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Ind Vs Aus: तीन दिन में ही टेस्ट मैच खत्म, आखिर इस दर्द की दवा क्या है...

टेस्ट क्रिकेट में पांचवें दिन के कई और यादगार लम्हें हैं, लेकिन तीन दिनों में समाप्त हो रहे मुकाबले रोमांच के स्पेस को खत्म कर रहे हैं. टेस्ट मैचों का पांच दिनों से पहले खत्म होना, क्रिकेट की रूह के साथ-साथ इस खेल के प्रति जुनून रखने वाले पर किसी जुल्म ढहाने से कम नहीं है. खिलाड़ियों को तपाकर सोना बनाने वाले टेस्ट क्रिकेट की भट्ठी की आंच अब मध्यम होती नजर आ रही है.

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तीन दिन में ही खत्म हो रहा टेस्ट मैच (फोटो: PTI)
तीन दिन में ही खत्म हो रहा टेस्ट मैच (फोटो: PTI)

नागपुर टेस्ट का तीसरा दिन और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी का 31वां ओवर. ऑस्ट्रेलियाई टीम 9 विकेट गंवाकर लगभग हार के किनारे लग चुकी थी, अब सिर्फ औपचारिकताएं पूरी करनी थीं. नागपुर के टर्निंग ट्रैक पर जलवा बिखेर चुके रवींद्र जडेजा 31वें ओवर में अटैक पर थे. सामने स्टीव स्मिथ थे. ओवर की दूसरी गेंद को जडेजा ने 96.5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से स्मिथ के फ्रंटफुट से लगभग बीता भर पहले फेंक दिया. गेंद स्मिथ के बैट और पैड के बीच से निकल सीधे स्टम्प से टकराई और गिल्लियां हवा में लहरा उठीं. लेकिन तभी अंपायर ने नो बॉल का इशारा कर दिया. स्मिथ पवेलियन नहीं लौटे. 

इस नो-बॉल ने क्रिकेट फैन्स के मन में थोड़ी उम्मीद जगाई कि शायद मैच पांच ओवर और खींच जाए. एक बल्लेबाज और टेलेंडर की जोड़ी का रोमांच दिख जाए. जो कई बार जीत के मुहाने पर खड़ी टीम को आखिरी विकेट के लिए नाखून चबवा देती है. लेकिन नागपुर में ऐसा कुछ नहीं घटा. जडेजा की नो बॉल के बाद की आठवीं गेंद पर ही पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम पैक हो गई. भारत ने पारी और 312 रनों से जीत हासिल कर ली.

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तीसरे दिन के समाप्त होने से पहले ही मैच का नतीजा सामने आ गया. ये कोई पहली बार नहीं है जब तीसरे दिन ही कोई टेस्ट मैच खत्म हुआ हो. लेकिन क्या तीन दिन में किसी टेस्ट मैच का खत्म हो जाना, क्रिकेट के सबसे सुनहरे फॉर्मेट की रूह पर चोट नहीं है? पांच दिनों तक सेशन दर सेशन चलने वाले टेस्ट में सिर्फ एक सत्र में 10 विकेट भर-भराकर बिखर जा रहे हैं. कमेंटेटर्स के मुंह से तो 'वेल लेफ्ट' जैसे शब्द गायब ही हो गए हैं. तीन दिन में टेस्ट मैच के निकल रहे नतीजों की वजद से पिच पर भी सवालियां निशान खड़े हो रहे हैं. 

रवींद्र जडेजा (पीटीआई)

क्या अब ऐसी पिचें तैयार की जा रही हैं, जिनपर मैच का फैसला जल्द हो जाए. याद करिए आपने किसी टेस्ट मैच में आखिरी बार पिच पर पड़ी दरारों को कब देखा था और कब उन दरारों के बीच पड़ती गेंद को अचानक से उछलते देखा था. दरअसल, अब पिच के टूटने से पहले ही मैच के परिणाम स्कोर बोर्ड पर फ्लैश हो जा रहे हैं और आंकड़े भी कमोबेश इसे साबित कर रहे हैं.

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आंकड़े बयां कर रहे ये कहानी

भारतीय टीम ने साल 2021 से लेकर अब तक 21 टेस्ट मुकाबले खेले हैं. इनमें से 9 टेस्ट मैच पांचवें दिन तक पहुंचे हैं. लेकिन इन 9 में से तीन मैच ऐसे हैं, जिनमें बारिश की खलल की वजह से खेल प्रभावित हुआ. इसके अलावा खराब रौशनी के कारण दो मैचों में एक-एक दिन के खेल को समय से पहले खत्म करना पड़ा. 2021 से लेकर अब तक चार दिनों में भी सात मैच समाप्त हुए हैं. इनमें से भी एक मैच में ग्राउंड गिला होने के कारण करीब 70 ओवर्स का खेल नहीं हो सका था. इन 21 मैचों में से चार टेस्ट ऐसे हैं, जो तीन दिन मे समाप्त हुए. वहीं, एक टेस्ट मैच सिर्फ दो दिन में समाप्त हुआ था. तो पांच दिनों तक चलने वाले टेस्ट क्रिकेट का हाल कुछ ऐसा है. 

अब अगर दो दिनों में खत्म होने वाले टेस्ट की बात करें, तो इंटरनेशनल टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अब तक कुल 24 मैच सिर्फ दो दिन में खत्म हुए हैं. इनमें से दो मुकाबले भारतीय टीम ने भी जीते हैं. टीम इंडिया ने जब 2021 में अहमदाबाद में इंग्लैंड की टीम को दो दिनों में हाराया था, तो क्रिकेट के दिग्गज भी दो दिन में टेस्ट मैच खत्म होने से निराश नजर आए थे. टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह ने कहा था कि दो दिन में टेस्ट मैच का खत्म होना टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी बात नहीं है. अगर ऐसी विकेट पर हरभजन सिंह और अनिल कुंबले जैसे खिलाड़ी गेंदबाजी करते, तो वो 800 विकेट या फिर हजार विकेट भी ले सकते थे. युवराज ने भी लगभग विलेन पिच को ही माना था. लेकिन सवाल तो है. 

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भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया

खत्म हो रहा रोमांच

अगर ऐसे ही टेस्ट मैच दो और तीन दिन में खत्म होने लगे, तो फिर पांचवें दिन के आखिरी ओवर और आखिरी गेंद तक मैच को बचाने का जुझारू अंदाज और रोमांच कहां दिखेगा. कहां दिखेगा वो अंदाज जब वीवीएस लक्ष्मण ने साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली टेस्ट के पांचवे दिन इशांत शर्मा के साथ 81 रनों की साझेदारी बना दी थी और फिर एक विकेट से भारत को विजयी बनाया था. पांचवें दिन का वो रोमांच और जज्बा कहां दिखेगा, जब साल 2009 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के कप्तान ग्रीम स्मिथ टूटी कलाई के साथ बल्ला थामे मैच बचाने मैदान पर उतर गए थे. 

टेस्ट क्रिकेट में पांचवें दिन के कई और यादगार लम्हें हैं, लेकिन तीन दिनों में समाप्त हो रहे मुकाबले रोमांच के स्पेस को खत्म कर रहे हैं. टेस्ट मैचों का पांच दिनों से पहले खत्म होना, क्रिकेट की रूह के साथ-साथ इस खेल के प्रति जुनून रखने वाले पर किसी जुल्म ढहाने से कम नहीं है. खिलाड़ियों को तपाकर सोना बनाने वाले टेस्ट क्रिकेट की भट्ठी की आंच अब मध्यम होती नजर आ रही है. दुनिया भर में क्रिकेट के फॉर्मेट का बरगद माने जाने वाले टेस्ट में मानों कोई कीड़ा लग गया है, जो हर रोज इसे भीतर से खोखला कर रहा है और बाहर की चमक इसके घाव को छिपा दे रही है. लेकिन इस खेल के तमाम विशेषज्ञ शायद इसकी हालत को भांप नहीं पा रहे या फिर नजरअंदाज कर रहे हैं.

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कौन पूछे टेस्ट क्रिकेट का हाल?

ऐसे में टेस्ट क्रिकेट से उसका हाल कौन पूछे, कौन पूछे कि जब पांच दिनों के लिए तय खेल तीन में खत्म हो जाता है, तो बाकी के दो दिन वो क्या करता है. उस स्टेडियम का हाल कौन पूछे, जिसकी चमक दो दिन पहले ही फीकी पड़नी शुरू हो जाती है. स्टेडियम की कुर्सियों पर चस्पे उन नंबरों को कौन बताए कि तुम्हारा मोल दो दिन पहले ही खत्म हो चुका है और अब ना जाने कोई कब तुम्हें ढूंढता हुआ तुम्हारे करीब आएगा. ऐसे में टेस्ट क्रिकेट की बिगड़ती सेहत पर फिलवक्त ग़ालिब का एक शेर शायद फिट बैठता है. दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है. 

 

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