हार और जीत खेल का हिस्सा है. आज जीते हो तो कल हारोगे. आज हारे तो कल जीतोगे. ये फेर लगा रहेगा. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम यह है कि आप कैसे हारे. लड़कर या फिर हथियार डाल दिए. जूझकर हारने वाले को भी तो उतना ही सम्मान मिलता है जितना किसी जीतने वाले के हिस्से में जाता है. लेकिन पहले ही घुटने टेक देने वालों का क्या...
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया हारी, वो भी बुरी तरह से. आंकड़ों के लिहाज से कहें तो टीम 95 रनों से हारी. इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. हो भी क्यों ना, हमने अब तक टूर्नामेंट में जानदार खेल दिखाया था पर अहम पड़ाव पर ही चूक गए. टॉस हारने के बाद कुछ भी सही नहीं हुआ. इक्के-दुक्के ऐसे पल थे जब लगा कि टीम वापसी कर रही है पर जाने-अनजाने में मैच हाथ से फिसल गया.
सेमीफाइनल में मिली इस हार की वजह तलाशने की कोशिश करते हैं. एक नजर इन कारणों पर...
दिल खोलकर लुटाए रन
जिसका डर था वही हुआ. टॉस हारा फिर ऑस्ट्रेलिया का पहले बल्लेबाजी का फैसला. यहीं से सबकुछ बदल सा गया. जिस गेंदबाजी ने अब तक टूर्नामेंट में बाकी टीमों की जमकर खबर ली थी. वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहद ही साधारण नजर आने लगी. मोहम्मद शमी लय में नजर नहीं आए. मोहित शर्मा ने बैकअप नहीं किया. उमेश यादव के विकेट कॉलम में दिखाने के लिए कुछ तो है पर इतने रन लुटा दिए कि नुकसान हो गया. आर अश्विन और जडेजा ने सिर्फ रनों पर अंकुश लगाए जो कंगारुओं को आखिरी ओवर में रोकने के लिए नाकाफी थे.
धमाल, कमाल के बाद अब कोहली से सवाल
इस खिलाड़ी के लिए अब तक धमाल और कमाल जैसे विशेषणों का इस्तेमाल होता आया है, पर लगता है कि अब बारी सवाल और बवाल की है. वर्ल्ड कप से पहले ज्यादातर क्रिकेट जानकारों को कहना था कि भारतीय बल्लेबाजी कोहली के इर्द-गिर्द घूमेगी. पर ऐसा हुआ नहीं. पाकिस्तान के खिलाफ मैच को छोड़ दिया जाए तो कोहली पूरे टूर्नामेंट में कोई खास कमाल नहीं कर सके. फाइनल में 329 जैसे बड़े लक्ष्य के सामने टीम को सबसे ज्यादा उनकी जरूरत थी. पर कोहली नहीं चले. शायद ये टूर्नामेंट उनका नहीं था.
बल्लेबाज धोनी पास बाकी सब फेल
वनडे क्रिकेट इतिहास में अब तक हमने करीब 15 बार 300 से ज्यादा स्कोर चेज किया है. इसलिए सेमीफाइनल मुकाबले में 329 रन असंभव लक्ष्य नहीं था. लेकिन धोनी के अलावा सभी टॉप ऑर्डर बल्लेबाजों ने निराश किया. शिखर धवन, रोहित शर्मा, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली और सुरेश रैना, बस नाम ही किसी भी विरोधी टीम को डराने के लिए काफी हैं. पर इन खिलाड़ियों ने दिल तोड़ा. रोहित शर्मा के साथ शानदार शुरुआत दिलाने के बाद शिखर धवन को वो हवाई शॉट खेलने की क्या जरूरत थी. ये तकलीफ को कप्तान धोनी को भी है. सुरेश रैना कब फॉर्म में लौटते हैं और कब उनका फॉर्म चला जाता है, ये तय कर पाना मुश्किल है. रहाणे जूझे पर कामयाबी के पास जाने का मौका गंवा दिया.
कप्तान धोनी में वो बात नहीं दिखी
मैच के पहले हाफ में कप्तान धोनी का वो जलवा नजर नहीं आया. पहला विकेट खोने के बाद जब ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज पारी संभालने में जुटे थे तब उन्होंने पार्टटाइम बॉलरों का इस्तेमाल किया. धोनी ज्यादा वक्त पर रन बचाने की रणनीति पर काम करते नजर आए. वहीं, माइकल क्लार्क विकेट लेने की रणनीति पर. वैसे धोनी का साथ उनके बॉलरों ने भी नहीं दिया.
दबाव
धोनी के धुरंधर बड़े मैचों का दबाव झेलने में माहिर रहे हैं. लेकिन सेमीफाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ने का दबाव कुछ अलग था. ये दबाव पहले बॉलरों पर दिखा फिर बल्लेबाजों पर. ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के पास भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बनाने की रणनीति थी, पर हमारे पास इसका जवाब नहीं. इसके अलावा पिछले चार महीने में हम कंगारुओं को एक बार भी हरा नहीं पाए. इसका दबाव भी खिलाड़ियों पर दिखा.
स्टीव स्मिथ को कब आउट करेंगे...
पूरे ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक कंगारू बल्लेबाज ने भारत को जमकर परेशान किया. जब चाहा, जहां चाहा, वहीं रन बना लिया. उसी बल्लेबाज ने सेमीफाइनल में भी भारत की खबर ली. बात कर रहे हैं स्टीव स्मिथ की. मात्र 15 रन के स्कोर पर पहला विकेट खोने के बाद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्टीव स्मिथ पर पारी को संभालने की जिम्मेदारी थी. दूसरे छोर पर एरॉन फिंच पूरी तरह से लय में नजर नहीं आ रहे थे. ऐसे में उनपर बाउंड्री निकालने का भी पूरा दारोमदार था. उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया. बीच-बीच में बाउंड्री जड़ते रहे और कभी भी भारतीय गेंदबाजों को हावी नहीं होने दिया. उन्होंने 93 गेंदों में 105 रन की यादगार पारी खेली.