरें लीं और उनके वॉर्म-अप रूटीन देखे. मैंने अपने प्रशिक्षण में लागू करने के लिए बहुत कुछ सीखा. भीड़ खचाखच भरी थी, जोश चरम पर था...मैं बस दौड़ना चाहता था.'
हालांकि कुजूर ने माना कि वह मोनाको में अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं थे. उनका समय 20.55 सेकेंड रहा, जो उनके पर्सनल बेस्ट 20.32 सेकेंड से धीमा था.
कोच ओवेन्स ने कहा, 'यह दौड़ तेज हवा (-1.9 मीटर/सेकेंड) के बीच हुई, जिससे सभी प्रतियोगियों की गति धीमी हो गई. इसके अलावा, मोनाको इस सीजन में कुजूर की यूरोप में तीसरी दौड़ थी, और थकान ने उन पर भारी असर डाला.'
ओलंपिक चैम्पियनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दौड़ने से पहले कुजूर पेशेवर एथलेटिक्स की दुनिया से दूर थे. दरअसल, कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वह गंभीरता से दौड़ भी नहीं रहे थे. शुरुआत में वह एक फुटबॉल खिलाड़ी थे और कभी-कभी अपने गांव के पास सेना के जवानों के साथ दौड़ लिया करते थे.एक ऐसा इलाका जहां न तो कोई ट्रैक था, न कोच, और न ही किसी अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी को तैयार करने की कोई योजना... यह वो जगह थी, जहां से एक पीढ़ी का सबसे तेज धावक निकल आएगा, ऐसा किसी ने सोचा भी नहीं था.
... तो क्या इस सुझाव ने अनिमेष को बड़ा धावक बना डाला?
लेकिन जैसा कहा जाता है, हर बड़ी यात्रा एक छोटे से कदम से शुरू होती है. कुजूर के लिए भी वो शुरुआत एक साधारण सुझाव से हुई-'क्यों न तुम एक स्थानीय दौड़ में हिस्सा लो?' जब उन्होंने अपनी पहली दौड़ पूरी की, तो उनके अंदर कुछ बदलाव आया.
यहां कहानी थोड़ी धुंधली हो जाती है.ओवेन्स ने मजाक में कहा, 'वह वास्तव में एक बड़ा लड़का था, और उसने मुझसे रिलायंस फाउंडेशन एचपीसी (हाई परफॉरमेंस सेंटर) में ले जाने की विनती की.'
'यह एक मजेदार कहानी है. वह कहता है कि मैंने उससे शामिल होने के लिए विनती की थी, लेकिन मैं कहता हूं कि उसने मुझसे विनती की थी. इसलिए हममें से किसी एक की याददाश्त बेहतर है,' ओवेन्स ने हंसते हुए कहा और मुश्किल से अपनी बात पूरी की.
ओवेन्स के मार्गदर्शन में कुजूर ने अपनी प्रतिभा जल्दी ही साबित कर दी, जब उन्होंने अपनी पहली उम्र वर्ग चैम्पियनशिप में U-23 200 मीटर दौड़ जीती. उनकी बड़ी कद-काठी ने कुछ लोगों को उम्र धोखाधड़ी का शक दिलाया, लेकिन उनकी तेज रफ्तार को नकारा नहीं जा सकता था.
ओवेन्स ने याद करते हुए कहा, 'वह कच्चा था, बिल्कुल कच्चा, इसलिए हमने सोचा कि हम उसके साथ कुछ कर सकते हैं. जब वह एचपीसी में शामिल हुआ, तो हमें एहसास हुआ कि वह हिल-डुल नहीं सकता. उसकी कोई गतिशीलता नहीं थी. इसलिए हमने उसकी गतिशीलता पर बहुत काम किया और उसे ढीला छोड़ा.'
अधिक देर से दौड़ शुरू करने के बावजूद ओवेन्स- अनिमेष के साथ क्यों लगे रहे?
ओवेन्स कहते हैं कि अनिमेष की विनम्रता सबसे खास बात थी, और यह आज भी वैसी ही है.ओवेन्स ने कहा. 'उसकी एक और अच्छी बात यह है कि वह एक युवा इंसान के रूप में बहुत ही शिष्ट, सावधान और दूसरों के प्रति दयालु है. और वह हमेशा अपने बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रेरित रहता है.'
अपने सबसे अच्छे बनने की चाह उसकी प्रगति में साफ दिखती है.ओवेन्स के मुताबिक, वह रेस जिसने अनिमेष को सुर्खियों में लाया (2025 के नेशनल गेम्स), जहां उसने 10.28 सेकेंड में दौड़ पूरी की, असल में एक खराब प्रदर्शन था.
ओवेन्स ने कहा, 'नेशनल गेम्स में वह अद्भुत लय में था. धीमी शुरुआत के बाद उसने मैदान में दौड़ लगाई और राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिया.'इसके बाद कुजूर ने ग्रीस में ड्रोमिया मीट में 0.10 सेकेंड का समय कम किया और सबसे तेज भारतीय बन गए.
क्या अनिमेष कुजूर 10 सेकेंड की सीमा पार कर पाएंगे?
वर्ल्ड चैम्पियनशिप के लिए क्वालिफाई करने के लिए अनिमेष को 100 मीटर में 10 सेकेंड और 200 मीटर में 20.16 सेकेंड का समय चाहिए.
कोच ओवेन्स कहते हैं, 'अगर सही इंसान, सही समय और सही हालात मिल जाएं, तो भारत के टॉप 5 धावकों में से कोई भी ये कर सकता है. लेकिन सबसे ज्यादा उम्मीद कुजूर से है.'
ओवेन्स ने कहा, 'जब कोई 10 सेकेंड का समय पार कर लेगा, तो मैं भारत का सबसे खुश इंसान होऊंगा... लोग मुझसे यह पूछना बंद कर दें कि 'यह कब होगा?' धैर्य रखें और प्रक्रिया पर भरोसा रखें. यह सही व्यक्ति, सही दौड़, सही परिस्थितियों के साथ होगा, चाहे वह अनिमेष हो या कोई और. फिर तो भारत की मीडिया भी खुश हो जाएगा.'
अनिमेष भी इससे पूरी तरह सहमत हैं और जोर देकर कहते हैं- 'नेशनल गेम्स में मेरी फॉर्म 10 सेकेंड से कम दौड़ने की थी, लेकिन शुरुआत अच्छी नहीं हुई.. इसलिए नहीं हो पाया. कोच ने कहा था- समय लगेगा, बस भरोसा रखो. हम तुम्हें 100 मीटर 10 से कम और 200 मीटर 20 से कम में दौड़ाएंगे.बस प्रोसेस पर भरोसा रखो.'
कोच ओवेन्स को ज्यादा उम्मीद अनिमेष कुजूर से क्यों?
मोनाको डायमंड लीग के प्रदर्शन के आंकड़े बताते हैं कि अनिमेष 40-130 मीटर के निशान के बीच गॉट गॉट के बराबर था. अन्य वर्गों में गॉट गॉट थोड़ा तेज था, शायद यहां-वहां बस दसवें हिस्से से.
ओवेन्स को पूरा भरोसा है कि अगर सही तरीके से ट्रेनिंग की जाए, तो कुजूर 200 मीटर दौड़ के हर हिस्से में और तेज हो सकता है. ओवेन्स ने कहा, 'हम हर हिस्से को और तेज बनाना चाहते हैं. जहां अनिमेष ने गॉट गॉट को बराबरी दी, वहां भी हम उसे और बेहतर करना चाहते हैं. हम कमजोरियों पर काम करेंगे और ताकत को और बढ़ाएंगे.'
और शायद यही था मोनाको डायमंड लीग में हिस्सा लेने का असली मकसद- ये समझना कि अनिमेष दुनिया के उभरते टैलेंट्स के बीच कहां खड़ा है.
अनिमेष के लिए आगे का सीजन बेहद व्यस्त है. 15 जुलाई को उन्होंने लूजर्न में एक सिल्वर स्टैंडर्ड मीट में 100 मीटर स्प्रिंट में 10.28 सेकेंड का समय लेकर दूसरा स्थान हासिल किया, जो भारत के अगले सर्वश्रेष्ठ धावक गुरिंदरवीर सिंह (10.54 सेकेंड) से काफी आगे था.इसके बाद वह जर्मनी के बोखुम में प्रशिक्षण लेंगे, और फिर टोक्यो (सितंबर) में होने वाली विश्व चैम्पियनशिप से पहले और भी मीट्स के लिए भारत लौटेंगे.