
कतर में फीफा वर्ल्ड कप 2022 चल रहा है और शुरुआती मैच से ही फैन्स में जबरदस्त जोश है. कतर में कई तरह के विवाद सामने आ रहे हैं, तो वहीं फैन्स अलग-अलग मुश्किलों से जूझ रहे हैं. फीफा को लेकर कई किस्से हमेशा ही सुर्खियों में बने रहते हैं, जो हमेशा ही फैन्स की यादों में दर्ज हो जाते हैं. ऐसे ही कुछ किस्से फीफा की मशहूर ट्रॉफी से जुड़े हुए हैं. इन्हीं में से कुछ मजेदार किस्से पढ़िए...
जब जूते के डब्बे में छिपाई गई वर्ल्ड कप ट्रॉफी
साल 1938 में जब विश्व युद्ध के साये में फीफा वर्ल्ड कप फ्रांस में खेला गया, तब हर कोई खौफ में जी रहा था. इस वर्ल्ड कप को इटली ने जीता था, जिसने फाइनल में हंगरी को मात दी थी. इटली को जब वर्ल्ड कप की ट्रॉफी मिली तो उसे रोमन बैंक में सुरक्षित रखा गया. लेकिन इस बीच विश्व युद्ध की शुरुआत हो गई, ऐसे में बैंक में लूट होने का डर था.
उस वक्त इटली फुटबॉल फेडरेशन के वाइस प्रेसिडेंट ऑर्तिनो बरासी ने ट्रॉफी को बैंक से निकाला और अपने घर ले गए. वहां एक जूते के डब्बे में उसे रखा और बेड के नीचे छिपा दिया. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि जर्मनी ने उस वक्त हमला बोल दिया था और लड़ाके हर जगह लूटपाट कर रहे थे. दावा किया गया कि जर्मनी सेना के कुछ सैनिकों ने बरासी के घर पर दस्तक भी दी थी, लेकिन ट्रॉफी पाने में नाकाम रहे. बाद में बरासी ने ट्रॉफी को फीफा के अधिकारियों को सौंप दिया गया था.
जब एक कुत्ते ने ढूंढी वर्ल्ड कप की ट्रॉफी
साल 1966 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में आयोजित किया गया, टूर्नामेंट शुरू होने के कुछ वक्त पहले वर्ल्ड कप की ट्रॉफी को वेंसमिंस्टर हॉल में रखा गया था ताकि आम जनता इसे देख सके. लेकिन यहां से यह ट्रॉफी गायब हो गई, जिसके बाद पुलिस पर काफी सवाल खड़े किए गए. फीफा ने उस वक्त इस बात को छुपाने की कोशिश की, साथ ही ट्रॉफी की डुप्लीकेट बनाने की तैयारी कर दी.

दूसरी ओर असली ट्रॉफी को ढूंढने की कोशिश जारी थी, इसी दौरान पिकल्स नाम के एक खोजी कुत्ते ने कमाल कर दिया. और एक गार्डन में फीफा वर्ल्ड कप की ट्रॉफी को खोज लिया. पिकल्स के इस कमाल ने फेडरेशन की लाज बचा ली, साथ ही उसकी तस्वीरें अखबारों के फ्रंटपेज पर छापी गईं. बाद में मालूम चला कि एक कर्मचारी ने असली ट्रॉफी को स्टोर से उठाया था.

फीफा ट्रॉफी को लेकर इन किस्सों का जिक्र नियोगी बुक्स द्वारा छापी गई किताब ‘The Most Incredible World Cup Stories’ में किया गया है. इस किताब को Luciano Wernicke ने लिखा है.