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आर्कटिक में सर्दी का मतलब बदल रहा, ग्लेशियरों का हो रहा 'अंतिम संस्कार'... खतरे में दुनिया के तटीय शहर

आर्कटिक में 2024-25 रिकॉर्ड सबसे गर्म साल रहा. वैश्विक औसत से 4 गुना तेज गर्मी पड़ी. समुद्री बर्फ न्यूनतम स्तर पर है. रिकॉर्ड बारिश हुई है. सर्दी में भी बारिश से 'विंटर रीडिफाइंड' हो गया है. दुनिया के 79% ग्लेशियर इस सदी तक पिघल सकते हैं. समुद्र स्तर बढ़ेगा. 200 करोड़ लोगों की पानी सप्लाई खतरे में है.

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आर्कटिक में जितनी तेजी से बर्फ पिघल रही है, उस हिसाब से बहुत जल्द दुनिया के कई तटीय शहर डूब जाएंगे. (Photo: Representational/Getty)
आर्कटिक में जितनी तेजी से बर्फ पिघल रही है, उस हिसाब से बहुत जल्द दुनिया के कई तटीय शहर डूब जाएंगे. (Photo: Representational/Getty)

दुनिया का फ्रिज कहलाने वाला आर्कटिक क्षेत्र जलवायु संकट की वजह से तेजी से गर्म हो रहा है. अमेरिकी एजेंसी NOAA की 20वीं सालाना आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड 2025 ने चिंताजनक बातें सामने आई हैं. अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 तक आर्कटिक में 125 साल के रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई.

पिछले 10 साल आर्कटिक के सबसे गर्म साल रहे. आर्कटिक वैश्विक औसत से 4 गुना तेज गर्म हो रहा है, जिससे समुद्री बर्फ पिघल रही है. बारिश बढ़ रही है और इकोसिस्टम बदल रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि आर्कटिक में सर्दी का पूरा मतलब बदल रहा है.

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Climate Change Winter Arctic Glacier

क्या है आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड में? 

  • रिकॉर्ड गर्मी: अक्टूबर 2024-सितंबर 2025 में सतह का तापमान सबसे ज्यादा. सर्दी 2024 सबसे गर्म, सर्दी 2025 दूसरी सबसे गर्म. 2006 से आर्कटिक ग्लोबल रेट से दोगुना तेज गर्म हो रहा.
  • समुद्री बर्फ की कमी: मार्च 2025 में अधिकतम बर्फ क्षेत्र 47 साल के सैटेलाइट रिकॉर्ड में सबसे कम. सितंबर में न्यूनतम बर्फ 10वीं सबसे कम. 2005 की तुलना में 2025 में गर्मियों के अंत में बर्फ 28% कम और पतली.
  • रिकॉर्ड बारिश: अक्टूबर 2024-सितंबर 2025 में सबसे ज्यादा वर्षा. जून में बर्फ कवर 1960 के दशक के आधे से कम.
  • अन्य बदलाव: पर्माफ्रॉस्ट पिघलने से नदियां 'रस्टिंग' (नारंगी) हो रही – 200 से ज्यादा नदियां प्रभावित, पानी की गुणवत्ता खराब. 'एटलांटिफिकेशन' से गर्म पानी उत्तर की ओर आ रहा. इकोसिस्टम बदल रहा. प्लैंकटन उत्पादकता बढ़ी, लेकिन आर्कटिक प्रजातियां घट रही. 
  • ग्रीनलैंड आइस शीट: 2025 में 129 अरब टन बर्फ खोई, जो समुद्र स्तर बढ़ाने में योगदान देगी.

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Climate Change Winter Arctic Glacier

2025 में आर्कटिक समुद्री बर्फ की न्यूनतम और अधिकतम सीमा के ग्राफ

ये बदलाव स्थानीय लोगों और वन्यजीवों पर असर डाल रहे – बारिश से बर्फ पर क्रस्ट बनता है, जानवरों को भोजन ढूंढना मुश्किल होगा. बाढ़ और लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ा. आर्कटिक की गर्मी पूरी दुनिया को प्रभावित करती है – ज्यादा गर्मी सोखना और कार्बन रिलीज.

दुनिया के ग्लेशियरों का संकट: पीक एक्सटिंक्शन मिड-सेंचुरी में

एक नई स्टडी (Nature Climate Change, दिसंबर 2025) ने ग्लेशियरों की 'पीक एक्सटिंक्शन' का अनुमान लगाया – सबसे ज्यादा ग्लेशियर गायब होने का पीक साल.

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  • मौजूदा नीतियों (2.7°C वॉर्मिंग) से: 2040-2060 में हर साल 3000 ग्लेशियर गायब. सदी अंत तक 79-80% ग्लेशियर खत्म.
  • 1.5°C तक सीमित रखें: पीक 2041 में 2000 प्रति साल, सदी अंत तक ज्यादा ग्लेशियर बच सकते हैं.
  • 4°C वॉर्मिंग: पीक 2055 में 4000 प्रति साल.
  • क्षेत्रीय: अल्प्स में पीक 2033-2041, सेंट्रल यूरोप में सिर्फ 3% बचे. हिमालय, रॉकी माउंटेंस, आंडीज में भारी नुकसान.
  • प्रभाव: समुद्र स्तर 25 सेमी बढ़ेगा. 2 अरब लोगों की पानी सप्लाई प्रभावित (हिमालय से निकलने वाली नदियां). ग्लेशियल झील बाढ़ बढ़ी (जैसे 2023 भारत में).

Climate Change Winter Arctic Glacier

पिघलते ग्लेशियर: अल्प्स, हिमालय और ग्रीनलैंड की तस्वीरें

कई जगहों पर ग्लेशियरों का 'अंतिम संस्कार' हो रहा. वैज्ञानिक लैंडर वैन ट्रिच्ट ने कहा कि हर ग्लेशियर एक जगह, कहानी और लोगों से जुड़ा है. हम इन्हें बचाने की कोशिश कर सकते हैं. आर्कटिक की रिकॉर्ड गर्मी और ग्लेशियरों का तेज पिघलना जलवायु संकट की गंभीर याद दिलाता है. फॉसिल फ्यूल उत्सर्जन कम करना जरूरी, वरना प्रभाव और बढ़ेंगे.

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