Rohit Sharma, IPL Player Trades Rules: क्रिकेट फैन्स इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 सीजन का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं. मगर इससे पहले मंगलवार (19 दिसंबर) को मिनी ऑक्शन खत्म हुआ है. इस ऑक्शन में सभी 10 टीमों ने 72 खिलाड़ी खरीदने में 230 करोड़ और 45 लाख रुपये खर्च किए.
मगर नीलामी खत्म होने के बाद अगले दिन से ही एक बार फिर IPL ट्रांसफर विंडो खुल गई है. मिनी ऑक्शन से ठीक पहले इस ट्रांसफर विंडो के तहत कई डील हुईं, लेकिन इसमें एक ट्रेड सबसे बड़ी हुई थी. गुजरात टाइटन्स (GT) के कप्तान हार्दिक पंड्या का अपनी टीम से नाता टूट गया.
रोहित और बुमराह छोड़ सकते हैं मुंबई टीम
उनकी अपनी पुरानी मुंबई इंडियंस (MI) टीम में वापसी हुई है. मुंबई ने एक बड़ी ट्रेड के जरिए पंड्या को अपनी टीम में शामिल किया था. मुंबई ने पंड्या को रोहित शर्मा की जगह अपनी टीम का कप्तान भी बना दिया है. ऐसे में अब रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इससे रोहित के अलावा जसप्रीत बुमराह भी नाराज हैं और वो जल्द ही टीम को छोड़ सकते हैं.
रोहित और बुमराह के अलावा भी कई खिलाड़ियों को ट्रेड किया जा सकता है. इसी बीच फैन्स के मन में यह भी सवाल गूंज रहा होगा कि आखिर यह ट्रांसफर या ट्रेड विंडो क्या है और इसके नियम क्या हैं? क्या इससे खिलाड़ियों को भी फायदा होता है? साथ ही क्रिकेट फैन्स यह भी जानने को आतुर होंगे कि आखिर इस डील से पंड्या को क्या बम्पर फायदा हुआ होगा? क्या पंड्या को कोई एक्स्ट्रा फीस मिली है? आइए जानते हैं इन्हीं सब सवालों के जवाब...
खिलाड़ी का ट्रेड क्या है और यह कैसे होता है?
जब ट्रांसफर विंडो के तहत एक प्लेयर अपनी टीम को छोड़कर दूसरी फ्रेंचाइजी में चला जाता है, तो उसे ट्रेड कहते हैं. यह ट्रेड दो तरह से होती है. पहली डील कैश में यानी प्लेयर के बदले बेचने वाली फ्रेंचाइजी को पैसे मिलते हैं. दूसरा दो फ्रेंचाइजी अपने-अपने प्लेयर्स की अदला-बदली करती हैं.
ट्रांसफर या ट्रेड विंडो कब से कब तक खुली होती है?
नियम के मुताबिक, किसी IPL सीजन के खत्म होने के एक महीने बाद से ही यह ट्रांसफर या ट्रेड विंडो ओपन हो जाती है. यह अगले सीजन की नीलामी से एक हफ्ते पहले तक खुली रहती है. साथ ही नीलामी के बाद फिर यह विंडो खुलती है, जो अगले आईपीएल सीजन के शुरू होने से एक महीने पहले बंद हो जाती है.
ऐसे में मौजूदा ट्रेड विंडो 12 दिसंबर तक खुली रही थी. जबकि नीलामी 19 दिसंबर को दुबई में हो चुकी है. ऐसे में यह विंडो 20 दिसंबर से फिर खुल गई है, जो IPL 2024 सीजन शुरू होने से एक महीने पहले बंद होगी.
क्या IPL में खिलाड़ियों की ट्रेड हमेशा रही है?
हां, यह ट्रेडिंग विंडो 2009 में शुरू हुई थी. तब पहली डील मुंबई इंडियंस और दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) के बीच हुई थी. मुंबई को आशीष नेहरा के बदले में शिखर धवन मिले थे.
एक तरफा ट्रेड क्या है?
जब कोई एक प्लेयर किसी पूरी तरह से कैश डील के तहत टीम ए से दूसरी बी टीम में जाता है, तो इसे एकतरफा ट्रेड कहते हैं. इसमें टीम बी को उसके बदले टीम ए को प्लेयर की कीमत देनी होगी, जो बेचने वाली टीम ने नीलामी के दौरान उस प्लेयर को खरीदने में चुकाई थी. या फिर साइन करने के दौरान चुकाई थी. हार्दिक पंड्या के मामले में इस बार ऐसा ही हुआ है. मुंबई इंडियंस ने गुजरात टाइटन्स को पंड्या के बराबर की फीस चुकाई है.
दोतरफा ट्रेड क्या है?
इस वाले मामले में दो टीमों के बीच खिलाड़ियों की अदला-बदली होती है. मगर इस दौरान दोनों खिलाड़ियों के बीच कीमत में अंतर वाली राशि को खरीदने वाली टीम को चुकाना पड़ता है. इसे दोतरफा ट्रेड कहते हैं.
क्या कोई प्लेयर इस ट्रेड में कोई अधिकार रखता है?
बिल्कुल, जब भी किसी प्लेयर की ट्रेड होती है, तो उस खिलाड़ी की मंजूरी बेहद जरूरी होती है. गुजरात टाइटन्स के क्रिकेट निदेशक विक्रम सोलंकी ने बताया था कि हार्दिक ने खुद ही मुंबई टीम में वापसी की इच्छा व्यक्त की थी और अब 15 करोड़ रूपये में यह ट्रेड हुआ.
दूसरी ओर ईएसपीएनक्रिकइंफो के मुताबिक, मुंबई ने हार्दिक को ट्रेड करने के लिए आईपीएल 2023 के तुरंत बाद से ही गुजरात से बातचीत शुरू कर दी थी. MI फ्रेंचाइजी यह भी जानना चाहती थी कि क्या गुजरात नकद ट्रेड करेगा या दोतरफा.
यदि कोई प्लेयर ट्रेड विंडो के तहत किसी दूसरी टीम में जाना चाहता हो और उसकी फ्रेंचाइजी इससे सहमत ना हो तो यह डील नहीं हो सकती. यानी कि नियम के मुताबिक, ट्रेड के लिए फ्रेंचाइजी की मंजूरी बेहद जरूरी है.
2010 में रवींद्र जडेजा ने अपनी टीम राजस्थान रॉयल्स के साथ नए कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं किए थे. तब उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने मुंबई से नए अनुबंध के लिए बात की है. तब जडेजा पर नियम के उल्लंघन के मामले में एक सीजन का प्रतिबंध लगा था.
क्या ट्रांसफर फीस भी होती है? इसकी लिमिट क्या है और इसे कौन डिसाइड करता है?
ट्रेड के दौरान एक फ्रेंचाइजी दूसरी टीम को प्लेयर की फीस के अलावा कोई रकम देती है, तो उसे ट्रांसफर फीस कहते हैं. यह फीस दोनों फ्रेंचाइजी के बीच आपसी समझौते के आधार पर तय होती है और इसकी कोई लिमिट नहीं है. इस फीस के बारे में दोनों टीमों के अलावा IPL गवर्निंग काउंसिल को भी जानकारी होती है. हार्दिक पंड्या के मामले में मुंबई ने गुजरात को कितनी ट्रांसफर फीस दी, इसका खुलासा नहीं हुआ है.
क्या ट्रांसफर फीस में प्लेयर को भी हिस्सा मिलता है?
हां, कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से प्लेयर को ट्रांसफर फीस में कम से कम 50% तक हिस्सा मिल सकता है. हालांकि इस मामले में भी खिलाड़ी और उसकी फ्रेंचाइजी के बीच आपसी सहमति के हिसाब से यह हिस्सा कम भी हो सकता है. ये भी जरूरी नहीं है कि प्लेयर को हिस्सा मिले ही. मुंबई और गुजरात के बीच डील में पंड्या को क्या फायदा हुआ या क्या ट्रांसफर फीस मिली है, इसका खुलासा भी नहीं हुआ है.
क्या ट्रांसफर फीस का फ्रेंचाइजी के पर्स पर भी असर पड़ता है?
बिल्कल नहीं, ट्रांसफर फीस का फ्रेंचाइजी के पर्स पर कोई असर नहीं पड़ता है. हार्दिक पंड्या के मामले में इसे आसानी से समझा जा सकता है. पंड्या की कीमत 15 करोड़ रुपये थी. उन्हें खरीदने पर मुंबई के पर्स से उतने ही पैसे कम हुए. जबकि गुजरात के पर्स में उतनी राशि जोड़ी गई. इसमें ट्रांसफर फीस का कोई लेनादेना नहीं रहता है.
इसका मतलब यह भी है कि कोई मालदार फ्रेंचाइजी किसी दूसरे प्लेयर को खरीदने के लिए ट्रांसफर फीस के माध्यम से अपने पर्स की लिमिट के हिसाब से कहीं ज्यादा पैसे खर्च कर सकती है. हालांकि इसके लिए उस टीम को प्लेयर के साथ कॉन्ट्रैक्ट रखने वाली फ्रेंचाइजी को भी मनाना पड़ेगा.