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सर्वपितृ श्राद्ध आज... जरूर करें इन पांच मंत्रों का पाठ, जीवन के बाधाओं के लिए बन जाएगा कवच

पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या पर इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी होता है. नियमित पाठ से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और पितरों को शांति मिलती है.

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पितृकवच के पाठ से प्रसन्न पितर हर बाधा से रक्षा करते हैं
पितृकवच के पाठ से प्रसन्न पितर हर बाधा से रक्षा करते हैं

पितृपक्ष में पितृ कवच का पाठ करना बहुत शुभ फल देने वाला माना गया है. यह पाठ पितृ दोष को दूर कर पितृदेवों को प्रसन्न करता है, जिससे वंश वृद्धि और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. अग्निदेव की शरण में यह कवच साधक और उसके पितरों की रक्षा करता है. पितृ दोष से पीड़ित लोगों के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी है.

पितृ-कवच एक सुरक्षामंत्र है, जिसमें अग्निदेव को रक्षक मानकर शत्रुओं, बाधाओं और पितृदोष के विनाश की प्रार्थना की गई है. यह “पितृ कवच” अग्निदेव की शरण में जाकर साधक और उसके पितरों की रक्षा करता है. इसका पाठ पितृपक्ष में विशेष रूप से हितकारी है, क्योंकि पितृलोक से आने वाली सूक्ष्म शक्तियों की रक्षा हेतु अग्नि सबसे श्रेष्ठ माने गए हैं.


कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन.
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥1

हे अग्निदेव! तुम बल से युक्त होकर पृथ्वी का पथ आलोकित करो. तुम अपनी अग्नि-ज्वालाओं से दुष्ट राक्षसों को नष्ट करो.

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः.
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥2

हे अग्निदेव! तुम्हारे शिखर और चिनगारियाँ तीव्रता से उड़ती हैं. तुम अपनी प्रज्वलित किरणों से दुष्टात्माओं को नष्ट करते हुए रक्षार्थ प्रकट होते हो.

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प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः.
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥3

हे अग्नि! तुम सब ओर से तीव्र ज्वालाएँ छोड़ो, हमारी रक्षा करो. दूर अथवा निकट जो भी पाप करने वाले हैं, उन्हें कोई हमें क्षति न पहुँचा पाए.

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते.
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥4

हे अग्निदेव! उठो और अपने तीक्ष्ण अस्त्रों से शत्रुओं को नष्ट करो. जो हमें हानि पहुँचाने की योजना बनाते हैं, उन्हें जला डालो.

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने.
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्. अग्नेष्ट्वा तेजसा सादयामि॥5

हे अग्निदेव! ऊपर उठो, देवताओं की शक्ति प्रकट करो, हमें दीखने योग्य बनो और दुष्टात्माओं, शत्रुओं और बाधाओं को नष्ट करो.
तुम्हारे तेज से ही हम सब संकटों पर विजय पाते हैं.

पितृ कवच के लाभ:
यह कवच कुंडली से पितृ दोष को दूर करने में सहायक है, जिससे व्यक्ति के जीवन से परेशानियां दूर होती हैं. पितृ कवच का पाठ करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे वंश वृद्धि होती है. इस कवच के नियमित पाठ से जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं और संकट दूर होते हैं. पितृ कवच का पाठ पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करता है, जिससे उन्हें पितृ लोक से आगे बढ़ने में सहायता मिलती है. पितरों के आशीर्वाद से व्यक्ति को धन, सुख और जीवन में यश प्राप्त होता है. 

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कवच का पाठ कब और कैसे करें?

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ कवच का पाठ प्रतिदिन सुबह या शाम को करना चाहिए. पितृ पक्ष के दौरान संध्या के समय तेल का दीपक जलाकर इसका पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है. पितृ पक्ष के अंतिम दिन, यानी सर्व पितृ अमावस्या पर, इसका पाठ करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है. सनातन शास्त्रों में वर्णन है कि, पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती लोक पर आती है.
 
ऐसे में पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि, पितरों के आशीर्वाद से जातक अपने जीवन में तरक्की और उन्नति की मार्ग पर अग्रसर रहता है. वहीं, पितरों के अप्रसन्न होने पर व्यक्ति को जीवन में ढ़ेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए रोजाना ही पितरों की पूजा करनी चाहिए. अगर आप पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो राहत पाने के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें. इस समय पितृ कवच और पितृ स्त्रोत का पाठ जरूर करें.

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