PCB looking to bring Babar Azam back: पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) पूर्व कप्तान बाबर आजम को दोबारा लाने पर विचार कर रहा है. पीसीबी को राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करने के लिए शान मसूद और शाहीन शाह आफरीदी की क्षमता पर भरोसा नहीं रह गया है. पाक बोर्ड को लगता है कि पूर्व कप्तान बाबर आजम एक बार फिर टीम की कप्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प हैं.
वनडे वर्ल्ड के दौरान पाकिस्तान की हुई थी फजीहत
पिछले साल भारत में वनडे वर्ल्ड के दौरान पाकिस्तान के ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाने के बाद बाबर ने सभी प्रारूपों में टीम की कप्तानी छोड़ दी थी. मसूद को जहां टेस्ट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया तो वहीं शाहीन को टी20 टीम का कप्तान बनाया गया.
पीसीबी थिंक टैंक के सूत्रों ने कहा कि बोर्ड इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि कोई व्यावहारिक विकल्प उपलब्ध नहीं होने के कारण बाबर फिर से टीम का नेतृत्व करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं.
शान मसूद और शाहीन आफरीदी का क्या होगा?
एक सूत्र ने बताया,‘मजेदार बात यह है कि ऐसा प्रतीत होता है कि बोर्ड के अध्यक्ष में बदलाव के साथ ही पदाधिकारियों ने टेस्ट और टी20 प्रारूपों में राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व करने की शान मसूद और शाहीन शाह आफरीदी की क्षमता पर भरोसा खो दिया है.’
सूत्र ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि बाबर अब कुछ तेवर दिखा रहे हैं. सूत्र ने कहा, ‘बाबर से यह पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या वह फिर से कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं और उन्होंने कुछ आशंकाएं जताई हैं. जाहिर है कि वह बोर्ड अध्यक्ष से कुछ आश्वासन चाहते हैं.’
जका अशरफ जब पीसीबी अध्यक्ष थे तो विश्व कप के तुरंत बाद बाबर को सफेद गेंद के प्रारूप के कप्तान के पद से हटा दिया गया था. इसके बाद उन्होंने टेस्ट टीम के कप्तान का पद भी छोड़ने का विकल्प चुना. बाबर 2020 से सभी प्रारूपों में टीम के कप्तान थे, लेकिन एशिया कप और विश्व कप में खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया.
तीनों प्रारूपों में कप्तानी कर चुके हैं बाबर
कप्तानी की बात करें, तो बाबर आजम ने अब तक 20 टेस्ट मैचों में पाकिस्तानी टीम की कमान संभाली है. उनकी कप्तानी में पाकिस्तान को 10 मैचों में जीत मिली, जबकि 6 मैच गंवाने पड़े. वनडे में बाबर ने 43 मैचों में कप्तानी की. इस दौरान टीम ने 26 मैच जीते, जबकि 15 में उसे हार मिली. टी20 इंटरनेशनल में बाबर ने सबसे ज्यादा 71 मैचों में कप्तानी की, जिनमें से उन्हें 42 में जीत, जबकि 23 में हार झेलनी पड़ी.