भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 2 अप्रैल का दिन काफी खास है. 13 साल पहले यानी साल 2011 में इसी दिन भारतीय टीम ने दूसरी बार ओडीआई वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था. साल 1983 में भारत ने कपिल देव की कप्तानी में पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया था. यानी 28 साल के लंबे इंतजार के बाद बाद महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने फिर से इतिहास रच डाला. भारतीय टीम वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के बाद तीसरी ऐसी टीम बन गई थी, जिसने दो या इससे अधिक बार ओडीआई वर्ल्ड कप जीता.
...जयवर्धने ने जड़ा शानदार शतक
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए उस फाइनल मुकाबले में श्रीलंकाई टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट पर 274 रनों का स्कोर खड़ा किया था. मेहमान टीम के लिए महेला जयवर्धने ने 103 रनों की पारी खेली थी. वही कप्तान कुमार संगकारा ने 48 और नुवान कुलसेकरा ने 32 रनों का योगदान दिया था. भारत की ओर से जहीर खान और युवराज सिंह ने दो-दो विकेट चटकाए थे.
That bat swing - That look during the final flourish 😍😍
Today in 2011, the 28-year old wait came to an end 😎😎 #ThisDayThatYear pic.twitter.com/XFEibKDrdk— BCCI (@BCCI) April 2, 2019
275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत को शुरुआती झटके लगे थे. उसके 2 विकेट महज 31 रनों पर गिर गए थे. फिर टीम इंडिया ने 114 रनों के स्कोर पर विराट कोहली का विकेट गंवा दिया. तब ओपनर गौतम गंभीर क्रीज पर थे और उनका साथ देने के लिए युवराज सिंह को आना था. मगर कप्तान महेंद्र सिंह धोनी सबको हैरत में डालते हुए युवराज सिंह से पहले क्रीज पर आ गए. धोनी ने धमाकेदार पारी खेल कर 10 गेंद बाकी रहते भारत को जीत (277/4) दिलाई. धोनी 'प्लेयर ऑफ द मैच' रहे.
...कप्तान धोनी का वो यादगार सिक्स
एमएस धोनी ने गौतम गंभीर के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रनों की पार्टनरशिप की थी. फिर युवराज सिंह के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए उन्होंने नाबाद 54 रन जोड़े थे. गौतम गंभीर ने 97 रनों (122 गेंद, 9 चौके) की ठोस पारी खेली. जबकि धोनी ने 79 गेंदों में 91 रन (8 चौके, दो छक्के) तो बनाए ही, साथ ही 'बेस्ट फिनिशर' की परिभाषा पर खरे उतरते हुए विजयी सिक्स जड़कर फैन्स का दिल जीत लिया. धोनी ने यह छक्का तेज गेंदबाज नुवान कुलसेकरा की बॉल पर जड़ा था. युवराज 24 गेंदों पर 21 रन बनाकर नाबाद रहे.
भारतीय क्रिकेट टीम के 28 साल बाद विश्व विजेता बनने पर प्रशंसक जश्न में डूब गए. यह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी आखिरी वर्ल्ड कप भी था, ऐसे में उनके लिए यह खिताब एक स्पेशल गिफ्ट भी रहा. चूंकि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का विश्व विजेता बनने का सपना पूरा हो चुका था. ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों ने इस दिग्गज को कंधे पर बिठाया और पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया.

पूरे वर्ल्ड कप में युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर और जहीर खान का जलवा रहा. युवराज को 'प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट' चुना गया था. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में गेंद और बल्ले से धमाल मचाया था. युवराज ने वर्ल्ड कप में 362 रन बनाए और 15 विकेट भी चटकाए थे. टीम इंडिया के लिए सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 482 रन बनाए थे. जबकि जहीर खान ने सबसे ज्यादा 21 विकेट झटके थे. सचिन-जहीर ओवरऑल लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहे थे.
भारतीय टीम ने तोड़ दिए ये मिथक
भारत ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर कई मिथक तोड़े. वह पहली ऐसी मेजबान टीम बनी, जिसने वर्ल्ड कप जीता. इससे पहले किसी टीम ने अपनी धरती पर वर्ल्ड कप हासिल नहीं किया था. भारत के बाद ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीम भी अपनी-अपनी धरती पर ओडीआई वर्ल्ड कप जीतने में सफल रही.
टीम इंडिया लक्ष्य का पीछा करते हुए चैम्पियन बनने वाली तीसरी टीम बनी थी. इससे पहले वर्ल्ड कप के इतिहास में दो बार ही ऐसा हुआ था. इससे पहले तक फाइनल में शतक बनाने वाले की टीम जीतती रही थी. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था, जब शतक काम नहीं आया. महेला जयवर्धने के नाबाद 103 रनों के बाद भी श्रीलंका को जीत नसीब नहीं हुई.